भास्कर न्यूज| शिवहर फसल के अवशेष प्रबंधन को खेतों में जला देने की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिए कृषि विभाग ने विशेष कार्ययोजना तैयार किया है। गुरुवार को डीएम विवेक रंजन मैत्रेय की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस पर निर्णय लिया गया है। बैठक में बताया गया है कि कृषकों के द्वारा फसल अवशेष खेत में जला दिया जाता है। कृषि विभाग के द्वारा इसके लिए फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जन जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके लिए कृषि विभाग ने कृषि यांत्रिकरण योजना के तहत अनुदानित दर पर फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित यंत्रों के माध्यम से प्रभावी नियंत्रण शुरू हो गई है। वर्तमान में यदि किसी भी प्रखंड के किसान के द्वारा धान फसल कटनी के बाद खेतों में फसल अवशेष को जलाने की शिकायतें मिलने पर उस कृषक की कृषि विभाग से मिलने वाली सभी योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया जाएगा। इसके साथ ही कृषि विभाग उस किसान की डीबीटी कार्यक्रम को तत्काल प्रभाव से रोक दी जाएगी। उस किसान को सरकार से मिलने वाले अन्य सहायता भी तीन साल तक के लिए रोक दिये जाएंगे। वहीं सीआरपीसी की धारा 133 के तहत प्राथमिकी दर्ज करते हुए विधि-सम्मत कार्रवाई की जायेगी। कहा कि इस संबंध में कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर गाईडलाईन जारी किया गया है कि फसल अवशेष खेत में जलाने से मिट्टी के पोषक तत्वों की क्षति होती है। साथ ही हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है। इससे निकलने वाले कण हवा को प्रदूषित करते है, जो वातावरण को जहरीला बनाती है। इससे सांस लेने में समस्या, आंखों में जलन की समस्या होती है। पराली/फसल अवशेष के उचित प्रबंधन से इसे खेत में मिलाकर मिट्टी की ताकत, नमी एवं फसल उत्पादन में आशातीत बढ़ोत्तरी की जा सकती है। पराली के सही प्रबंधन से कीट-रोग एवं प्रदूषण से बहुत हद तक बचा जा सकता है। साथ ही उर्वरक लागत में कमी लायी जा सकती है। कृषि विभाग के कृषि यांत्रिकरण समम योजना अंतर्गत फसल अवशेष प्रबंधन संबंधित यंत्र यथा रीपर, रीपर कम्बाइन्डर, सुपर सीडर, रोडरी मलचर, लेजर लेवलर जैसे कृषि यंत्रों का क्रय कर फसल अवशेष प्रबंधन किया जा सकता है।
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