विंध्याचल में नहीं जलाया जाता रावण का पुतला:लोग अंश लूटकर घर ले गए, बोले- शुभ और सुरक्षा का प्रतीक
मिर्जापुर के विंध्याचल धाम में दशहरा पर रावण का पुतला जलाया नहीं जाता, बल्कि एक अनोखी परंपरा के तहत उसे लूट लिया जाता है। भगवान राम द्वारा बाण वर्षा कर रावण का वध करने के बाद स्थानीय नागरिक पुतले पर टूट पड़ते हैं और उसके अंश अपने घरों को ले जाते हैं। यह नजारा आधी रात को विंध्याचल में देखा गया। जहां राम का बाण लगते ही भीड़ रावण के पुतले पर टूट पड़ी। लोगों ने पुतले को नोच-नोच कर खत्म कर दिया और उसके टुकड़े अपने साथ ले गए। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। मान्यता है कि रावण के पुतले का अंश घर में रखने से भूत, पिशाच, चुड़ैल जैसी नकारात्मक शक्तियों के साथ-साथ चारपाई में खटमल का प्रकोप भी नहीं होता। लोग इसे घर की रखवाली और सुरक्षा के लिए शुभ मानते हैं। ये है मान्यता सिद्धपीठ माता विंध्यवासिनी के धाम में शिव भक्त रावण का पुतला इसलिए नहीं जलाया जाता क्योंकि माना जाता है कि भगवान राम ने स्वयं बाण मारकर उसे मोक्ष प्रदान किया और स्वर्ग लोक भेजा था। लंकापति रावण राक्षसों का राजा होने के साथ ही एक महाज्ञानी ब्राह्मण भी था, इसलिए उसका बार-बार पुतला दहन करने की परंपरा यहां नहीं है। विंध्याचल निवासी राकेश बाबा ने इस परंपरा की पुष्टि करते हुए बताया कि भगवान राम का बाण लगते ही लोग पुतले पर टूट पड़ते हैं और उसे लूट लेते हैं। उनके अनुसार, पुतले में लगे बांस के टुकड़ों को घर में रखने से नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है। मिर्जापुर में दशहरे की कुछ और तस्वीरें देखिए
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