भास्कर न्यूज़ | कटिहार बिहार में वरिष्ठ नागरिकों की बढ़ती समस्याओं और बदलते सामाजिक परिवेश को देखते हुए एक सशक्त, वैधानिक और स्वायत्त बिहार राज्य वरिष्ठ नागरिक आयोग के गठन की मांग धीरे-धीरे प्रबल होती जा रही है। वरिष्ठ सामाजिक चिंतक, लेखक एवं सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी अशोक कुमार चौधरी प्रियदर्शी ने राज्य सरकार से इस दिशा में त्वरित कार्रवाई की अपील की है। उन्होंने कहा कि बिहार में लगभग 45 से 50 लाख वरिष्ठ नागरिक रहते हैं, जिनमें से बड़ी संख्या उपेक्षा, आर्थिक असुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और पारिवारिक विवादों से जूझ रही है। संयुक्त परिवारों के टूटने और बदलते सामाजिक ढांचों के कारण बुजुर्गों का जीवन और चुनौतीपूर्ण हो गया है, ऐसे में राज्य स्तर पर एक संस्थागत तंत्र की आवश्यकता है। श्री प्रियदर्शी ने बताया कि भले ही माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 लागू है, लेकिन बिहार में इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कोई समर्पित और एकीकृत संस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक राज्य में एक स्वतंत्र आयोग का गठन नहीं होगा, वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं का त्वरित समाधान संभव नहीं है। उन्होंने जेरिएट्रिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, वृद्धाश्रमों की निगरानी, शोषण और उपेक्षा से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप, तथा संपत्ति विवादों के त्वरित समाधान जैसे क्षेत्रों में एक विशेष आयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। केरल में बने वरिष्ठ नागरिक आयोग का हवाला देते हुए श्री प्रियदर्शी ने कहा कि यदि बिहार भी यह कदम उठाता है तो यह वरिष्ठ नागरिकों की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में ऐतिहासिक फैसला होगा। अंत में उन्होंने मुख्यमंत्री, सामाजिक कल्याण मंत्री और संबंधित विभागों से बिहार राज्य वरिष्ठ नागरिक आयोग गठन की वैधानिक प्रक्रिया तुरंत शुरू करने की अपील की है।
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