बिहार की नीतीश सरकार ने बुधवार को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 91,717.11 करोड़ रुपए की सेकेंड सप्लीमेंट्री बजट पेश की। बजट की राशि चौकाने वाली है। एक्सपर्ट की मानें तो सरकार की तरफ से पेश किए गए सप्लीमेंट्री बजट में यह अब तक की सबसे ज्यादा राशि है। सरकार सबसे ज्यादा पैसे मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना और वृद्धजन पेंशन योजना पर खर्च करने वाली है। आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाही में जानेंगे कि आखिर सरकार को इतनी बड़ी राशि वाली सप्लीमेंट्री बजट लाने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या चुनावी घोषणाओं ने सरकार का बजट बिगाड़ा या अधिकारी बजट का सही अनुमान नहीं लगा पाए? ये सप्लीमेंट्री बजट होता क्या है? मुख्य बजट की 47% राशि सप्लीमेंट्री बजट से वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने 3 मार्च 2025-26 को पेश किया था। इसकी राशि 3,16,895 करोड़ रुपए थी। इसके बाद से सरकार 2 सप्लीमेंट्री बजट ला चुकी है। इस वित्तीय वर्ष का पहला सप्लीमेंट्री बजट 21 जुलाई 2025 को पेश किया गया था। यह 57,946 करोड़ रुपए का था। दूसरा सप्लीमेंट्री बजट अब नई सरकार बनने के बाद 3 नवंबर 2025 को पेश किया गया। यह 91,717 करोड़ रुपए का है। अगर दोनों सप्लीमेंट्री बजट की राशि जोड़ दें तो यह 1,49,663 करोड़ रुपए होती है, जो मेन बजट का 47% है। योजना मद में मुख्य बजट से 87% राशि सप्लीमेंट्री बजट में बजट की राशि को दो तरीके से खर्च किया जाता है, एक पेंशन और सैलरी में और दूसरा योजना मद में। योजना मद की राशि को सरकार लोक कल्याणकारी योजनाओं में खर्च करती है। मार्च 2025 में पेश बजट में सरकार ने योजना मद में 1 लाख 16 हजार करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की थी। जबकि सरकार ने फर्स्ट सप्लीमेंट्री बजट में 36 हजार 159 करोड़ रुपए और सेकेंड सप्लीमेंट्री बजट में 51 हजार 253 करोड़ रुपए योजना मद में स्वीकृत की। अगर दोनों सप्लीमेंट्री बजट की योजना मद की राशि जोड़ दें तो ये 87 हजार 412 करोड़ रुपए है। यानि कि मुख्य बजट के योजना मद की 87% राशि सरकार को सप्लीमेंट्री बजट में पास कराना पड़ा। क्यों सरकार को इतना मेगा सप्लीमेंट्री बजट लाना पड़ा 1- बजट बनाने का अनुमान नहीं अर्थशास्त्री के मुताबिक अगर केवल सेकेंड सप्लीमेंट्री को ही लें तो ये सरकार के कुल बजट का लगभग एक तिहाई है। दोनों सप्लीमेंट्री को जोड़ दें तो आंकड़ा 47 प्रतिशत के करीब पहुंच जाता है। ऐसे में ये कारण स्पष्ट नहीं है कि सरकार को अपने बजट में इतने बड़े फेरबदल की जरूरत क्यों महसूस हुई। यह अपने आप में अभूतपूर्व है। इसके दो कारण समझ में आ रहे हैं या तो सरकार अपने खर्च का सही अनुमान नहीं लगा पाई या अनुमान पूरी तरह फेल हो गया। 2- चुनावी घोषणाओं ने बिगाड़ा सरकार का बजट चुनाव से ठीक पहले नीतीश सरकार ने घोषणाओं की झड़ी लगा दी थी। ये सारी घोषणाएं लोक कल्याणकारी थीं और इसका सीधा असर सरकार के बजट पर पड़ा। इसमें मुख्य रूप से महिलाओं को स्वरोजगार के लिए 10-10 हजार रुपए देना, 125 यूनिट मुफ्त बिजली, पेंशन की राशि में वृद्धि, रसोइया के वेतन में वृद्धि, आंगनवाड़ी सेविकाओं के वेतन में बढ़ोतरी जैसी योजनाएं शामिल हैं। इस सप्लीमेंट्री बजट का क्या असर हो सकता है? नुकसान- कर्ज का बोझ बढ़ेगा पटना यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर अविरल पांडेय ने कहा, ‘पहले और दूसरे अनुपूरक बजट को मिलाकर वार्षिक बजट का लगभग 44% तक पहुंचना इस विस्तारवादी नीति का बड़ा नुकसान भी हो सकता है। अगर सरकार राजस्व बढ़ाने की मजबूत प्लानिंग नहीं करती है तो कर्ज का बोझ बढ़ेगा।’ अविरल पांडेय बताते हैं, ‘यह बजट एनडीए और नीतीश कुमार के लिए राजनीतिक रूप से दक्ष और आर्थिक रूप से आक्रामक कदम है। लंबे समय में इसका फायदा तभी तय होगा जब वित्तीय अनुशासन, राजस्व सुधार और रिजल्ट के आधार पर खर्च की नीति को मजबूती से लागू किया जाए।’ नफा- नकदी प्रवाह बढ़ेगा अविरल पांडेय बताते हैं, ‘नीतीश कुमार के नेतृत्व में वित्तीय और राजनीतिक दोनों अर्थों में यह एक बड़ा दांव है। सरकार ने महिला रोजगार, पेंशन और बिजली सब्सिडी के जरिए मांग बढ़ाने की स्पष्ट रणनीति अपनाई है।’ उन्होंने कहा, ‘यह साफ संकेत है कि एनडीए अपने चुनावी वादों को गंभीरता से ले रही है। यह खर्च एक सुनियोजित डिमांड को बढ़ावा देगा, जिससे कम समय में खर्च तेज होगा, स्थानीय बाजार सक्रिय होंगे और ग्रामीण-शहरी अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह बढ़ेगा।’ अब समझिए, क्या होता है सप्लीमेंट्री बजट? सरकार हर वित्तीय वर्ष के लिए बजट पेश करती है। इसमें उस वर्ष की आमदनी और खर्च का लेखा-जोखा होता है। कई बार इस बजट से इतर अधिक खर्च करने की जरूरत महसूस होती है। ऐसा किसी आपदा, युद्ध या दूसरी खास परिस्थितियां के चलते हो सकता है। ऐसे में अनुपूरक यानि कि सप्लीमेंट्री बजट पेश करना आवश्यक हो जाता है। यही सप्लीमेंट्री बजट है। नीतीश सरकार का खजानाः कमाई से ज्यादा वेतन-पेंशन पर खर्च बिहार बजट 2025-26 के मुताबिक, नीतीश सरकार को मुख्य रूप से टैक्स और सेवा शुल्क जैसे स्रोतों से आमदनी होती है। इस कमाई का काफी बड़ा हिस्सा (करीब 37%) वेतन, पेंशन, ब्याज भुगतान और रोजमर्रा के कार्यों पर खर्च होता है। 2025-26 के बजट अनुमान (BE) के मुताबिक, केंद्र सरकार से बिहार को 1,93,091 करोड़ रुपए मिलने वाले हैं। यह राज्य की कुल आमदनी का 74% होगा। 2025-26 के बजट अनुमान (BE) के मुताबिक, बिहार सरकार की अपने स्रोतों से 67,741 करोड़ रुपए कमाई होगी। जबकि, सरकार का इस वित्तीय वर्ष में वेतन-पेंशन पर 65 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होगा। इसके अलावा चुनाव से पहले मुफ्त बिजली और जीविका आशा-ममता वर्करों की सैलरी बढ़ाने और महिलाओं को 10 हजार रुपए देने जैसे लुभावने योजनाओं का ऐलान हुआ है। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, बिजली सब्सिडी पर 18,300 करोड़ रुपए बजट से अतिरिक्त खर्च होगा। जीविका, आशा-ममता और महिलाओं को पैसा देने पर 40 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च हुआ है। दोनों मिलाकर 58,300 करोड़ रुपए अतिरिक्त बोझ पहले से है। आमदनी और खर्च के अंतर को कर्ज से पूरा किया जाता है। पिछले दो साल से राज्य सरकार घाटा कम करने के टारगेट को पूरा नहीं कर पाई है। अभी के लोकलुभावन खर्चों को देखते हुए कहा जा सकता है कि राज्य सरकार के लिए 3% राजकोषीय घाटे को मेंटेन करना कठिन होगा। सरकार सबसे ज्यादा राशि कहां खर्च कर रही? सेकेंड सप्लीमेंट्री की सबसे ज्यादा राशि सरकार मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना पर खर्च करेगी। इसके लिए 21 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसके बाद 1885.65 करोड़ रुपए के खर्च का प्रावधान मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना के लिए किया गया है। स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के लिए 800 करोड़ रुपए और सड़कों के निर्माण के लिए 861 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। 1.5 करोड़ महिलाओं को सरकार 10-10 हजार दे चुकी है 29 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘महिला रोजगार योजना’ का ऐलान किया था। इसमें 18 से 60 साल की बिहार की महिलाओं को 2 लाख रुपए बिजनेस शुरू करने के लिए देने की बातें कही गई। कहा गया कि आवेदन करने वाली महिलाओं को पहले 10 हजार रुपए दिए जाएंगे। फिर उनके बिजनेस का एनालिसिस किया जाएगा। इसके बाद ही उन्हें 2 लाख रुपए दिए जाएंगे। सितंबर से अब तक सरकार ने 6 किश्त जारी किए हैं, जिसमें 1.50 करोड़ महिलाओं को रुपए दिए गए हैं।
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