एक्यूआई लेवल मापने वाली महज 6 मशीनें, जिले के 3202 वर्ग किमी में से 3042 वर्ग किमी इलाका इनके रडार से बाहर
पटना जिले के करीब 95 फीसदी इलाके में रहने वाले लोगों को पता नहीं चलता कि वे कैसी हवा में सांस ले रहे हैं? पटना और इससे सटे नगर परिषद क्षेत्र के करीब 5 फीसदी इलाके में रहने वालों काे ही हवा की गुणवत्ता की जानकारी मिल पाती है, क्योंकि यहीं एक्यूआई लेवल मापने वाली छह मशीनें लगी हैं। पटना सिटी से दानापुर नगर तक करीब 160 वर्ग किमी में ही एक्यूआई लेवल मापा जा रहा है। पटना जिले का कुल क्षेत्रफल करीब 3202 वर्ग किमी है। जिले के बिहटा, मसौढ़ी, पालीगंज, बाढ़, बिक्रम सहित अन्य प्रखंडों में आबादी तेजी से बढ़ रही है। राजधानी के आसपास के प्रखंडों में तेजी से आबादी बढ़ने के साथ-साथ बाजार भी बढ़ रहे हैं। पैसेंजर वाहनों की संख्या बढ़ी है। सुबह से रात 8 बजे तक सड़कों पर छोटे-बड़े वाहन दौड़ते रहते हैं। लेकिन, इन इलाकों में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा एक्यूआई लेवल मापने वाली मशीन नहीं लगाई गई है। वायु प्रदूषण विशेषज्ञ डॉ. प्रतिमा सिंह के मुताबिक, पटना जिले की आबादी करीब 60 लाख है। इस हिसाब से 9 एक्यूआई लेवल मशीनें होनी चाहिए। अभी 6 मशीनें लगी हैं, 3 और लगाने की जरूरत है।
राजधानी के तारामंडल और वेटनरी मैदान इलाके की हवा काफी खराब दानापुर इलाके में चल रहे 13 हजार निर्माण प्रोजेक्ट, पर यहां वाटर जेट स्प्रिंकल ही नहीं
पटना के आसपास दानापुर, फुलवारीशरीफ, फतुहा और संपतचक नगर निकाय हैं। दानापुर नगर परिषद इलाके में गोला रोड से लेकर आरपीएस, सगुना मोड़ और खगौल रोड के 15 किमी के चौतरफा हिस्से में वायु प्रदूषण रोकने के लिए उपाय नहीं किए जा रहे हैं। दानापुर नगर परिषद क्षेत्र में करीब 13 हजार अपार्टमेंट्स का निर्माण चल रहा है। लेकिन, 95 प्रतिशत जगहों पर ग्रीन नेट का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। दाे स्वीपिंग मशीनें हैं, जिनसे सड़क की धूल साफ की जाती है। वाटर जेट स्प्रिंकल मशीन नहीं है। ऐसे में इतने बड़े इलाके में वायु प्रदूषण को रोकना बिल्कुल संभव नहीं है। फुलवारीशरीफ का भी यही हाल है।
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