DniNews.Live

Fast. Fresh. Sharp. Relevant News

खेतों में पानी लगने से धान की कटनी हो रही है प्रभावित

सिटी रिपोर्टर| मोतिहारी मौसम की बेरुखी के कारण इस बार रबी के फसलों की बोआई देर से होगी। बताया जा रहा है 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक गेहूं की बोआई का उत्तम समय हैं। लेकिन, अब तक जिले के 65 प्रतिशत रकवा में धान की फसल की कटनी भी शुरु नहीं हो पाई है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में मोंथा तूफान से हुई बारिश ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है। धान के खेत में पानी जमा होने के कारण कटनी प्रभावित हो रही है। वहीं रबी की बोआई में भी देर हो रही है। इस बार दोहरे घाटा का सामना किसानों को करना पड़ सकता है। एक तो धान के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा है। तूफान व बारिश के कारण धान की फसल खराब हो गई है। केवीके पीपरा कोठी के प्रमुख डॉ. अरविंद कुमार सिंह के अनुसार गेहूं की बोआई का बेहतर समय 15 नवंबर से 5 दिसंबर है। क्योंकि इसके बाद ठंड का असर बढ़ने लगता है। ऐसे में देर से बोआई पर जर्मिनेशन व अन्य समस्याओं का सामना गेहूं की फसल को करना पड़ता है, लेकिन हालात ऐसे हैं कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि 20 दिसंबर से पहले गेहूं की बोआई संभव नहीं है। इधर विभाग द्वारा जिले में रबी फसलों की बोआई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिले में 1,54,810 हेक्टेयर भूभाग पर रबी फसलों के आच्छादन का लक्ष्य है। इसमें गेहूं के लिए 1,18000 हेक्टेयर, रबी मक्का 20100 हेक्टेयर, मसूर 8500 हेक्टेयर, मटर 800, चना 250, अन्य दलहन 1200, राई व सरसों 3790 व तीसी 2270 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित है। किसान राम मनोज यादव, राय सुन्दरदेव शर्मा, सूरज महतो, प्रमोद प्रसाद, मो.सगीर आदि ने बताया कि मौसम का मिजाज देखकर लगता है कि इस बार गेंहू की खेती प्रभावित हो सकता है। नवंबर का तीसरा सप्ताह बीत रहा है मगर निचले इलाके के खेतों में अभी भी नमी की मात्रा काफी है। ऊपर से टेम्प्रेचर भी अधिक है। ऐसे में गेंहू की खेती प्रभावित होने की संभावना अधिक है। जिले के विभिन्न क्षेत्र में अभी भी धान के खेतों में पानी जमा हुआ है। खासकर निचले क्षेत्र में जलजमाव की समस्या किसानों को परेशान कर दिया है। उन खेतों में धान के फसल गिरने के कारण वह धान लगभग बेकार हो चुका है। किसानों को सरकारी स्तर से भी किसी भी प्रकार के सहयोग नहीं मिले है। ऐसे में किसान काफी परेशान हैं। गौरतलब है कि जिले में 1,85000 हेक्टेयर में धान का आच्छादन हुआ है। जिसमें अबतक मात्र 35 प्रतिशत अर्थात 64750 हेक्टेयर में ही धान की कटनी हुई है। पानी की वजह से किसान खेतों से धान फसल नहीं निकल पा रहे हैं। जिन खेतों से पानी सूख गया है, धान फसल खराब हो जाने के कारण उसे बाहर निकालने के लिए मजदूर नहीं मिल रहा है। किसान जैसे तैसे कर खेतों से सड़े हुए धान के फसल को बाहर निकाल कर तैयार करने में जुटे हैं। पानी सूखने के बावजूद फसल हो रही खराब


https://ift.tt/FC0xBXM

🔗 Source:

Visit Original Article

📰 Curated by:

DNI News Live

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *