रिहा कैदी ने जेल के खाते से निकाले 30 लाख:मां-पत्नी के अकाउंट में किए ट्रांसफर, 18 महीने बाद खुला राज, 4 पर केस दर्ज
आजमगढ़ मंडलीय कारागार से 20 मई 2024 को रिहा हुआ कैदी रामजीत यादव उर्फ संजय जेल से बाहर आने के बाद भी अपराध करने से नहीं रुका। जेल से रिहा होने के बाद उसने कारागार के सरकारी खाते से 30 लाख रुपए से अधिक की धोखाधड़ी कर ली। रामजीत यादव, ग्राम जमुआ शाहगढ़ थाना बिलरियागंज का रहने वाला है। वह अपनी पत्नी की हत्या के मामले में 24 फरवरी 2023 को जेल गया था और 20 मई 2024 को जमानत पर रिहा हुआ। रिहाई के वक्त उसने जेल अधीक्षक द्वारा संचालित केनरा बैंक के खाते की चेकबुक चुरा ली। जेल खाते से निकालता रहा पैसा
रिहा होने के अगले दिन 21 मई 2024 को उसने 10 हजार रुपए, 22 मई को 50 हजार रुपए, और कुछ दिन बाद 1.40 लाख रुपए खाते से निकाल लिए। जेल प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। इसी तरह, 18 महीनों तक वह जेल का ठेकेदार बनकर फर्जी हस्ताक्षर से रकम निकालता रहा। मामला तब सामने आया जब 22 सितंबर 2025 को खाते से अचानक 2.60 लाख रुपए निकले। बैंक से सूचना मिलने पर जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह ने मामले की जांच कराई। फर्जी हस्ताक्षर से की निकासी, चार पर मुकदमा दर्ज
जेल अधीक्षक ने जब वरिष्ठ लेखा प्रभारी मुशीर अहमद से पूछताछ की, तो उन्होंने निकासी से अनभिज्ञता जताई। बाद में बैंक स्टेटमेंट निकलवाने पर पूरा मामला खुल गया। जांच में पता चला कि रिहा हुआ कैदी रामजीत यादव उर्फ संजय खुद को जेल का ठेकेदार बताकर अधीक्षक के फर्जी दस्तखत से बैंक खाते से पैसे निकाल रहा था। मामले के खुलासे के बाद जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह ने कोतवाली आजमगढ़ में चार लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया है। इनमें रामजीत यादव उर्फ संजय (मुख्य आरोपी), शिवशंकर उर्फ गोरख (पूर्व कैदी), वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद और चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय शामिल हैं। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। क्या है पूरा मामला?
आजमगढ़ के बिलरियागंज थाना क्षेत्र के जमुआ शाहगढ़ निवासी रामजीत यादव उर्फ संजय का आपराधिक इतिहास पुराना है। वह अपनी पत्नी अनीता की हत्या के मामले में वर्ष 2011 में जेल गया था। साल 2017 में उसे जमानत मिल गई। जेल से रिहा होने के बाद रामजीत ने नीतू नाम की महिला से दूसरा विवाह कर लिया। मगर पुराने मामले में अदालत ने 24 फरवरी 2023 को हत्या का दोषी करार देते हुए उसे सजा सुनाई, जिसके बाद वह दोबारा जेल भेजा गया। जेल में रहते हुए रामजीत यादव को अंदरूनी कार्यों की जिम्मेदारी मिलने लगी। इसी दौरान उसने जेल प्रशासन के कामकाज को बारीकी से समझ लिया और यह भी देख लिया कि जेल अधीक्षक किस तरह बैंक चेक पर दस्तखत करते हैं। 20 मई 2024 को जब वह जमानत पर जेल से रिहा हुआ, तो उसी दौरान उसने अकाउंटेंट के कमरे से केनरा बैंक की चेकबुक चुरा ली। जेल प्रशासन को इस चोरी की 18 महीने तक भनक तक नहीं लगी, और न ही इस संबंध में किसी तरह की पुलिस शिकायत दर्ज कराई गई। मां, पत्नी और अपने खाते में ट्रांसफर किए पैसे
20 मई 2024 को जेल से रिहा होने के बाद रामजीत यादव ने अपनी पत्नी नीतू यादव और मां सेटॉमी देवी के नाम पर बैंक खाता खुलवाया। इसके साथ ही उसने जेल की चेकबुक से लगातार पैसे अपने और अपने परिजनों के खातों में ट्रांसफर करना शुरू कर दिया। जांच में सामने आया कि रामजीत यादव ने नीतू यादव के खाते में 2.40 लाख रुपए, सेटॉमी देवी के खाते में लगभग 3 लाख रुपए, और अपने खाते में 30 लाख से अधिक रुपए जमा कराए। जब जेल प्रशासन ने बैंक से स्टेटमेंट निकलवाया, तो पता चला कि इस पूरी धोखाधड़ी की राशि 30 लाख रुपए से अधिक है। सूत्रों के अनुसार, इस खेल में बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की संभावना को भी पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता। जेल अधीक्षक के नाम से चलता है सरकारी खाता
आजमगढ़ जेल का सरकारी खाता जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह के नाम से संचालित होता है। इस खाते में सरकार द्वारा भेजा गया पैसा जमा होता है और जेल में काम करने वाले कैदियों का भुगतान इसी खाते से किया जाता है। कभी-कभी कैदी अपने परिजनों को भी चेक के माध्यम से भुगतान कर देते हैं। जेल के अकाउंटेंट इस पूरे कार्य का संचालन करता है और इसमें कुछ मामलों में कैदियों की मदद भी ली जाती है। यही सिस्टम रामजीत यादव ने भुनाया। जेल अकाउंटेंट के भरोसे रहते हुए रामजीत यादव ने सिस्टम में सेंधमारी करके 30 लाख रुपए से अधिक की धोखाधड़ी अंजाम दी। जेल प्रशासन पर कैसे नहीं पड़ी नजर?
इस मामले के सामने आने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि 17 महीने पहले जेल से रिहा हुआ आरोपी रामजीत यादव जेल की सरकारी चेकबुक अपने साथ ले जाता है और इसके बावजूद जेल अधिकारियों और कर्मचारियों को भनक तक नहीं लगती। आश्चर्य की बात यह है कि इन 18 महीनों में उसने 30 लाख रुपए से अधिक सरकारी राजस्व अपने और अपने परिवार के खातों में ट्रांसफर कर लिए। जबकि खाते से पैसे निकलते ही सिस्टम में मैसेज आता है, फिर भी जेल प्रशासन को इस पूरी धोखाधड़ी की जानकारी नहीं थी। घटना के उजागर होने के बाद जेल प्रशासन में सन्नाटा फैल गया। जब मामले की जानकारी लखनऊ के अधिकारियों को मिली, तो आजमगढ़ के जेल अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई गई। इस वजह से अधिकारियों में कमरे के सामने खुलकर बात करने में भी हिचक देखने को मिली। जेल अधीक्षक बोले-मुकदमा दर्ज कर दिया गया
इस मामले में दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए आजमगढ़ जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह ने बताया कि मामले की जानकारी मिलने के बाद चार आरोपियों के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। साथ ही, इस पूरी घटना की जानकारी लखनऊ के अधिकारियों को भी दे दी गई है। आदित्य कुमार सिंह ने बताया-आरोपी रामजीत यादव ने जेल के सरकारी खाते की चेकबुक का दुरुपयोग कर 30 लाख से अधिक रुपए की धोखाधड़ी की है।
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