हाथरस स्कूलों में लापरवाही और ग्रांट घोटाला:फर्जी हाजिरी और एमडीएम रजिस्टर में हेराफेरी का आरोप
हाथरस के हसायन ब्लॉक के दो विद्यालयों में शिक्षकों की लापरवाही और फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष और पोरा गांव के प्रधान देवेंद्र कुशवाहा ने खंड विकास अधिकारी से शिकायत करते हुए उच्च प्राथमिक विद्यालय पोरा और प्राथमिक विद्यालय टोडरपुर में हो रही गंभीर अनियमितताओं की जांच और कार्रवाई की मांग की है। शिकायत के बाद उच्च प्राथमिक विद्यालय पोरा का जब निरीक्षण किया गया, तो अनुदेशक कुलदीप कुमार मौजूद मिले, लेकिन इंचार्ज प्रधानाध्यापक विवेक समाधिया अनुपस्थित पाए गए। उन्होंने खुद को मेडिकल अवकाश पर बताया, लेकिन रजिस्टर में छुट्टी दर्ज नहीं थी। बच्चों ने बताया कि प्रधानाध्यापक 10-12 दिनों में सिर्फ एक बार स्कूल आए हैं। एमडीएम रजिस्टर की जांच में भी गड़बड़ी मिली। रजिस्टर में 3 अगस्त से कोई छात्र दर्ज नहीं था, लेकिन निरीक्षण के दौरान ही 3 और 4 अगस्त के लिए 23 व 25 छात्रों के नाम दर्ज किए गए। जबकि विद्यालय में औसतन 50 से 55 बच्चे आते हैं। अनुदेशक ने स्वीकार किया कि अधिकारियों के दबाव में 80 प्रतिशत से अधिक उपस्थिति दिखानी पड़ती है। विद्यालय परिसर में पुताई और मरम्मत का कोई कार्य नहीं हुआ, जबकि कंपोजिट ग्रांट मिलने के बावजूद खर्च का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। वहीं, प्राथमिक विद्यालय टोडरपुर के निरीक्षण के समय न तो कोई छात्र मौजूद था, न कोई शिक्षक। इंचार्ज प्रधानाध्यापक गणेश कुमार और सहायक अध्यापक विकास को फोन किया गया, लेकिन किसी ने रिसीव नहीं किया। ग्रामीणों ने बताया कि विकास आज स्कूल आए ही नहीं, जबकि गणेश कुमार एक घंटे पहले चले गए थे। लगभग एक घंटे बाद गणेश कुमार स्कूल पहुंचे और कहा कि वह पोरा गांव गए थे। जांच में रजिस्टर में पहले से ही फर्जी हस्ताक्षर दर्ज पाए गए—विकास का समय 1:30 बजे और गणेश कुमार का 3:30 बजे लिखा हुआ था। इन स्कूलों में कंपोजिट ग्रांट के गबन, फर्जी हस्ताक्षर, अनुपस्थित रहने और एमडीएम रजिस्टर में हेराफेरी के आरोप लगाए गए हैं। शिकायतकर्ता देवेंद्र कुशवाहा ने कहा कि “यह बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है। जिन शिक्षकों को पढ़ाने का जिम्मा दिया गया है, वे सरकारी वेतन तो लेते हैं, पर स्कूलों से गायब रहते हैं।” उन्होंने खंड विकास अधिकारी से कड़ी जांच और कार्रवाई की मांग की है ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके और शिक्षा व्यवस्था सुधरे।
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