जन सुराज के संस्थापक और पूर्व पोल स्ट्रैटेजिस्ट प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी नई पार्टी के एक भी सीट न जीत पाने पर चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने हार को ‘बहुत बुरी’ बताते हुए दावा किया कि चुनाव में ‘धांधली’ हुई थी।
इंडिया टुडे से बात करते हुए किशोर ने कहा कि उनके महीनों लंबे जन सुराज यात्रा के दौरान मिले जमीनी फीडबैक और वोटिंग ट्रेंड्स में तालमेल नहीं था। उन्होंने कहा, ‘कुछ गलत हुआ’ लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि उनके पास इस आरोप को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है।
एनडीए पर बड़ा आरोप
किशोर ने सीधे तौर पर नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस पर चुनाव नतीजों में हेरफेर करने के लिए महिलाओं को पैसे देने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया, ‘चुनाव की घोषणा से वोटिंग तक, हज़ारों महिला वोटर्स को 10 हजार रुपये दिए गए। उन्हें यह कहकर गुमराह किया गया कि यह कुल 2 लाख रुपये के वादे की पहली किस्त थी, जो एनडीए या नीतीश कुमार को वोट देने पर मिलेगी।’
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लालू के ‘जंगल राज’ का डर
किशोर ने ‘लालू प्रसाद यादव के ‘जंगल राज’ की वापसी के डर’ को हार की एक और बड़ी वजह बताई। उन्होंने कहा कि कई वोटर्स ने माना कि अगर उन्होंने जन सुराज को वोट दिया और पार्टी नहीं जीती, तो इससे लालू को सत्ता में लौटने का मौका मिल सकता है। इसी डर ने वोटर्स को उनकी पार्टी से दूर कर दिया।
बिहार की 243 में से 238 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली जन सुराज एक भी सीट नहीं जीत पाई और उसे सिर्फ 2 से 3 प्रतिशत वोट मिले। हालांकि, किशोर ने अपने राजनीतिक करियर के खत्म होने की बात को सिरे से खारिज करते हुए कहा, ‘अभी कहानी बाकी है।’
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