संस्कृत भाषा को लोकप्रिय बनाने की नायाब पहल:केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय कराएगा शास्त्रतार्थ, टॉप इंस्टिट्यूट में होंगे इवेंट

लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में संस्कृत भाषा को फिर से लोकप्रिय बनाने की नायाब पहल की जा रही है। इसके तहत टॉप संस्थानों से लेकर सार्वजनिक स्थलों पर नाट्य मंचन और भाषा शास्त्रतार्थ सहित कई आयोजन होंगे। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने शेड्यूल तैयार कर, इसे अमल में लाने की कार्रवाई भी शुरू कर दी है। इस मकसद से हो रहे आयोजन लखनऊ के केंद्रीय संस्कृति विश्वविद्यालय के कैंपस प्रमुख और निदेशक प्रो.सर्वनारायण झा ने बताया कि आम लोगों को ‘सरल’ संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण देने के लिए कई कदम उठाए गए है।अब तक ऐसे आयोजन सामान्य तौर पर संस्कृत संस्थानों या इसके विद्वानों के बीच ही होते थे। पर अब इसे सामान्य लोगों यानी आम जनमानस तक ले जाने का प्रयास है। इसके तहत टेक्निकल और मैनेजमेंट संस्थानों के अलावा जनेश्वर मिश्रा जैसे पार्कों में भी आयोजन होंगे। साथ ही प्रश्नोत्तरी जैसे इवेंट कर लोगों को इसमें शामिल करने प्रोत्साहित किया जाएगा। शास्त्रतार्थ से जुड़ेंगे लोग प्रो.झा ने बताया कि संस्कृत में शास्त्रतार्थ का अहम भूमिका रही है। महर्षि याज्ञवल्क्य और ब्रह्मवादिनी गार्गी के बीच का शास्त्रतार्थ बेहद प्रसिद्ध है। इसके अलावा मंडन मिश्रा-शंकराचार्य के बीच के शास्त्रतार्थ का मंचन होगा। जिससे आम लोग संस्कृत के बारे में जान सके। संस्कृत की खोई हुई लोकप्रियता को वापस पाने के मकसद से ये प्रयास किए जा रहे है। संस्कृत से रोजगार के असीम अवसर प्रो.सर्व नारायण झा ने बताया कि संस्कृत से रोजगार की असीम संभावनाओं से जोड़ा जाता है, पर इसके लिए युवा पीढ़ी को दैनिक बोलचाल में इस भाषा के प्रयोग में लाने की जरूरत है।स्कूलों और कॉलेजों में संस्कृत में वाद-विवाद, निबंध लेखन और श्लोक पाठ प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रही है।

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