हिंदू धर्म व्रत-त्योहारों का सबसे अधिक महत्व माना जाता है। शांकभरी नवरात्र को भी विशेष माना गया है। यह देवी दुर्गा के अवतार मां शाकंभारी को समर्पित है। देवी दुर्गा के अवतार मां शाकंभरी को फल–फूल, अन्न और सब्जियों की देवी माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब धरती पर भीषण अकाल पड़ा था और चारों ओर हाहाकार फैला हुआ था, तब मां दुर्गा ने यह अवतार लेकर भक्तों की रक्षा की थी। इसलिए इन्हें शाकंभरी मां के नाम से जाना जाता है। यह विशेष त्योहार नवरात्र पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक चलता है। इस पर्व को राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। आइए आपको इस व्रत से जुड़ी तमाम मुख्य बातें बताते हैं।
कब है शाकंभरी नवरात्र?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल शाकंभरी नवरात्र 28 दिसंबर 2025 से शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 03 जनवरी 2026 को होगा। इस साल शाकंभरी नवरात्र 9 नहीं 8 दिनों के होंगे।
शांकभरी नवरात्र की पूजा विधि
नवरात्र के पहले दिन कलश की स्थापना शुभ मुहूर्त में की जाती है। जैसे कि-चैत्र या शारदीय नवरात्र में की जाती है।
– अब मां शाकंभरी की प्रतिमा स्थापित करें या चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां दुर्गा की ही तस्वीर रखें। उन्हें लाल चुनरी सहित सभी 16 श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं।
– इसके बाद आप भोग में मां को फल, सब्जी और मिठाई अर्पित कर सकते हैं।
– फिर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और आरती करें।
– इस नवरात्र के दौरान किसी जरुरतमंद या गरीबों सब्जियों, फलों और अनाज का दान कर सकते हैं। इससे अन्न धन की कमी दूर होती है।
– वहीं, अष्टमी और पूर्णिमा के दिन आप विशेष पूजा और हवन कर सकते हैं। इसके साथ ही पूर्णिमा के दिन व्रत का समापन कर सकती हैं।
– इस दौरान प्याज-लहसुन का सेवन न करें और तामसिक चीजों से दूर रहे हैं।
पूजा मंत्र
– ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति माहेश्वरी अन्नपूर्णा स्वाहा॥
– ॐ महानारायण्यै च विदमहे महादुर्गायै धीमहि तन्नो शाकम्भरी: प्रचोदयात्॥
– ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य: सुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:॥
– शाकैः पालितविष्टपा शतदृशा शाकोल्लसद्विग्रहा । शङ्कर्यष्टफलप्रदा भगवती शाकम्भरी पातु माम् ॥
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