अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एच-1 बी वीसा नियमों में सख्ती के आदेश दिए हैं। एच-1 बी आवेदकों को अपना सोशल मीडिया अकाउंट पब्लिक करना होगा, ताकि अमेरिकी अधिकारी आवेदक की प्रोफाइल, सोशल मीडिया पोस्ट और लाइक्स को देख सकें। यदि आवेदक की कोई भी सोशल मीडिया एक्टिविटी अमेरिकी हितों के खिलाफ दिखी तो एच-1 बी वीसा जारी नहीं किया जाएगा। एच-1 बी के आश्रितों (पत्नी, बच्चों और पैरेंट्स) के लिए एच-4 वीसा के लिए भी सोशल मीडिया प्रोफाइल को पब्लिक करना जरूरी होगा। ऐसा पहली बार है जब एच-1 बी वीसा के लिए सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच जरूरी की गई है। नए नियम 15 दिसंबर से लागू होंगे। ट्रम्प प्रशासन ने सभी दूतावासों को निर्देश जारी किए हैं। बता दें कि अगस्त से स्टडी वीसा एफ-1, एम-1 और जे-1 साथ ही विजिटर वीसा बी-1, बी-2 के लिए सोशल मीडिया प्रोफाइल को पब्लिक करने की अनिवार्यता लागू की जा चुकी है। 70% एच-1 बी वीसा भारतीयों को मिलता है एच-1 बी पर ट्रम्प का कभी हां, कभी ना ट्रम्प का एच-1 बी वीसा पर 9 साल में कभी हां, कभी ना वाला रवैया रहा है। पहले कार्यकाल में 2016 में ट्रम्प ने इस वीसा को अमेरिकी हितों के विरुद्ध कहा था। 2019 में इस वीसा का एक्सटेंशन सस्पेंड किया। पिछले महीने ही यू-टर्न लेते हुए कहा- हमें टैलेंट की जरूरत है। गोल्ड कार्ड में हमेशा रहने का अधिकार मिलेगा ट्रम्प ने H-1B में बदलाव के अलावा 3 नए तरह के वीजा कार्ड लॉन्च किए थे। ‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड’, ‘ट्रम्प प्लेटिनम कार्ड’ और ‘कॉर्पोरेट गोल्ड कार्ड’ जैसी सुविधाएं भी शुरू की गई हैं। ट्रम्प गोल्ड कार्ड (8.8 करोड़ कीमत) व्यक्ति को अमेरिका में अनलिमिटेड रेसीडेंसी (हमेशा रहने) का अधिकार देगा। कौन सी कंपनियां सबसे ज्यादा H-1B स्पॉन्सर करती हैं? भारत हर साल लाखों इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस के ग्रेजुएट तैयार करता है, जो अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इंफोसिस, TCS, विप्रो, कॉग्निजेंट और HCL जैसी कंपनियां सबसे ज्यादा अपने कर्मचारियों को H-1B वीजा स्पॉन्सर करती हैं। कहा जाता है कि भारत अमेरिका को सामान से ज्यादा लोग यानी इंजीनियर, कोडर और छात्र एक्सपोर्ट करता है। अब फीस महंगी होने से भारतीय टैलेंट यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, मिडिल ईस्ट के देशों की ओर रुख करेगा। ——————————— ये खबर भी पढ़ें… दावा- H-1B वीजा में धोखाधड़ी हो रही है:दुनिया के लिए 85 हजार तय थे लेकिन अकेले चेन्रई को 2.2 लाख मिल गए अमेरिका के H-1B वीजा प्रोग्राम को लेकर एक नया विवाद शुरू हो गया है। अमेरिकी अर्थशास्त्री और पूर्व सांसद डेव ब्रैट ने आरोप लगाया है कि H-1B सिस्टम में बड़ी धोखाधड़ी हो रही है। उनका दावा है कि चेन्नई जिले को 2.2 लाख वीजा मिले हैं, जबकि पूरी दुनिया के लिए 85,000 की लिमिट तय है। पूरी खबर पढ़ें…
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