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दरभंगा कबीर आश्रम में 138वां भंडारा उत्सव संपन्न:5 हजार लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया, संत गिरवर लाल दास ने 1887 ईं में शुरुआत की थी

दरभंगा के कबीर आश्रम, भरवाड़ा में दो दिवसीय 138वां वार्षिक भंडारा उत्सव शुक्रवार रात संपन्न हो गया। इस अवसर पर प्रधान संत विद्यानंद दास ने कहा कि धर्म हमें राष्ट्र और समाज सेवा का ज्ञान देता है, और धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति कभी राष्ट्र-विरोधी या समाज-विरोधी कार्य नहीं कर सकता। उत्सव का शुभारंभ गुरुवार शाम को हुआ था। प्रधान संत विद्यानंद दास ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक व्यक्ति धर्म का सही ज्ञान प्राप्त कर पारखी नहीं बन जाता, तब तक वह भक्ति के सुंदर फल को प्राप्त नहीं कर सकता। धर्म के नाम पर हिंसा अंधविश्वास का परिणाम उन्होंने धर्म के नाम पर होने वाली हिंसा, आडंबर, छल, प्रपंच और अंधविश्वास को ज्ञान के अभाव का परिणाम बताया। उन्होंने सत्संग के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इसके बिना सद्गति संभव नहीं है। गुरुवाणी पाठ के साथ कबीर दर्शन की विवेचना करते हुए उन्होंने अहंकार त्यागने का संदेश दिया। दो दिवसीय इस भंडारे में पड़ोसी देशों नेपाल और भूटान के साथ-साथ दिल्ली, बंगाल, उत्तर प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों से श्रद्धालु पहुंचे। भजन गायकों ने स्वागत गान से श्रद्धालुओं का अभिनंदन किया। आश्रम के सचिव हरिनाम दास और संत सहजानंद की देखरेख में दो दिनों तक अखंड भजन, कीर्तन और प्रवचन का आयोजन किया गया, जिसमें दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने भाग लिया। विश्वनाथ साहब, गोविंद साहब, ओमप्रकाश साहब, रंजीत पोद्दार और रामबहादुर चौपाल जैसे भजन गायकों को सुनने के लिए भारी भीड़ उमड़ी। उत्सव के सफल संचालन के लिए स्वर्णकार संघ के शंभू ठाकुर, मिथिलेश यादव, सुरेश यादव, पूर्व मुखिया शंभू ठाकुर और अहमद अली तमन्ने सहित दर्जनों गणमान्य लोग विभिन्न व्यवस्थाओं में तैनात रहे। 1887 में शुरू हुई थी भंडारा उत्सव कबीर आश्रम भरवाड़ा में भंडारा उत्सव की शुरुआत संत गिरवर लाल दास ने वर्ष 1887 में की थी। इस उत्सव का उद्देश्य लोगों के बीच कबीर के विचारों को पहुंचाना था। तब से भजन, कीर्तन, प्रवचन और सामूहिक पंगत (भोजन) की व्यवस्था की जा रही है। संत गिरवर लाल दास के बाद संत बौआ साहब ने आश्रम की व्यवस्था संभाली, जिसके बाद भंडारा उत्सव का दायरा तेजी से बढ़ा। नेपाल, भूटान सहित विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आने लगे। संत बौआ साहब ने भव्य कबीर मंदिर का निर्माण कराया और जड़ी-बूटियों से निःशुल्क आयुर्वेदिक चिकित्सा की व्यवस्था शुरू की, जो आज भी आश्रम द्वारा जारी है। 5 हजार लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया संत बौआ साहब के बाद वर्तमान में संत विद्यानंद दास आश्रम की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। भजन-कीर्तन के साथ ही यहां दो दिनों तक अखंड भंडारे की व्यवस्था रहती है। ग्रामीणों के अनुसार, स्वयंसेवकों के सहयोग से एक साथ पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं को बैठाकर भोजन कराने की व्यवस्था सफलतापूर्वक पूरी की जाती है। मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ अतरबेल भरवाड़ा पथ पर कोभी चौक से घोरदौड़ चौक तक एक मेला भी लगा रहा, जिसमें श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। अतरबेल भरवाड़ा एसएच पर सुचारु आवागमन बनाए रखने के लिए सिंहवाड़ा थानाध्यक्ष बसंत कुमार के नेतृत्व में पुलिस बल और स्वयंसेवकों को तैनात किया गया था।


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