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नालंदा विश्वविद्यालय में धर्म और वैश्विक नैतिकता पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन:मलेशिया, थाईलैंड समेत नौ देशों के विद्वान का होगा जुटान; चार सेशन में चर्चा

नालंदा विश्वविद्यालय में ‘धर्म और वैश्विक नैतिकता: भारतीय शास्त्र-परंपरा के आलोक में’ विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन न केवल भारतीय दार्शनिक परंपराओं की प्रासंगिकता को रेखांकित करेगा, बल्कि समकालीन वैश्विक चुनौतियों के संदर्भ में धर्म की भूमिका पर भी गंभीर विमर्श प्रस्तुत करेगा। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने बताया कि इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के अलावा रूस, बेलारूस, मलेशिया, नेपाल, कजाकिस्तान, थाईलैंड, चीन और हंगरी समेत नौ देशों के विद्वान और शोधकर्ता भाग लेंगे। यह आयोजन विभिन्न देशों के बीच शैक्षणिक संवाद को मजबूत करने और धर्म तथा वैश्विक नैतिकता पर नई दृष्टि विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। चार सत्रों में होगी विस्तृत चर्चा सम्मेलन को चार प्रमुख सत्रों में विभाजित किया गया है। पहले सत्र में धर्म और संस्कृति के अंतर्संबंधों पर प्रकाश डाला जाएगा। दूसरे सत्र में धर्म और दर्शन के बीच के गहरे संबंधों की पड़ताल होगी। तीसरे सत्र में धर्म और अर्थ के समीकरण पर विचार-विमर्श होगा, जबकि चौथा सत्र धर्म और पर्यावरण के बीच के संबंधों पर केंद्रित रहेगा। इन सत्रों में साहित्य, पर्यावरण, स्थिरता, राजनीति और समकालीन चुनौतियों के संदर्भ में धर्म की बहुआयामी भूमिका पर गहन चर्चा की जाएगी। विशेष बात यह है कि भारतीय दार्शनिक परंपराओं के संदर्भ में धर्म के स्वरूप को समझने का प्रयास किया जाएगा। प्रतिष्ठित अतिथि करेंगे संबोधित सम्मेलन में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की संयुक्त सचिव अंजु रंजन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगी। शिक्षा मंत्रालय के भारतीय ज्ञान प्रणाली प्रभाग के राष्ट्रीय समन्वयक प्रो. गंटी एस. मूर्ति और थाईलैंड से पधारे पद्मश्री प्रो. चिरापत प्रपांद्विद्या मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार साझा करेंगे। लोक संग्रह पर विशेष जन-सत्र कार्यक्रम की एक विशेष बात यह है कि इसमें लोक संग्रह और समकालीन विश्व पर एक विशेष जन-सत्र का भी आयोजन किया जाएगा। इस सत्र में वैश्विक उत्तरदायित्व, सामूहिक कल्याण और सहभागी नागरिकता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विमर्श होगा। यह सत्र विशेष रूप से युवाओं और शोधार्थियों के लिए प्रेरणादायक साबित होगा। सांस्कृतिक संध्या में झलकेगी भारतीय विरासत सम्मेलन के समापन पर एक भव्य सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया जाएगा। स्पिक मैके चैप्टर के सहयोग से पंडित गौतम काले शास्त्रीय संगीत की मधुर प्रस्तुति देंगे। विशेष आकर्षण यह रहेगा कि वंदे मातरम् की रचना के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर नालंदा विश्वविद्यालय के छात्र सामूहिक गायन प्रस्तुत करेंगे। यह प्रस्तुति भारतीय सांस्कृतिक विरासत और स्वतंत्रता आंदोलन की गौरवशाली स्मृतियों को जीवंत करेगी। प्राचीन और आधुनिक का सेतु कुलपति प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय का यह आयोजन प्राचीन नालंदा की ज्ञान-परंपरा और आधुनिक वैश्विक विमर्श के बीच एक सशक्त सेतु का निर्माण करेगा। यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन धर्म, वैश्विक नैतिकता और भारतीय शास्त्रीय परंपरा पर होने वाले वैश्विक संवाद को नई दिशा और गहराई प्रदान करेगा। प्रो. चतुर्वेदी ने विश्वास व्यक्त किया कि युवाओं और शोधकर्ताओं के लिए यह एक अविस्मरणीय और प्रेरक शैक्षणिक अनुभव साबित होगा। इस तरह के आयोजन नालंदा की प्राचीन गौरवशाली परंपरा को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


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