सीएम ग्रिड फेज-2 का काम हुआ शुरू:15 साल तक मेंटेनेंस‑फ्री होगी सड़क, बैंगलोर-पुणे की तरह दिखेगा ‘गोरखपुर का स्मार्ट रोड’
गोरखपुर शहर की सड़कों को स्मार्ट बनाने की बड़ी योजना पर काम शुरू हो गया है। अब गोलघर और उसके आसपास की प्रमुख सड़कों को चौड़ा और आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। इस काम पर करीब 53.68 करोड़ रुपये खर्च होंगे और कुल 4.40 किलोमीटर सड़क बनाई जाएगी। निर्माण कार्य की शुरुआत छात्रसंघ चौक से हुई है। यहां से अंबेडकर चौक होते हुए शास्त्री चौक तक सड़क चौड़ी की जाएगी। शुरुआत में रैन बसेरा के पास खुदाई कर ट्रेंच बनाने का काम किया जा रहा है। 2 तस्वीरें देखिए कहां से कहां तक बनेंगी सड़कें सीएम ग्रिड फेज-02 के तहत पांच प्रमुख सड़कों का निर्माण किया जाएगा। इन सड़कों का काम नवंबर 2026 तक 15 महीनों में पूरा करना है। -कचहरी चौराहा से काली मंदिर तक 0.78 किमी -शास्त्री चौक से अंबेडकर चौक होते हुए छात्रसंघ चौराहा -अंबेडकर चौक से हरिओमर तिराहा होते हुए ऐश्प्रा तिराहा -हरिओम नगर से कचहरी चौराहा होते हुए टाउनहॉल तक 2.37 किमी -शिवाय होटल से अग्रसेन तिराहा होते हुए विजय चौक से गणेश चौक तक 1.25 किमी
इन सभी सड़कों को चौड़ा कर फुटपाथ, स्ट्रीट लाइट, कैरिज-वे और केबल डालने के लिए डक्ट जैसी आधुनिक सुविधाएं दी जाएंगी। काम की जिम्मेदारी जीएस कोटिंग और एके इंजीनियरिंग नामक कंपनियों को दी गई है। पूरे काम की निगरानी अधिशासी अभियंता अशोक भाटी और सहायक अभियंता शैलेष श्रीवास्तव कर रहे हैं। सड़क चौड़ीकरण में समस्या कुछ निर्माण इस सड़क को चौड़ा करने में बाधा बन रहे हैं। छात्रसंघ चौक पर नगर निगम का रैन बसेरा, सेवायोजना कार्यालय, रोडवेज बस अड्डा से जुड़ी नगर निगम की दुकानें, कमिश्नर ऑफिस की चाहरदीवारी इनको हटाने पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। दशहरा के बाद कमिश्नर अनिल ढींगरा की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा।
सभी विभागों नगर निगम, जलकल, जीडीए, यूपीपीसीएल, जियो, बीएसएनएल और ट्रैफिक पुलिस के बीच बैठक कर कार्यक्षेत्र पहले ही तय कर दिया गया है, ताकि आगे कोई दिक्कत न आए। पहले से की गई तैयारी दैनिक भास्कर से बात करते हुए नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि गोलघर की सड़कों को बेंगलुरु और पुणे जैसे शहरों के मॉडल पर विकसित किया जाएगा। इन सड़कों को इस तरह तैयार किया जाएगा कि अगले 10 से 15 साल तक किसी तरह की खुदाई की जरूरत न पड़े। काम शुरू करने से पहले यूपीपीसीएल, नगर निगम, जलकल, जीडीए, जियो, बीएसएनएल, ट्रैफिक पुलिस, ठेकेदार और परामर्शदाता ने मिलकर संयुक्त सर्वे किया था। इसमें यह तय किया गया कि सड़क बनाने में बाधा न आए इसके लिए बिजली, पानी, फोन और इंटरनेट की लाइनों को कैसे शिफ्ट किया जाएगा। भूमिगत बिजली लाइन और गैस पाइपलाइन
नई सड़कों पर भूमिगत बिजली लाइनों के लिए ट्रेंच बनाए जाएंगे, ताकि भविष्य में विद्युत फॉल्ट आसानी से सुधारा जा सके। इसके साथ ही गैस पाइपलाइन बिछाने, अतिक्रमण हटाने और टेलीकॉम कंपनियों को अपनी योजनाएं साझा करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे आगे चलकर सड़कों को बार-बार खोदने की जरूरत नहीं होगी। 15 माह में पूरा होगा काम
परियोजना की अवधि 15 माह तय की गई है। नगर निगम का लक्ष्य है कि नवंबर 2026 तक निर्माण कार्य पूरा कर दिया जाए। इसके बाद गोलघर की सड़कों का नजारा पूरी तरह बदल जाएगा और लोग स्मार्ट रोड का अनुभव कर सकेंगे। जानिए क्यों खास है सीएम ग्रीड सड़क परियोजना… सीएम ग्रीड सड़क परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस परियोजना का उद्देश्य शहरों की प्रमुख सड़कों को स्मार्ट और टिकाऊ बनाना है, ताकि बार-बार खुदाई या मरम्मत की जरूरत न पड़े और ट्रैफिक भी व्यवस्थित रहे। इंटीग्रेटेड सिस्टम
सड़क निर्माण से पहले नगर निगम, जलकल, विद्युत, दूरसंचार, गैस पाइपलाइन आदि विभागों का काम समन्वित तरीके से किया जाता है। हर विभाग को तय कर दिया जाता है कि उनकी पाइपलाइन/तार/लाइन सड़क के किस हिस्से से होकर जाएगी। टिकाऊ सड़कें
सड़कों को इस तरह बनाया जाता है कि अगले 10–15 साल तक खुदाई की जरूरत न पड़े। सड़क के नीचे ही पानी, बिजली, गैस और टेलीकॉम की लाइनों के लिए अलग ट्रेंच बनाए जाते हैं। आधुनिक फीचर्स
सड़क पर स्मार्ट लाइटिंग, अंडरग्राउंड केबलिंग, बेहतर ड्रेनेज सिस्टम और चौड़ी लेन की सुविधा होती है। कहीं-कहीं फुटपाथ, साइकिल ट्रैक और हरियाली भी शामिल की जाती है। शहर की पहचान बदलने की योजना
जिन सड़कों को ग्रिड रोड परियोजना में चुना जाता है, उन्हें बड़े शहरों जैसे बेंगलुरु, पुणे और दिल्ली की स्मार्ट सड़कों की तर्ज पर बनाया जाता है। इससे शहर के “मुख्य बाजार” और “प्रमुख मार्ग” देखने में आधुनिक और व्यवस्थित लगते हैं। समयसीमा और लागत
हर परियोजना के लिए एक तय समयसीमा जिसे आमतौर पर 12–18 महीने रखी जाती है। करोड़ों रुपये की लागत से सड़कें विकसित की जाती हैं।
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