प्रस्तावित CAFE-III (कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशियेंसी) ड्राफ्ट में छोटे और हल्के वाहनों को वजन और किफायती सेगमेंट के आधार पर कुछ राहत देने की चर्चा है. वहीं बड़े इंजन वाले वाहनों को बनाने वाली कंपनियां इसका विरोध कर रही हैं. जिसके चलते टाटा-मारुति जैसे दिग्गज आमने सामने आ गए हैं.
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