वक्फ संपत्तियों का उम्मीद पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य:वक्ता बोले- भारत में वक्फ की परंपरा कई सदियों पुरानी है

इटावा में शहर के इस्लामिया इंटर कॉलेज में रविवार को सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड की ओर से आयोजित कार्यशाला में वक़्फ़ संशोधन अधिनियम-2025 की जानकारी दी गई। इस अवसर पर बोर्ड के कार्यपालक अधिकारी एस.एम. अफ़ज़ाल काशिफ़ ने कहा कि वक़्फ़ इस्लाम का वह अनोखा संस्थान है, जिसमें मुसलमान अपनी संपत्ति अल्लाह की राह में समर्पित करता है। इसका उद्देश्य है कि वह संपत्ति हमेशा समाज की भलाई, मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों और यतीमख़ानों में काम आए। काशिफ़ ने कहा कि वक़्फ़ एक सदक़ा-ए-जारीया है, जिसका सवाब इंसान के मरने के बाद भी जारी रहता है। वक़्फ़ की सबसे बड़ी शर्त यह है कि संपत्ति स्थायी और अविक्रीत होती है तथा उसे उसी उद्देश्य में खर्च किया जाता है, जिसके लिए वक़्फ़ किया गया हो। उन्होंने बताया कि 2025 के संशोधन अधिनियम के तहत उम्मीद (UMEED) पोर्टल लॉन्च किया गया है। इस पर सभी वक़्फ़ संपत्तियों और मुतवल्लियों का पंजीकरण 5 दिसंबर 2025 तक करना अनिवार्य है। कार्यशाला के संयोजक मौलाना तारिक शम्सी ने कहा कि भारत में वक़्फ़ की परंपरा कई सदियों पुरानी है। आज़ादी के बाद बने क़ानूनों के बावजूद वक़्फ़ संपत्तियों पर अतिक्रमण और भ्रष्टाचार की समस्या बनी हुई है। अब उम्मीद पोर्टल के ज़रिए इन संपत्तियों का डिजिटलीकरण और निगरानी आसान हो जाएगी। मास्टर ट्रेनर ऐजाज़ अहमद ने कहा कि प्रदेश में पंजीकरण की गति अभी धीमी है। मुतवल्ली तकनीकी दिक़्क़तों और जागरूकता की कमी से जूझ रहे हैं। इसलिए वक़्फ़ बोर्ड द्वारा ज़िला स्तर पर कार्यशालाएँ आयोजित की जा रही हैं। इस अवसर पर फुरकान अहमद ख़ान, डॉ. अफ़ज़ाल अहमद ख़ान बरकाती और कॉलेज प्रबंधक हाजी मुहम्मद अल्ताफ़ ने भी अपने विचार रखते हुए वक़्फ़ संपत्तियों की हिफ़ाज़त को समय की ज़रूरत बताया। कार्यक्रम की शुरुआत कुरआन की तिलावत से हाफ़िज़ हसन मुआविया ने और नात शरीफ़ से हाफ़िज़ मुहम्मद यहया ने की। संचालन मौलाना तारिक शम्सी ने किया। कार्यशाला में सहायक सर्वे वक़्फ़ आयुक्त कार्यालय के प्रतिनिधि वक़्फ़ निरीक्षक राम सुमेर सहित इटावा व औरैया से लगभग 200 मुतवल्ली और प्रबंध समितियों के सदस्य मौजूद रहे।

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