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थाईलैंड में जॉब के नाम पर मानव तस्करों को बेचा:गयाजी का शख्स बोला- खाना छोड़िए, पानी भी नहीं देते थे, म्यांमार आर्मी ने जान बचाई

गयाजी के रहने वाले धर्मेंद्र (35) जॉब के नाम पर थाईलैंड में मानव तस्करों के चंगुल में फंस गया। थाईलैंड से उन्हें म्यांमार ले जाया गया, जहां उन्हें मानव तस्कर के चंगुल में फंसने का एहसास हुआ। धर्मेंद्र वहां से निकलने का जुगाड़ लगा रहा था। इसी दौरान म्यांमार की सेना ने छापेमारी की। धर्मेंद्र के साथ 7 लोगों का रेस्क्यू किया। फिर उन्हें इंडियन एंबेसी के हवाले किया गया, जहां से धर्मेंद्र अपने घर गयाजी लौटे। गयाजी पहुंचे धर्मेंद्र ने बताया कि तीन दिनों तक मानव तस्करों के चंगुल में था। खाना छोड़िए, पीने को पानी भी नहीं देते थे। धर्मेंद्र कब थाईलैंड गए, थाईलैंड जाने के बाद क्या हुआ, म्यांमार में क्या हुआ था, साइबर स्कैम वाले गिरोह के चंगुल से धर्मेंद्र कैसे छूटे? इन सवालों के जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर रिपोर्टर धर्मेंद्र के घर पहुंचे और उनके बातचीत की। पढ़ें पूरी रिपोर्ट…। मुजफ्फरपुर के शुभम के जरिए गया थाईलैंड गयाजी के छोटकी डेल्हा के रहने वाले धर्मेंद्र ने बताया कि, 2014 में ग्रेजुएशन करने के बाद पुणे चले गए थे। कुछ साल बाद शादी और दो बच्चे होने के बाद कोरोना में नौकरी चली गई। नौकरी ढूंढ रहे थे, इसी दौरान तीसरा बच्चा हुआ। घर में बुजुर्ग माता-पिता हैं। मां हाउस वाइफ हैं, पिता का सैलून है। घर की आर्थिक स्थिति खराब हो रही थी तो नौकरी के लिए एक दोस्त से बात की। उसने मुजफ्फरपुर के शुभम का नंबर दिया। शुभम ने थाईलैंड में 27 हजार थाई करेंसी (करीब 76 हजार रुपए) की सैलरी, फाइव स्टार होटल और मल्टीनेशनल कंपनी का ऑफर दिया। धर्मेंद्र बताते हैं कि, ऑफर अच्छा था तो हमने हां बोल दिया। कंपनी के बुलाने पर थाईलैंड चला गया। यहां से म्यांमार भेजा गया, लेकिन यहां कुछ ऐसा हुआ कि मानों सपना ही टूट गया। पता चला कि मैं साइबर स्कैम वाले गिरोह के चंगुल में फंस चुका हूं। थाईलैंड जाने के लिए एक लाख रुपए खर्च किए थे। वहां से घर आते-आते एक एजेंसी ने 50 हजार रुपए और ठग लिए। 7 राउंड इंटरव्यू, थाईलैंड में जॉब का ऑफर धर्मेंद्र के मुताबिक, दोस्त ने मुजफ्फरपुर के शुभम का नंबर दिया और कहा कि तुम इससे बात करो। तुम्हारी मदद करेगा। मुझे पैसे की जरूरत थी तो शुभम को कॉल किया। शुभम ने मेरा इंटरव्यू लिया। इसके बाद इसी साल जुलाई में करीब 7 राउंड इंटरव्यू के बाद थाईलैंड की एक कंपनी ने मुझे सिलेक्ट कर लिया। मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब का ऑफर मिला। धर्मेंद्र बताते हैं कि जिस कंपनी में मेरा सिलेक्शन हुआ था, उसका नाम ‘केके-5’ था। इस कंपनी को गूगल पर सर्च किया, लेकिन कुछ पता नहीं चला। फिर शुभम को कॉल कर इसकी जानकारी दी, तो उसने बताया कि ‘केके-5 एक पार्क है, जिसके अंदर कई बड़ी कंपनियां हैं। ये सुनकर मुझे तसल्ली हुई। 14 अक्टूबर को टिकट मिला, 19 अक्टूबर को मैं गयाजी से पटना पहुंचा और फिर फ्लाइट से 20 अक्टूबर को थाईलैंड पहुंच गया। थाईलैंड में फाइव स्टार होटल में ठहराया, फाइनल इंटरव्यू भी हुआ धर्मेंद्र ने बताया कि 20 अक्टूबर को थाईलैंड पहुंचने के बाद मुझे फाइव स्टार होटल में ठहराया गया। यहां भी फाइनल इंटरव्यू के नाम पर कुछ लोगों ने मुझसे बात की और कहा कि आपका सिलेक्शन प्रोसेस पूरा हो चुका है। फिर मैं अपने कमरे में आराम करने लगा। थोड़ी देर बाद दरवाजे पर एक शख्स पहुंचा और कहा सारा सामान पैक कर लो। ऑफिस चलना है। फिर मुझे महंगी गाड़ी में बैठाया गया। मेरे साथ 7 लोग और थे। हम लोगों को शहर से दूर जंगल और पहाड़ों की ओर ले जाया गया। जंगल और पहाड़ देखकर ड्राइवर से पूछा ऑफिस कितनी दूर है। इतना कहने के बाद ड्राइवर और उसके साथ मौजूद एक शख्स ने पिस्टल निकाल ली और कहा कि चुपचाप बैठे रहो नहीं तो गोली मार देंगे। कार रुकी तो बाइक सवारों के हवाले किया, सभी के हाथ में पिस्टल था धर्मेंद्र ने बताया कि जंगलों के बीच कार रुकी तो हमलोगों को बाइकर्स के हवाले कर दिया गया। इन लोगों ने जंगल के बीच एक कमरे में रखा। यहां कुछ अजीब लग रहा था। इस दौरान शुभम से बात की तो उसने कहा तुम लोगों को साइबर स्कैम वाले गिरोह के हाथों बेच दिया गया है और तुम्हारी लोकेशन फिलहाल म्यांमार में है। 23 अक्टूबर को अचानक म्यांमार की आर्मी ने कमरे पर छापा मारा और हम सभी 8 लोगों का रेस्क्यू कर ‘मिसार्ट’ नाम की जगह लेकर आया। धर्मेद्र के पिता बोले- बेटे के बंधक बनाए जाने की खबर सुनकर होश उड़ गए धर्मेंद्र के पिता उपेंद्र शर्मा ने बताया कि, सैलून का काम एक साल से बंद है। आमदनी का कोई स्रोत नहीं है। मुझे जैसे ही पता चला कि मेरा बेटा धर्मेंद्र म्यांमार में बंधक बना लिया गया है। तो मेरे होश उड़ गए। मेरी पत्नी दयमंती देवी बार-बार बेसुध हो रही थी। मैं तत्काल गयाजी के एसएसपी आनंद कुमार के पास पहुंचा। उन्होंने पहले भरोसा दिया कि आपके बेटे को कुछ नहीं होगा। मैं जांच कराता हूं। धर्मेंद्र की मां दमयंती ने कहा कि मेरा बेटा छोटी दिवाली के दिन घर से निकला था। तीन दिन बाद ही पता चला कि उसे बंधक बना लिया गया है। घर में 9 दिन का बच्चा है। जब उसे देखती थी तो और भी डर लगता था। मेरे बेटे को कुछ हो जाएगा, तो पोते-पोती को क्या होगा। लेकिन भगवान ने हमारी सुन ली और मेरे बेटे को सही सलामत भेज दिया।


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