औरंगाबाद समाहरणालय के सभाकक्ष में शनिवार को डीएम श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में श्रम विभाग, जिला नियोजनालय एवं डीआरसीसी कार्यालय की संयुक्त समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में श्रम विभाग की कार्यप्रगति, योजनाओं के क्रियान्वयन, कौशल विकास कार्यक्रमों की स्थिति, श्रमिकों के निबंधन से लेकर बाल श्रम उन्मूलन तक के विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक के दौरान श्रम अधीक्षक ने बताया कि जिले में कार्यरत कुल 05 धावादलों द्वारा विभिन्न प्रतिष्ठानों का निरीक्षण अभियान चलाया गया। जिसके अंतर्गत 16 प्रतिष्ठानों की जांच की गई है। इस पर डीएम ने बाल श्रम उन्मूलन के लिए विशेष अभियान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि बाल श्रम के विरुद्ध जिले में निरंतर जागरूकता अभियान चलाया जाए तथा स्कूलों, ग्रामस्तर की संस्थाओं, सामाजिक संगठनों एवं आम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। डीएम ने स्पष्ट कहा कि बाल श्रम किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और संबंधित विभाग इस दिशा में समन्वित प्रयास तेज करें। मजदूरों के निबंधन की धीमी गति पर डीएम ने जताया नाराजगी निर्माण क्षेत्र में कार्यरत मजदूरों के निबंधन की धीमी रफ्तार पर भी डीएम ने नाराजगी जताई। उन्होंने निर्देश दिया कि जितने भी निर्माण कार्य क्षेत्र में मजदूर लगे हैं, सभी को श्रम विभाग की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ना अनिवार्य किया जाए। साथ ही ऐसे प्रतिष्ठान, जहां 10 या उससे अधिक श्रमिक काम कर रहे हैं, उन्हें POSH Act के तहत आंतरिक समिति गठित करने तथा उसका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। जिले में कौशल विकास कार्यक्रमों को गति देने को लेकर भी कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए। जिला पदाधिकारी ने कौशल युवा कार्यक्रम केंद्रों की प्रगति पर असंतोष व्यक्त किया। रिपोर्ट में कई केंद्रों में नामांकन न्यूनतम पाया गया, जिस पर डीएम ने कम नामांकन वाले संचालकों पर कार्रवाई करने को कहा। साथ ही बीएसडीसी केंद्रों के निरीक्षण प्रतिवेदन संतोषजनक नहीं मिलने पर उनके वेतन भुगतान को अवरुद्ध करने का आदेश दिया गया। उन्होंने कहा कि कौशल प्रशिक्षण, युवाओं को रोजगार, और तकनीकी दक्षता प्रदान करने वाले केंद्रों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बैठक में लंबित मामलों के निष्पादन का निर्देश दिया बैठक में जिला निबंधन एवं परामर्श केंद्र) प्रबंधक को स्वयं सहायता भत्ता के अधिक से अधिक आवेदन तैयार कराने और लंबित मामलों को निर्धारित समय-सीमा में निष्पादित करने का निर्देश दिया गया। डीएम ने कहा कि बेरोजगार युवाओं को दी जाने वाली आर्थिक सहायता योजनाओं में शिथिलता होने से युवाओं में असंतोष बढ़ता है, इसलिए कार्य में तेजी लाना आवश्यक है। अंत में जिला पदाधिकारी ने श्रम एवं नियोजन से संबंधित सभी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विभागों के बीच समन्वय को मजबूत करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि श्रमिकों के निबंधन, कौशल विकास, रोजगार उपलब्धता और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और गति लाना जिला प्रशासन की प्राथमिकता है। निर्धारित मानकों का पालन नहीं करने वाले प्रतिष्ठानों, संचालकों और संस्थाओं पर कठोर कार्रवाई करने की चेतावनी भी उन्होंने दी।बैठक में टास्क फोर्स के सदस्य, श्रम विभाग के अधिकारी, जिला नियोजन तथा डीआरसीसी कार्यालय के पदाधिकारी उपस्थित रहे।
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