सेंट्रल बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं के चैंबर तोड़े गए:लखनऊ में वकीलों में नाराज़गी, बिना पूर्व सूचना के की गई प्रशासनिक कार्रवाई; कहा- “मनमानी और गैरकानूनी कदम, दोषियों पर हो कार्रवाई”

राजधानी लखनऊ के सिविल कोर्ट परिसर में शनिवार को तब तनाव फैल गया जब सेंट्रल बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं के चैंबर प्रशासनिक कार्रवाई के तहत तोड़ दिए गए। बिना किसी पूर्व सूचना या नोटिस के हुई इस कार्रवाई से वकीलों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला। अधिवक्ताओं ने इसे मनमानी और गैरकानूनी कार्रवाई करार देते हुए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई और क्षतिग्रस्त चैंबरों के पुनर्निर्माण की मांग की है। सुबह से शुरू हुई कार्रवाई, दोपहर तक मचा हड़कंप शनिवार सुबह करीब 10 बजे के आसपास न्यायालय परिसर के उस हिस्से में प्रशासनिक टीम पहुंची, जहां सेंट्रल बार के अधिवक्ताओं के चैंबर बने थे। टीम ने कुछ चैंबरों को अवैध निर्माण बताकर गिरा दिया। इस दौरान कई वकील मौके पर पहुंचे और विरोध जताया। कुछ अधिवक्ता वहीं धरने पर बैठ गए तो कुछ ने प्रशासनिक अफसरों से बहस की। वकीलों का कहना है कि किसी तरह की पूर्व सूचना या नोटिस नहीं दिया गया था, जिससे उन्हें अपना सामान या फाइलें तक निकालने का मौका नहीं मिला। “गैरकानूनी कार्रवाई, जवाब दे प्रशासन” सेंट्रल बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह से नियमों के विपरीत है। एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, हम वर्षों से यहां प्रैक्टिस कर रहे हैं। यह चैंबर सिर्फ काम की जगह नहीं बल्कि हमारी रोज़ी-रोटी का केंद्र है। बिना कोई नोटिस दिए इसे तोड़ना न सिर्फ गैरकानूनी बल्कि निंदनीय भी है। वकीलों ने कहा कि यदि इस कार्रवाई की जांच नहीं कराई गई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे बार काउंसिल और उच्च न्यायालय के समक्ष प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे। वकीलों ने की तत्काल पुनर्निर्माण की मांग घटनास्थल पर मौजूद अधिवक्ताओं ने जिलाधिकारी और न्यायालय प्रशासन से मांग की कि क्षतिग्रस्त चैंबरों का तत्काल पुनर्निर्माण कराया जाए। वकीलों का कहना है कि चैंबरों के टूटने से कई महत्वपूर्ण केस फाइलें, दस्तावेज और निजी सामान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। बार एसोसिएशन में आपात बैठक बुलाने की तैयारी सेंट्रल बार एसोसिएशन ने इस घटना के विरोध में एक आपात बैठक बुलाने की घोषणा की है। बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी।संभावना है कि बार एसोसिएशन इस प्रकरण को लेकर प्रशासन के खिलाफ न्यायिक कार्य से विरत रहने का प्रस्ताव भी पास कर सकती है। “हम चुप नहीं बैठेंगे”-अधिवक्ताओं की चेतावनी वकीलों ने साफ कहा है कि अगर प्रशासन ने इस मामले पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू करेंगे।एक युवा अधिवक्ता ने कहा, यह सिर्फ चैंबर तोड़ने की बात नहीं है, यह हमारी अस्मिता और सम्मान से जुड़ा मुद्दा है। हम न्याय की लड़ाई खुद के लिए भी लड़ना जानते हैं। प्रशासनिक सूत्रों ने दी सफाई उधर, प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि यह कार्रवाई न्यायालय परिसर में अवैध रूप से बने निर्माणों को हटाने के अभियान के तहत की गई। अधिकारियों का दावा है कि जिन चैंबरों को तोड़ा गया, वे अनधिकृत क्षेत्र में थे और कई बार नोटिस भेजे जा चुके थे। हालांकि, अधिवक्ताओं ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कोई नोटिस न तो मिला, न चस्पा किया गया। वकीलों की नाराज़गी बढ़ी, माहौल तनावपूर्ण घटना के बाद पूरे कोर्ट परिसर में वकीलों के बीच भारी नाराज़गी है। कई अधिवक्ता समूहों ने शाम तक प्रदर्शन की चेतावनी दी। फिलहाल पुलिस बल तैनात है और माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है।

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