सिटी रिपोर्टर | मोतिहारी गीता भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। हिन्दू धर्मग्रंथों में गीता का सर्वप्रथम स्थान है। इसका प्रादुर्भाव मार्गशीर्ष (अगहन) माह में शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को कुरुक्षेत्र में हुआ था। इस ग्रंथ में अठारह अध्यायों एवं सात सौ श्लोकों में संचित ज्ञान मनुष्य मात्र के लिए बहुमूल्य है। उक्त विचार सोमवार को महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय में आयोजित गीता जयन्ती समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि गीता में सम्पूर्ण वेदों का सार निहित है। इसकी महत्ता को शब्दों में वर्णन करना असंभव है। गीता में अत्यंत प्रभावशाली ढंग से धार्मिक सहिष्णुता की भावना प्रस्तुत की गई है जो भारतीय संस्कृति की एक विशेषता है। अन्य वक्ताओं में प्रो.देवेन्द्रनाथ पाण्डेय, कृष्ण कुमार, सुधीर दत्त पाराशर, राजन पाण्डेय, कुन्दन पाठक, विकास पाण्डेय, मिथिलेश पाण्डेय आदि ने विचार व्यक्त किए। संचालन रूपेश कुमार ओझा एवं धन्यवाद ज्ञापन राकेश तिवारी ने किया। इस अवसर पर वेदपाठी बटुकों द्वारा वैदिक मंगलाचरण तथा सामूहिक गीता पाठ किया गया। डॉ. अमित कुमार दूबे, सुधाकर पाण्डेय आदि मौजूद थे।
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