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‘डांस नहीं कर पाओगी तो बच्चा गिराओ,शादी का सीजन है’:डांसर्स का दर्द- प्रेग्नेंसी में जबरन नचवाते हैं, पैसे नहीं निकले तो बच्चे को बेच दिया

‘प्रेग्नेंसी में भी जबरदस्ती नचवाया। बच्चा गिराने का दबाव डाला। डिलिवरी के तुरंत बाद शादियों में नाचने को कहा। मना किया तो 1 लाख रुपए कर्ज चढ़ा दिया। कहता था- जब तक पैसे नहीं चुकाओगी, कहीं नहीं जाने देंगे। मेरे नवजात बच्चे को छीनकर बेच दिया।’ इतना कहते-कहते शिवांगी की आंखों से आंसू बहने लगते हैं। अपने बच्चे को चूमते हुए कहती है। यही मेरी दुनिया है। यही मेरे लिए सब कुछ है। भगवान का शुक्र है कि यह मिल गया। यह दर्द है सारण के जनता बाजार के एक ऑर्केस्ट्रा में नाचने वाली शिवांगी सिंह राठौर का। यह कहानी सिर्फ शिवांगी की नहीं। इसके जैसी हजारों लड़कियां हैं जो ऑर्केस्ट्रा-थिएटर की दलदल में फंसी हैं। भास्कर की खास रिपोर्ट में पढ़िए, लोगों के मनोरंजन के लिए नाचने वाली ये लड़कियां पर्दे के पीछे कितना दर्द सहती हैं। क्यों यहां से निकल नहीं पातीं? हमने करीब 10 अलग-अलग लड़कियों, ऑर्केस्ट्रा और थिएटर संचालकों से बात की। इससे ये 6 बातें साफ हो गईं। सबसे पहले कहानी शिवांगी की, मालिक ने 24 दिन का बच्चा छीनकर बेच दिया शिवांगी उत्तर प्रदेश के कानपुर की रहने वाली है। उसने 26 नवंबर को जनता बाजार थाना में अपने ऑर्केस्ट्रा मालिक के खिलाफ केस किया। आरोप लगाया कि मालिक ने उसका 24 दिन का नवजात बच्चा छीनकर बेच दिया। पुलिस ने 48 घंटे के अंदर बच्चे को रिकवर कर शिवांगी को सौंपा। शिवांगी ने कहा, ‘मेरे घर की माली हालात ठीक नहीं थी। काम करने धनबाद आई। यहां के एक हॉस्पिटल में काम मिला। उसी हॉस्पिटल में मोहम्मद अहमद से मुलाकात हुई। अहमद भी वहीं काम करता था। हम दोनों को प्यार हुआ। हमने घरवालों की मर्जी से शादी की।’ उसने कहा, ‘मैं वापस कानपुर गई तो मेरी मुलाकात मम्मी की सहेली की बेटी से हुई। वह जनता बाजार के ऑर्केस्ट्रा में डांस करती थी। उसने बताया कि यहां एक सीजन डांस कर लिया तो काफी पैसे मिलेंगे। मैं उसके कहने पर जनता बाजार आई और फंस गई।’ शादियों का सीजन चल रहा है बच्चा गिरा दो शिवांगी ने बताया, ‘मैं जिस ऑर्केस्ट्रा संचालक के पास रहती थी, वह नाचने के बाद पैसे नहीं देता था। वहां पप्पू नाम के एक ऑपरेटर से मिली। वह मुझे जनता बाजार के ही हरि किशोर के पास ले गया। मैं किशोर के ग्रुप में डांस करने लगी। इसी दौरान प्रेग्नेंट हो गई।’ उसने कहा, ‘किशोर को पता चला तो उसने अपने भाई के प्राइवेट क्लिनिक में मेरा चेकअप करवाया। बोला कि अभी शादियों का सीजन चल रहा है। काफी ज्यादा प्रोग्राम है। बच्चे को गिरा दो। वह बार-बार मुझ पर बच्चा गिराने का दबाव बनने लगा। इसी तरह करीब 4 महीने निकल गए। वह चाह रहा था कि बच्चा गिर जाए ताकि मैं डांस कर सकूं। मैंने बच्चे को गिराने से साफ मना कर दिया और दूसरे डॉक्टर के पास चेकअप कराने जाने लगी।’ शिवांगी ने बताया, ‘हरि किशोर ने कहा कि मेरे भाई के पास ही चेकअप कराओ, यहां पैसे नहीं लगेंगे। उसकी एक किराना की दुकान थी, जिससे खाने-पीने का समान लेने के लिए बोलता था। प्रेग्नेंसी में भी मुझसे डांस कराया। 7वें महीने तक बच्चे को गिराने का दबाव बनाता रहा।’ शिवांगी ने आगे बताया, ‘हरि किशोर का भाई बोलता था कि बच्चे के गर्दन में गर्भनाल फंस गया है। बच्चे का वजन काफी ज्यादा बढ़ गया है। नॉर्मल डिलीवरी नहीं होगी। मैं गर्भपात कराने को तैयार नहीं हुई। 2 नवंबर को नॉर्मल डिलीवरी हुई। मेरा बच्चा स्वस्थ था। उसे कोई दिक्कत नहीं थी।’ डिलीवरी के 10 दिन बाद कहा- शादी में जाकर डांस करो शिवांगी ने कहा, ‘डिलीवरी के 10 दिन बाद ही मुझे नाचने के लिए शादियों में जाने के लिए बोलने लगा। मना किया तो 1 लाख रुपए से अधिक का कर्ज होने की बात कही। वह कहने लगा कि हॉस्पिटल में टोटल 75 हजार खर्च हुए है। डिलीवरी कराने के 30 हजार और बाकी दवाओं के पैसे हैं। किराना दुकान से 15 हजार से अधिक के सामान ली हो। कहा कि पैसे दो, नहीं तो नाचकर चुकाओ, वरना तुम्हारे बच्चे को बेच दूंगा।’ उसने कहा, ‘हरि किशोर बार-बार धमकी देता था। मैं वहां से निकल नहीं पा रही थी। 26 नवंबर की सुबह उसने मुझसे मेरा बच्चा छीन लिया। कहा कि इस बच्चे को बेचकर अपना पैसा निकालूंगा। इसके बाद मैंने जनता बाजार थाने में शिकायत की। सारण पुलिस का धन्यवाद। उनके चलते 48 घंटे में मुझे मेरा बच्चा मिल गया।’ छोटी थी तब माता-पिता मर गए, चाची ने पाला, फिर नाचने भेज दिया बंगाल की रहने वाली रश्मिका (बदला हुआ नाम) को सोनपुर मेले के थिएटर से रेस्क्यू किया गया है। फिलहाल उसे सीवान के शेल्टर होम में रखा गया है। रश्मिका की उम्र महज 15 साल है। एक लड़की के साथ उसकी चाची ने नाचने के लिए भेज दिया था। रश्मिका ने बताया, ‘मैं बंगाल के सियालदह जिला के एक गांव की रहने वाली हूं। छोटी थी तभी माता-पिता की मौत हो गई। चाची के साथ रहती थी। वह मुझे अपने पास नहीं रखना चाहती थी। मुझे एक लड़की के साथ बिहार भेज दिया। कहा था कि होटल में वेटर का काम करना है।’ उसने कहा, ‘वह लड़की मुझे छपरा लेकर आई। यहां एक कमरे में करीब 10 दिन रखा। कहती थी कि काम खोज रही हूं। 10 दिन बाद बोली कि अभी किसी होटल में जगह खाली नहीं है। सोनपुर मेले में थियेटर लगा है वहां डांस कर लो, एक रात के 3 हजार रुपए मिलेंगे।’ रश्मिका ने कहा, ‘मैंने कहा कि डांस नहीं करना चाहती। तब वह बोली कि यहां बैठाकर नहीं खिला सकती। वह मुझे जबरदस्ती थियेटर में डांस करने ले गई। यहां डांस करने के बाद जो पैसे मिलते थे वह मुझे नहीं देती थी। वो लड़की और उसका पति मेरे सारे पैसे रख लेते थे।’ मां की मौत के बाद भी नहीं जाने दिया घर, नहीं दिए पैसे हिमाचल प्रदेश कि पूजा (बदला हुआ नाम) दिल्ली के एक प्राइवेट कंपनी में काम करती थी। उसकी एक दोस्त सीवान के एक ऑर्केस्ट्रा में डांस करती थी। उसने पैसे का लालच दिया और बहला-फुसलाकर ले आई। पूजा ने बताया, ‘मैं दिल्ली में अच्छी-खासी जॉब कर रही थी। मेरी एक सहेली यहां ऑर्केस्ट्रा में डांस करती थी। फोन पर बातचीत में बताया कि यहां नाचने पर काफी पैसे मिलते है। ज्यादा नाचना भी नहीं होता। मैं ज्यादा कमाने के लालच में जॉब छोड़कर यहां आ गई। यहां पहुंची तो देखी कि एक ट्रैक्टर के ट्रॉली पर लड़कियां नाच रही हैं। नीचे लड़कों का झुंड है। वे बैड टच करते हैं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि इस तरह डांस करना होगा।’ उसने कहा, ‘इसी बीच मेरी मां की मौत हो गई। ऑर्केस्ट्रा मालिक ने मुझे घर नहीं जाने दिया। कहा कि शादियों का सीजन है। तुम्हारे नाम पर बुकिंग कर ली है। तुम्हें नहीं जाने दे सकता। उसने मेरे सारे पैसे रख लिए। पैसे मांगने पर पीटता था। कई बार भागने कि कोशिश कि लेकिन भाग नहीं पाई। एक बार भागते समय पकड़े जाने पर मालिक ने बहुत पीटा था।’ मेरी एक दोस्त ने सोनपुर मेला घूमने बुलाया, कराने लगी डांस बंगाल की आयुषी (बदला हुआ नाम) को भी थियेटर से रेस्क्यू किया गया है। उम्र 16 साल है। उसे सीवान के एक शेल्टर होम में रखा गया है। थियेटर में कैसे पहुंची? क्या थियेटर में परेशान किया जाता है? इन सवालों पर आयुषी ने बताया, ‘मेरी एक दोस्त छपरा में रहती थी। उसने फोन पर बातचीत के दौरान कहा कि छपरा आ जाओ सोनपुर मेला घूमेंगे। मैं उसके कहने पर आ गई। वह मुझे सोनपुर लेकर आई और यहां थियेटर में घुमाया। मैं यही रुक गई। उसी लड़की ने मुझे कहा कि रात में डांस करने पर एक रात के 2 हजार रुपए मिलते हैं। पैसे भी खूब उड़ाये जाते हैं। हर रोज 5 हजार से अधिक कमाई होगी। मैं पैसे के लालच में आ गई और डांस करने लगी।’ उसने कहा, ‘यहां डांस करने में काफी परेशानी होती थी। रात के 12 बजे तक ग्रुप में डांस करना होता है। आंखों पर तेज लाइट पड़ती थी, जिससे सूजन हो जाता था। आंखें दर्द करने लगती हैं। इतनी जलन होती है कि नींद नहीं आती। लड़कियां छोटे-छोटे कपड़े पहन कर डांस करती हैं। लड़कों को गलत इशारे करती हैं। मुझे भी छोटे कपड़े पहन कर स्टेज पर जाने और गलत इशारे कर डांस करने के लिए कहा जाता था।’ आयुषी ने कहा, ‘मुझे यह सब पसंद नहीं था। डर लगता था कि वीडियो मेरे घर तक न पहुंच जाए। क्योंकि थियेटर में लोग वीडियो भी बनाते थे। मैं यहां से निकलना चाहती थी, लेकिन मेरी दोस्त धमकी देती थी कि ऐसा करोगी तो डांस का वीडियो गांव में वायरल कर दूंगी। उसने मेरे नाम पर मालिक से एडवांस पैसे लिए थे। मैं डरती थी कि घर के लोगों और गांव वालों को मेरे नाचने के बारे में पता चल जाएगा। इसलिए नहीं जाती थी।’ वायरल होने के लिए थियेटर पहुंची 15 साल की रुही 15 साल की रुही (बदला नाम) बंगाल के दुर्गापुर की रहने वाली है। उसके गांव की एक लड़की डांसर है। वह सोशल मीडिया पर काफी वायरल है। पहले ऑर्केस्ट्रा में डांस करती थी बाद में थियेटर में डांस करने लगी। वायरल होने के बाद महंगे i-phone लेकर घूमती है। उसी से प्रभावित होकर रुही भी थियेटर में आ गई। रुही ने बताया, ‘मेरे गांव की एक लड़की महंगे फोन दिखाती है। रोज नए-नए कपड़े पहनती है। उसके पास अपनी गाड़ी भी है। इंस्टाग्राम पर काफी फेमस है। उसे एल्बम में काम मिलने लगा है। मुझे भी वायरल होना था। इसलिए उसी के साथ सोनपुर आ गई। उसके साथ डांस करती थी।’ उसने कहा, ‘मैंने देखा कि थियेटर में लड़कियां गलत इशारे कर डांस कर रही हैं। उसी से फेमस हो रही हैं। सोशल मीडिया पर वायरल होने का यही शॉर्टकट फॉर्मूला है। यह सब मुझसे नहीं होता था। जिसके साथ मैं आई थी वह लड़कों को गलत इशारे करने के लिए कहती थी। मना करती थी तो मुझे डराती-धमकाती थी।’ कैसे चलता है ऑर्केस्ट्रा? नाचने वाली लड़कियां कैसे आती हैं? ऑर्केस्ट्रा कैसे चलता है? नाचने वाली लड़कियां कौन हैं? कहां से आती हैं? यह जानने के लिए हमने ऑर्केस्ट्रा की राजधानी कहे जाने वाले जनता बाजार के एक ऑर्केस्ट्रा संचालक से बात की। कैमरे पर नहीं आने की शर्त पर उसने पूरा सिस्टम समझाया। उसने बताया, ‘90 के दशक से ऑर्केस्ट्रा का चलन बढ़ा है। पहले बंगाल से नाचने वाली लड़कियां आती थीं। वे प्रोफेशनल डांसर होती थी। ऑर्केस्ट्रा की बुकिंग सबसे शादी में ज्यादा होती थी। प्रोफेशनल डांसर बुलाए जाने के चलते उस समय ऑर्केस्ट्रा काफी महंगा था। बड़े लोग ही बुकिंग कराते थे।’ ऑर्केस्ट्रा संचालक ने आगे बताया, ‘जैसे-जैसे मांग बढ़ी ऑर्केस्ट्रा की संख्या बढ़ गई। पहले अश्लील डांस नहीं होता था, लेकिन अब बहुत कंपटीशन है। जिसके ग्रुप में जितना ज्यादा अश्लील डांस होता है उसकी मांग उतनी ही ज्यादा होती है। लड़कियां जितने कम कपड़े पहनती हैं उतने ही ज्यादा पैसे लुटाए जाते हैं। इसलिए मालिक भी कम कपड़े पहनकर डांस करने को कहते हैं।’ नाचने के लिए लड़कियां कैसे लाई जाती हैं? इस सवाल पर ऑर्केस्ट्रा संचालक ने कहा, ‘लड़कियां कई तरह से आती हैं। बहुत सी लड़की तो अपनी इच्छा से यहां डांस करने आती है। अधिकतर गरीब परिवार से होती हैं। सबसे अधिक लड़कियां बंगाल से आती हैं। इसके बाद नेपाल, असम, हरियाणा और दिल्ली से भी आती हैं। ऑर्केस्ट्रा को ज्यादातर महिलाएं मैनेज करती हैं। ये पुरानी डांसर होती हैं। उसका कनेक्शन बंगाल, नेपाल, असम सभी जगह रहता है। बहुत से ऑर्केस्ट्रा संचालकों ने डांसरों से शादी की है। वही, डांसर बाद में ऑर्केस्ट्रा चलाने लगती है। लड़कियों को काम दिलाने के नाम पर बुलाती है। डांसर को प्रति नाइट के हिसाब से पैसे दिए जाते है। यह 1 हजार से लेकर 3 हजार रुपए तक हो सकता है। क्या लड़कियों की खरीद बिक्री भी होती है? इस सवाल पर ऑर्केस्ट्रा संचालक ने कहा, ‘ऐसा भी होता है कि लड़की को उसका प्रेमी लेकर आए और उसे ऑर्केस्ट्रा संचालक के हाथों बेच दे। ऐसे में डील 1-3 लाख रुपए तक हो सकती है। ऑर्केस्ट्रा संचालक उसे नचाकर अपने पैसे वसूलता है। बाद में किसी दूसरे ग्रुप को बेच देता है।’ तिरहुत इलाके में बचाई गईं 2 हजार से ज्यादा लड़कियां ऑर्केस्ट्रा और थियेटर में डांस करने वाली प्रताड़ित लड़कियों को बचाने में कई NGO स्थानीय प्रशासन के सहयोग से काम कर रही हैं। सारण, गोपालगंज और सीवान में ऑर्केस्ट्रा से सबसे अधिक लड़कियों को बचाया गया है। मिशन मुक्ति फाउंडेशन के चेयरमैन वीरेंद्र सिंह ने कहा, ‘सिर्फ तिरहुत इलाके में अब तक 2 हजार से अधिक लड़कियों को आजाद कराया गया है। कुछ लड़की अपनी इच्छा से नाचने आती है, लेकिन बहुत सी लड़कियों को जबरदस्ती नचवाया जाता है। कई 18 साल से कम उम्र की होती हैं। उन्होंने कहा, ‘हम उनका रेस्क्यू करते हैं। जो लड़की अपने मां-बाप के पास जाना चाहती है उसे उनका HIR (होम इंवेस्टिेगेशन रिपोर्ट) और SIR (सोशल इंवेस्टिेगेशन रिपोर्ट) कराकर भेज देते हैं। जो नहीं जाना चाहतीं उसे शेल्टर होम में रखा जाता है। लड़कियों को बचा रही आवाज दो मुहिम सारण के एसपी डॉ आशीष ने बताया कि ऑर्केस्ट्रा संचालकों के लिए एक गाइडलाइन जारी की गई है। उनके लिए SDO से रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। यह तय करना है कि किसी भी लड़की की उम्र 18 साल से कम नहीं हो। किसी भी लड़की की खरीद-बिक्री कर उसे नहीं नचाना है। किसी भी लड़की से जबरदस्ती डांस नहीं कराना है।


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