राप्ती कटान से सैकड़ों बीघा कृषि भूमि नदी में समाई:बलरामपुर में किसानों की फसलें बर्बाद, जीवनयापन का संकट

बलरामपुर जिले के बेलवा सुल्तानजोत सहित तटवर्ती गांवों में राप्ती नदी की कटान से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। नदी का जलस्तर घटने और तेज कटान के कारण सैकड़ों बीघा कृषि भूमि और खड़ी फसलें नदी में समा गई हैं। धान और गन्ने जैसी प्रमुख फसलों के बर्बाद होने से किसानों की आजीविका पर संकट आ गया है। खेत छिन जाने के बाद ग्रामीणों के पास अब न तो रोजगार बचा है और न ही जीवनयापन का कोई अन्य साधन। ग्रामीणों के अनुसार, पिछले दो दशकों से राप्ती नदी की दिशा और स्वरूप में लगातार बदलाव हो रहा है। हर साल कटान से हजारों बीघा उपजाऊ भूमि नदी में विलीन हो जाती है, लेकिन इस बार स्थिति अधिक गंभीर है। कई किसानों की पुश्तैनी जमीन भी नदी में बह चुकी है। किसान रामकुमार ने बताया कि उनका जीवन इन खेतों पर निर्भर था। अब खेत न बचने से गुजारा करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पहले भी एक बार पलायन करना पड़ा था, और अब वैसी ही स्थिति फिर आ गई है। किसानों ने प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि अधिकारी गांव आकर केवल प्रधान की बात सुनते हैं और किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देते। ग्रामीणों का मानना है कि उनकी बात उच्च अधिकारियों तक ठीक से नहीं पहुंचाई जाती।
एक अन्य किसान ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि उनके पास अब न तो खेत हैं और न ही मजदूरी का कोई विकल्प। उन्हें बेटी की शादी, बच्चों की पढ़ाई और घर के खर्चों को लेकर चिंता सता रही है। जो थोड़ी बहुत फसल बची है, उसे काटकर पशुओं को चारा दिया जा रहा है। प्रशासन का दावा है कि कटान प्रभावित इलाकों में निगरानी के लिए टीमें तैनात हैं और स्थिति पर नजर रखी जा रही है। हालांकि, किसानों का सवाल है कि यदि सब कुछ ठीक है, तो अब तक कोई अधिकारी गांव क्यों नहीं पहुंचा है। ग्रामीणों का कहना है कि वे लगातार प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें कोई ठोस राहत नहीं मिली है।

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