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चार वर्षों से बदहाल गंगवा-बखरौर मार्ग

सिटी रिपोर्टर | गोपालगंज जिले में एक ओर जहां विकास के दावे और चिकनी सड़कों का जाल बिछाने की बातें हो रही हैं, वहीं सिधवलिया से गंगवा-बखरौर को जोड़ने वाली मुख्य सड़क इन दावों की पोल खोलती नजर आ रही है। करीब पांच किलोमीटर लंबा यह मार्ग पिछले चार साल से बदहाल हालत में है। सड़क पर जगह-जगह दो सौ से अधिक गहरे गड्ढे और खुदी खाइयां लोगों की परेशानी के साथ-साथ गंभीर हादसों का कारण बन रही हैं। यह सड़क पूर्वांचल क्षेत्र का प्रमुख संपर्क मार्ग होने के साथ-साथ सीवान जिले के गोरेयाकोठी प्रखंड को भी जोड़ती है, लेकिन इसके बावजूद यहां मरम्मत का कोई काम अब तक शुरू नहीं हो सका है। इस मार्ग से ही अस्पताल और निजी क्लिनिक के लिए लोग जाते हैं। इस वजह से मरीजों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए यह सड़क सबसे अधिक खतरनाक साबित होती है। झटकों के कारण रीढ़ और मांसपेशियों पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका रहती है। ग्रामीणों के अनुसार सड़क की हालत इतनी खराब है कि यहां रोज 1-2 दुर्घटनाएं होना आम बात है। बाइक, ऑटो और छोटे वाहनों के पलटने की घटनाओं से लोग घायल हो रहे हैं। वहीं, उबड़-खाबड़ सड़क वाहनों की चेचिस और इंजन तक खराब कर देती है, जिससे लोगों पर आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है। रोजाना 10 हजार से ज्यादा का चलन स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रतिदिन इस मार्ग से 10 हजार से अधिक लोगों की आवाजाही होती है। स्कूली बच्चों, नौकरीपेशा लोगों, मजदूरों और ग्रामीणों को मजबूरी में इसी जर्जर सड़क का सहारा लेना पड़ता है। बारिश के दिनों में स्थिति और विकराल हो जाती है, जब गड्ढे पानी से भर जाते हैं और सड़क गड्ढे में गुम हो जाती है। ऐसे में वाहन सवारों को अंदाजा तक नहीं लग पाता कि किस तरफ गहरी खाई है और किस तरफ समतल जमीन। विभागीय उदासीनता व प्रतिनिधियों की चुप्पी सड़क अहम होने के बावजूद विभागीय उदासीनता और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता से स्थानीय लोगों में आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि यह मार्ग दो पंचायतों के बीच स्थित होने के कारण उपेक्षित रह जाता है। मरम्मत योजना की फाइल कब आती है और कब गायब हो जाती है, किसी को इसका ठीक से पता नहीं चलता। ग्रामीणों की मांग : ढिलाई नहीं, कार्रवाई चाहिए सिधवलिया कली टोला निवासी अजय कुमार और बखरौर निवासी ध्रुव देव पांडेय बताते हैं कि लोगों की मांग काफी सरल है। सड़क की तत्काल मरम्मत, गड्ढों को भरने के अस्थायी इंतजाम, मार्ग पर चेतावनी संकेत और रात में स्ट्रीट लाइट लगाई जाए। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक विभाग अपनी जिम्मेदारी तय नहीं करेगा और जनप्रतिनिधि आवाज नहीं उठाएंगे, तब तक यह मार्ग जोखिम का पर्याय बना रहेगा।लोगों की पुकार साफ है कि विकास का वादा सड़क की वास्तविकता में दिखना चाहिए।


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