गोरखपुर के तुर्कमानपुर में सुन्नी दारुल कजा व दारुल इफ्ता का उद्घाटन घोसी (मऊ) के प्रसिद्ध धर्मगुरु और लेखक डॉ. मुहम्मद आसिम आजमी ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत कुरआन-ए-पाक की तिलावत और नात-ए-पाक से हुई। मुख्य अतिथि डॉ. आसिम आजमी ने कहा कि दारुल कजा मुसलमानों के विवाह, संपत्ति और पारिवारिक विवाद जैसे मामलों का हल कुरआन और सुन्नत की रोशनी में करता है। वहीं दारुल इफ्ता मजहबी मामलों पर इस्लामी राय प्रदान करेगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इस संस्था से अधिक से अधिक जुड़ें और लाभ उठाएं। हर रोज दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक खुलेगा कार्यालय
सुन्नी दारुल कजा व दारुल इफ्ता के संचालक नायब काजी मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी ने बताया कि कार्यालय प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहेगा। यहाँ मुसलमानों के पारिवारिक विवाद, विवाह और विरासत के मामलों में मार्गदर्शन और समाधान उपलब्ध कराया जाएगा। शहर काजी मुफ्ती खुर्शीद अहमद मिस्बाही ने बताया कि दारुल कजा में किसी विवाद में दोनों पक्षों और उनके परिजनों को बुलाकर कुरआनी सिद्धांतों के आधार पर समझौता कराया जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन मामलों की सुनवाई अदालतों में चल रही हो, उन पर दारुल कजा में कार्यवाही नहीं होगी। अमन और भाईचारे की दुआ के साथ हुआ समापन
विशिष्ट अतिथि मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि यह केंद्र मुसलमानों के छोटे-मोटे मजहबी विवादों को सुलझाने में सहायक सिद्ध होगा। कार्यक्रम के अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन, भाईचारा और विकास की दुआ की गई। उद्घाटन समारोह में हाफिज नजरे आलम कादरी, कारी नसीमुल्लाह, मौलाना वसीम, मौलाना रियाजउद्दीन, हाफिज सैफ अली, हाफिज अशरफ रजा, मौलाना महमूद रजा कादरी, हाफिज आफताब आलम, हाफिज रजी अहमद बरकाती, अली गजनफर शाह और अख्तर सहित कई धर्मगुरु व गणमान्य लोग मौजूद रहे।
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