शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अध्यक्ष के इस्तीफे पर गरमाई सियासत:सपा एमएलसी बोले- डॉ. कीर्ति पांडेय का कार्यकाल, एक साल, एक परीक्षा, कोई भर्ती नहीं

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की अध्यक्ष ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसको लेकर अब सियासत गरमा गई है। उन्होंने पिछले एक साल पहले अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला था। आयोग के गठन के बाद से अब तक एक भी भर्ती पूरी नहीं हो सकी। इस कदम ने एक बार फिर प्रदेश की भर्ती प्रक्रिया और बेरोजगार युवाओं के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने इस्तीफे पर राजनीति शुरू कर दी है। सपा एमएलसी मान सिंह यादव ने कहा कि बोर्ड अध्यक्ष सरकार के दबाव में काम नहीं कर पा रही थीं। बेरोजगार युवाओं की बढ़ती भीड़ से उन्हें आत्मबोध होने लगा था, जिसके चलते उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया। सपा विधायक ने इसे भाजपा सरकार की “विफलता” करार देते हुए तीखा हमला बोला। उनका कहना है कि आयोग का गठन तो प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च, तकनीकी और अल्पसंख्यक सभी शिक्षकों की भर्ती एक ही छतरी के नीचे करने के लिए हुआ था, लेकिन हकीकत में तीन साल बीतने के बाद भी एक भी वैकेंसी नहीं निकली। अब आइए, प्रयागराज-झांसी स्नातक क्षेत्र के विधायक डॉ. मान सिंह यादव की पूरी बातचीत सवाल-जवाब के क्रम में पढ़ते हैं— सवाल: आप इस्तीफे को किस नजरिए से देखते हैं? जवाब: यह सीधे-सीधे बेरोजगारों के साथ छलावा है। जब अलग-अलग बोर्ड रहते हुए काम पूरा नहीं हो पा रहा था तो सारे बोर्डों को मिलाकर आयोग बना दिया गया। लेकिन आठ साल बाद भी एक भी भर्ती नहीं हुई। अब अध्यक्ष को भी लग गया कि यह उनके बस की बात नहीं है, इसलिए उन्होंने पद छोड़ना ही उचित समझा। सवाल: क्या यह इस्तीफा नैतिक आधार पर है या सरकार के दबाव में दिया गया है? जवाब: यह तो उनकी अंतरात्मा ही जानें। लेकिन इतना तय है कि लोकतंत्र में आयोग और बोर्ड का गठन बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए किया जाता है। जब भर्ती ही नहीं हो रही तो पद पर बने रहने का क्या औचित्य? अध्यक्ष का इस्तीफा इस सरकार की नाकामी को उजागर करता है। सवाल: विपक्ष इसे भाजपा सरकार की विफलता क्यों बता रहा है? जवाब: भारतीय जनता पार्टी की नीयत ही साफ नहीं है। सरकार चाहती ही नहीं कि बेरोजगारों को नौकरी मिले। या तो भर्तियों को पेपर लीक करवा कर उलझा दिया जाता है, या आरक्षण में गड़बड़ी कर दी जाती है। 69000 शिक्षक भर्ती इसका उदाहरण है। सवाल: क्या आठ साल का समय भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए काफी था? जवाब: बिल्कुल। आठ साल कम समय नहीं होता। इतने लंबे समय में आयोग से आठ नहीं तो कम से कम कुछ भर्ती तो होनी चाहिए थी। लेकिन यहां एक भी वैकेंसी नहीं निकली। असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती का इंटरव्यू शुरू होने से पहले ही अध्यक्ष का इस्तीफा आ गया। यह बेरोजगारों के लिए सबसे बड़ा झटका है। सवाल: भविष्य में विपक्ष की क्या रणनीति रहेगी? जवाब: समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साफ कहा है कि सत्ता में आने पर हम सभी अधूरी भर्तियां पूरी करेंगे। आउटसोर्सिंग, संविदा, ठेका प्रथा और अग्निवीर जैसी व्यवस्थाओं को खत्म किया जाएगा। बेरोजगार युवाओं को स्थायी नौकरी देना ही हमारी प्राथमिकता है। सपा विधायक मौजूदा समय में एमएलसी चुनाव को लेकर प्रयागराज-झांसी शिक्षा क्षेत्र में मतदाताओं के बीच पसीना बहा रहे हैं।

Curated by DNI Team | Source: https://ift.tt/exuCXPU