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कब से सामान्य होगी इंडिगो की उड़ानें? CEO का आया बयान, कल भी हो सकती है परेशानी

इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने शुक्रवार को देश भर के हवाई अड्डों पर एक हज़ार से ज़्यादा उड़ानें रद्द होने के बाद परिचालन में आई बड़ी उथल-पुथल को स्वीकार करते हुए कहा कि भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन के लिए परिचालन व्यवधान के लिहाज़ से यह सबसे बुरा दिन है। इस संकट पर बात करते हुए, एल्बर्स ने पुष्टि की कि 5 दिसंबर को 1,000 से ज़्यादा उड़ानें रद्द कर दी गईं। उन्होंने आगे कहा कि यह संकट शनिवार को भी जारी रहने की संभावना है, लेकिन रद्दीकरण की संख्या 1,000 से नीचे आ जाएगी।
 

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हालांकि, उन्होंने यात्रियों को आश्वस्त किया कि इंडिगो सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही है और उम्मीद है कि 10 से 15 दिसंबर के बीच परिचालन स्थिर हो जाएगा। एल्बर्स ने शुक्रवार को एक वीडियो संदेश में कहा, “मैं आपको बताना चाहता हूँ कि पिछले कुछ दिनों से हमें परिचालन संबंधी गंभीर व्यवधानों का सामना करना पड़ रहा है। तब से, यह संकट लगातार बढ़ता जा रहा है, और आज, 5 दिसंबर, सबसे ज़्यादा प्रभावित दिन रहा, जब रद्द की गई उड़ानों की संख्या एक हज़ार से ज़्यादा थी, यानी हमारी दैनिक उड़ानों की संख्या के आधे से भी ज़्यादा।”
एल्बर्स ने स्वीकार किया कि शुक्रवार, 5 दिसंबर, इंडिगो की 1,000 से ज़्यादा उड़ानें रद्द होने के कारण सबसे ज़्यादा प्रभावित दिन रहा, और उन्होंने माफ़ी मांगी। उन्होंने वीडियो में कहा कि मैं, इंडिगो में हम सभी की ओर से, देरी या रद्दीकरण के कारण हमारे कई ग्राहकों को हुई भारी असुविधा के लिए तहे दिल से माफ़ी मांगता हूँ। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने इंडिगो की बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द होने के कारणों की व्यापक समीक्षा और आकलन के लिए चार सदस्यीय समिति गठित की है। शुक्रवार को जारी आदेश के अनुसार, समिति के सदस्यों में संयुक्त महानिदेशक संजय के ब्रम्हाने, उप महानिदेशक अमित गुप्ता, वरिष्ठ उड़ान संचालन निरीक्षक कैप्टन कपिल मांगलिक और उड़ान संचालन निरीक्षक कैप्टन रामपाल शामिल हैं। 
 

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आदेश में कहा गया है कि समिति 15 दिनों के भीतर डीजीसीए को अपने निष्कर्ष और सिफारिशें प्रस्तुत करेगी ताकि आवश्यक नियामक प्रवर्तन कार्रवाई की जा सके और संस्थागत सुदृढ़ीकरण सुनिश्चित किया जा सके। आदेश के अनुसार, प्रथम दृष्टि में स्थिति आंतरिक निरीक्षण, परिचालन तैयारियों और अनुपालन योजना में कमियों का संकेत देती है, जिसके लिए स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है। 


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