भागलपुर जिले के जगदीशपुर प्रखंड के किसान कृषि विभाग की निरीक्षण प्रक्रिया से नाराज़ हैं। उनका आरोप है कि कतरनी धान के खेतों का निरीक्षण करते समय अधिकारी दूरदराज के खेतों तक नहीं पहुंच रहे हैं। किसानों का कहना है कि केवल मुख्य सड़क के किनारे स्थित खेतों का ही निरीक्षण किया जा रहा है। उनके अनुसार, अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जहां तक वाहन जा सकेगा, वहीं तक निरीक्षण होगा और उन्हीं किसानों को अनुदान मिलेगा। इससे दूरदराज के किसानों को अनुदान मिलने में अनिश्चितता पैदा हो गई है। सरकार ने इस वर्ष कतरनी धान को बढ़ावा देने के लिए प्रति एकड़ 6000 रुपए की प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की थी। इसी उम्मीद में किसानों ने खेती की थी, लेकिन अब निरीक्षण नहीं होने के कारण कई किसान इस लाभ से वंचित होने की आशंका जता रहे हैं। किसानों ने यह भी आरोप लगाया है कि पंजीकरण के समय बिचौलियों ने पैसे लेकर ही अधिकांश किसानों का रजिस्ट्रेशन कराया। जिन किसानों ने पैसे नहीं दिए, उनके नाम सूची में शामिल नहीं किए गए। अब पंजीकृत किसानों से भी विभिन्न प्रकार की वसूली की शिकायतें मिल रही हैं। सैनो पंचायत के किसान रवि रंजन सिंह और अन्य ने बताया कि कतरनी धान की खेती पहले से ही जोखिम भरी है। इसकी कटाई देर से होती है, जिससे रबी की बुवाई प्रभावित होती है। इसके अतिरिक्त, बाजार में उचित मूल्य नहीं मिलता और बिचौलिए लाभ उठा ले जाते हैं। अब निरीक्षण में हो रही मनमानी ने किसानों की चिंता और बढ़ा दी है। इस संबंध में प्रखंड कृषि पदाधिकारी प्रीति कपूर ने कहा कि सभी कतरनी किसानों के खेतों का निरीक्षण किया जाएगा और कोई भी किसान लाभ से वंचित नहीं रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले दो-तीन दिनों से सर्वर की समस्या के कारण काम प्रभावित हुआ है। किसानों ने सरकार और कृषि विभाग से मांग की है कि सभी खेतों का निष्पक्ष निरीक्षण सुनिश्चित किया जाए, ताकि प्रोत्साहन राशि का लाभ प्रत्येक योग्य किसान तक पहुंच सके।
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