भागलपुर। टीएमबीयू में चतुर्थ चरण में अंगीभूत हुए कॉलेजों के कर्मियों का डॉक्यूमेंट उपलब्ध कराने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने विवि के कुलपति और रजिस्ट्रार को नौ जनवरी को सशरीर उपस्थित होकर इसका कारण बताने को कहा है। कर्मियों का डॉक्यूमेंट और डाटा कोर्ट ने तब मांगा था जब जवाहर कुलपति थे, लेकिन उनके समय में इसकी प्रक्रिया नहीं हुई। मामला उन कर्मियों का है जिनकी सेवा को लेकर 1980 के दशक के अंत से ही विवाद जारी है। राज्य सरकार ने भी आवेदन व डॉक्यूमेंट देने को कट ऑफ डेट तय किया था। उसके बाद जिनके पद सृजन का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था उन्हें नॉट रिकमंडेड या रिकमंडेड टू श्रेणी में रखा गया था। इससे इनकी सेवा और वेतन प्रभावित हुआ था। तब इनकी अपील पर जस्टिस एसवी सिन्हा आयोग का गठन कर सुनवाई की गई थी। मामला अब तक चल रहा है। रजिस्ट्रार प्रो. रामाशीष पूर्व ने इसकी पुष्टि की। सिटी रिपोर्टर| भागलपुर जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मायागंज के नए अधीक्षक डॉ. एचपी दुबे ने पदभार ग्रहण करते ही अस्पताल की व्यवस्था को ठीक करने की कवायद शुरू कर दी है। गुरुवार को उन्होंने इमरजेंसी और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का विस्तृत निरीक्षण किया, जहां कई गंभीर कमियां सामने आई। इस दौरान अधीक्षक ने इमरजेंसी गेट के सामने खड़ी डॉक्टरों और मरीजों की बाइक हटाने को कहा। वाहन पार्किंग के कारण मरीजों को अंदर ले जाने में परेशानी होती है। यहां लोहे की चेन भी लटकी है, जिससे स्ट्रेचर और व्हीलचेयर अंदर ले जाने में दिक्कत होती है। स्थिति देखकर अधीक्षक ने सभी विभागों के एचओडी को पत्र जारी किया है। निर्देश दिया है कि चिकित्सक और कर्मचारी अपना वाहन केवल स्टैंड में ही लगाएं, ताकि इमरजेंसी मार्ग बाधित न हो। बता दें कि इमरजेंसी के बाहर पीजी और जूनियर डॉक्टर अपना वाहन पार्क करते हैं। स्पेशियलिटी में स्टाफ की कमी डॉ. दुबे ने सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में दो घंटे तक विभिन्न वार्डों और विभागों का निरीक्षण किया। कहा कि अस्पताल में स्टाफ की भारी कमी है। इस कारण व्यवस्था बिगड़ी हुई है। निरीक्षण में कुछ स्टॉफ गायब मिले। दो में से सिर्फ एक ही एम्बुलेंस चलने लायक है। एम्बुलेंस चालक भी सिर्फ एक ही उपलब्ध है। कैथ लैब का काम शुरु नहीं हो सका है। जेनरेटर की मरम्मत की आवश्यकता है। अधीक्षक डॉ. एसपी दुबे ने कहा कि पहले लोकल स्तर पर ही समस्याओं का समाधान करवाने की कोशिश की जाएगी। उसके बाद मुख्यालय को पत्र भेजा जाएगा।
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