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इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर खेती कर रहे नालंदा के किसान:एक एकड़ से 3 लाख की कमाई; लागत 30% तक कम, झारखंड से बंगाल तक सप्लाई

मेडिकल व इंजीनियरिंग के अलावा कृषि में भी बेहतरीन कॅरियर हो सकता है। आज करीब 40 एकड़ में आलू, प्याज, खरबूजा, नींबू, मिर्च, बैगन, पपीता, हल्दी जैसी 15 से ज्यादा नगदी फसलें किसान उपजाते हैं और बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा झारखंड और बंगाल तक उसके उत्पादों की सप्लाई करते हैं। इसके अलावा इनके खेतों के उत्पाद निजी कंपनियां भी खरीदती हैं। हाल ही इन्होंने प्याज की खेप सिलिगुड़ी भेजी है। इनके खेतों से निकला खरबूजा कोलकाता की मंडियों में बिकता है। बिहार के प्रगतिशील किसान में आज बात नालंदा के अमेश विशाल की। अमेश ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की है। लेकिन, उन्होंने इसे बतौर कॅरियर अपनाने की जगह खेती को चुना। पिता त्रिवेणी प्रसाद पारंपरिक खेती करते थे। खुद की अच्छी-खासी जमीन थी। साल 2020 में अमेश ने व्यवसायिक तौर पर खेती की शुरुआत की। नालंदा के सरमेरा प्रखंड के हुसैना गांव के रहने वाले अमेश विशाल बताते हैं कि ऐसी कोई फसल नहीं जो बिहार की मिट्‌टी में नहीं हो सके। उनके मुताबिक मिट्‌टी से ज्यादा जरूरी है- पानी का प्रबंधन। फसलों की सिंचाई पानी को कंट्रोल करते हुए करें, तो फसलें अच्छी होंगी। यह संभव हो पाया ड्रिप एरिगेशन से। उन्होंने तकरीबन 27 एकड़ खेत में ड्रिप एरिगेशन सिस्टम लगा रखा है। जरूरत के मुताबिक ही फसलों का पटवन करते हैं और उन्नत उत्पादन लेते हैं। अमेश ने बताया कि पहले शिमला मिर्च और चुकंदर की खेती यहां की मिट्‌टी के अनुकूल नहीं मानी जाती थी। पर अब तकनीकों के अपनाने से इनकी अच्छी-खासी पैदावार ली जाती है। खर-पतवार का प्रबंधन आसानी से हो जाता अमेश आलू-प्याज को छोड़ अन्य फसलें मल्चिंग तकनीक से उपजाते हैं। इससे खर-पतवार का प्रबंधन आसानी से हो जाता है। खर-पतवार प्रबंधन पर होने वाले अतिरिक्त खर्च को कम करने के लिए वे पूरे खेत में पॉलीथिन बिछाकर मल्चिंग तकनीक का उपयोग करते हैं। पॉलीथिन में सिर्फ पौधा लगाने वाली जगह पर छेद किया जाता है, जिससे खेत में खर-पतवार नहीं उगता और लगभग 30 प्रतिशत तक लागत कम हो जाती है। कृषि क्षेत्र में प्रबंधन आज भी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। खासकर खेतों में निकाई-गुड़ाई पर किसानों की भारी पूंजी खर्च हो जाती है, जिससे न सिर्फ लागत बढ़ती है बल्कि आमदनी सीमित रह जाती है। कई बार किसान अपनी लगाई पूंजी भी नहीं निकाल पाते। ऐसी स्थिति में अमेश विशाल ने पारंपरिक तरीके से अलग हटकर उदाहरण पेश किया है। एक एकड़ से 2 से 3 लाख तक की सालाना आमदनी अमेश विशाल बताते हैं कि खेती भी किसी अन्य व्यवसाय की तरह ही पूंजी और प्रबंधन की मांग करती है। इसलिए किसानों को नुकसान से बचने के लिए विविध फसलों को विकल्प के रूप में अपनाना चाहिए। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान अमेश ने लगभग 14 राज्यों का भ्रमण किया। इस सफर ने उन्हें खेती के आधुनिक तौर-तरीकों से परिचित कराया। यहीं से उन्होंने मल्चिंग और ड्रिप एरिगेशन तकनीक के महत्व को समझा। इसी ज्ञान के आधार पर वे पिछले पांच सालों से समेकित कृषि प्रणाली के तहत नगदी फसलों की खेती कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि किसान मल्चिंग और ड्रिप एरिगेशन को अपनाएं, तो वे एक एकड़ कृषि भूमि से सालाना 2 से 3 लाख रुपए तक की आमदनी हासिल कर सकते हैं। इन प्रगतिशील किसान से और जानें 8409353501 यह खबर दूसरों से भी शेयर करें आप भी किसान हैं और कोई अनोखा नवाचार किया है तो पूरी जानकारी, फोटो-वीडियो अपने नाम-पते के साथ हमें 8770590566 पर वॉट्सऐप करें। ध्यान रहे, आपका किया काम किसी भी मीडिया या सोशल मीडिया में जारी न हुआ हो।


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