शिक्षकों ने टीईटी अनिवार्यता पर जताया विरोध:शिक्षकों की सेवा सुरक्षा की मांग, बोले- खतरे में है हजारों लोगों की आजीविका

बस्ती में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले बुधवार को बड़ी संख्या में शिक्षकों ने सांसद राम प्रसाद चौधरी को प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी की अनिवार्यता से मुक्त करने और उनकी सेवा सुरक्षित करने की मांग की गई है। जिलाध्यक्ष चंद्रिका सिंह और जिला मंत्री बालकृष्ण ओझा के नेतृत्व में पहुंचे शिक्षकों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सेवा शर्तों में संशोधन को बाध्यकारी किए जाने से हजारों शिक्षकों की आजीविका संकट में आ गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने गुपचुप तरीके से नियमों में बदलाव किया, जिससे पहले से कार्यरत शिक्षकों का भविष्य अनिश्चित हो गया है। जिला कोषाध्यक्ष दुर्गेश यादव ने कहा कि नियुक्ति के समय सभी नियमों का पालन किया गया था। ऐसे में, नौकरी के बीच में नए नियम थोपना सरासर अन्याय है और यह शिक्षकों के साथ गलत है। सांसद राम प्रसाद चौधरी ने शिक्षकों को आश्वासन दिया कि यह एक अत्यंत संवेदनशील मामला है। उन्होंने कहा कि वे इसे आगामी संसद सत्र में उठाएंगे और प्रधानमंत्री तथा मानव संसाधन मंत्री से मिलकर आरटीई लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट दिलाने की पूरी कोशिश करेंगे। ज्ञापन सौंपने वालों में सुधीर तिवारी, प्रवीण श्रीवास्तव, शिव प्रकाश सिंह, प्रताप नारायण, संतोष जायसवाल, विवेककांत पाण्डेय, उमाकांत शुक्ल, हृदय विकास पांडेय, अनिल पाठक, मोहम्मद असलम, शेष मणि पटेल, संदीप कुमार, विजय यादव, मनीष कुमार, संजय चौधरी, कांति सेन, विकास श्रीवास्तव, हरेंद्र यादव, प्रसून श्रीवास्तव, लाल साहब, सुभाष, राजेश कुमार, प्रकाश गौतम, रामसागर वर्मा, उमाशंकर बौद्ध, शिवरतन, इरफानुर्रहमान, आरिफ, मसूद अहमद, पवन यादव और दुष्यंत सिंह सहित बड़ी संख्या में शिक्षक मौजूद थे।

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