शिव धनुष टूटा, सीता ने राम को वरमाला पहनाई:लखनऊ रामलीला मंचन के दूसरे दिन सीता स्वयंवर का मंचन
लखनऊ श्री रामलीला समिति महानगर की ओर से आयोजित रामलीला मंचन के दूसरे दिन सीता स्वयंवर का मंचन किया गया। इस दौरान भगवान राम ने शिव धनुष भंग किया, जिसके बाद माता सीता ने उन्हें वरमाला पहनाई। मंचन का शुभारंभ माता सरस्वती की वंदना और भारती पांडे के निर्देशन में बालिकाओं के सामूहिक नृत्य से हुआ। राजा जनक के आमंत्रण पर गुरु विश्वामित्र के साथ राम और लक्ष्मण जनकपुरी पहुंचे। यहां देश-विदेश से कई राजा शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए उपस्थित थे। लंकापति रावण भी वहां मौजूद था, जिस पर बाणासुर ने व्यंग्य करते हुए कहा कि शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाना उसके बस की बात नहीं। धनुष टूटने की गर्जना सुनकर भगवान परशुराम क्रोधित अनेक राजाओं के असफल प्रयासों के बाद, भगवान राम ने गुरु का आशीर्वाद लेकर धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास किया और शिव धनुष टूट गया। धनुष टूटने की गर्जना सुनकर भगवान परशुराम क्रोधित होकर दरबार में पहुंचे और राजा जनक से प्रश्न किए। इस पर लक्ष्मण ने व्यंग्यपूर्ण संवाद कहकर उन्हें और चिढ़ाया। अंततः राम ने परशुराम को शांत किया, जिन्होंने श्रीराम के दिव्य स्वरूप को पहनाकर उनसे क्षमा मांगी और उनकी स्तुति की। कैकई ने भरत के लिए राजगद्दी की मांग की इसके बाद कथा का अगला प्रसंग अयोध्या पहुंचा। राजमहल में कैकई की दासी मंथरा ने अपनी कुटिल नीति से रानी के मन में संशय पैदा किया। उसने कैकई को राजा दशरथ से दो वरदान मांगने की सलाह दी, जिसके तहत कैकई ने राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास और भरत के लिए राजगद्दी की मांग की। इसी प्रसंग के साथ द्वितीय दिवस की रामलीला का समापन हुआ। इस मंचन में मिस्टी श्रीवास्तव ने सरस्वती, हरीश लोहुमी ने जनक, भावना लोहुमी ने सुनैना, ऐसी लोहुमी ने राम, फाल्गुनी लोहुमी ने लक्ष्मण, अनुराधा मिश्रा ने सीता, घनानंद जोशी ने विश्वामित्र, भास्कर जोशी ने रावण, एन.बी जोशी ने बाणासुर, नवीन पांडे ने परशुराम, राधिका बोरा ने मंथरा, आशा रावत ने कैकई, कुणाल पंत ने दशरथ और कमल पंत ने सुमंत की भूमिका निभाई। सभी कलाकारों ने प्रभावशाली अभिनय किया।
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