यूनेस्को दल ने चित्रकूट के भू-धरोहर स्थलों का किया निरीक्षण:विशेषज्ञ ने दी रिपोर्ट, जियोपार्क घोषित होने की संभावना
यूनेस्को ग्लोबल जियो पार्क विशेषज्ञ डॉ. अलीरेजा अमरीकजामी के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने मंगलवार को चित्रकूट क्षेत्र में प्रस्तावित जियोपार्क के दूसरे दिन का दौरा किया। इस दौरान दल ने कालिंजर किला, नरैनी का टनटना पहाड़, बृहस्पति कुंड जलप्रपात और शैल चित्राश्रय का गहन निरीक्षण किया। यह दौरा चित्रकूट को भारत का पहला यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क घोषित कराने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है। यह तीन दिवसीय दौरा 29 सितंबर से 1 अक्टूबर तक चला। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकारें इस परियोजना को संयुक्त रूप से आगे बढ़ा रही हैं। सुबह, दल विंध्याचल की गोद में स्थित ऐतिहासिक कालिंजर किले पहुंचा। लगभग 1,200 फुट की ऊंचाई पर स्थित यह गिरि-दुर्ग भू-पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों ने यहां नीलकंठ महादेव मंदिर, चट्टानी संरचनाओं और प्राचीन जल संचयन प्रणाली का अध्ययन किया। दल ने इसे भूवैज्ञानिक इतिहास और सांस्कृतिक वैभव का अद्वितीय संगम बताया।इसके बाद, नरैनी के टनटना पहाड़ पर दल ने घंटी जैसी ध्वनि उत्पन्न करने वाली चट्टानों का निरीक्षण किया। डॉ. अमरीकजामी ने इन चट्टानों को ‘भू-संगीत’ की संज्ञा दी और कहा कि यह स्थल पर्यटकों के लिए एक अनोखा इंटरैक्टिव अनुभव प्रदान करेगा। दोपहर में, दल पन्ना जिले के बृहस्पति कुंड जलप्रपात पहुंचा। लगभग 300 फुट ऊंचे इस झरने के आसपास 10 हजार वर्ष पुराने प्रागैतिहासिक शैल चित्र पाए गए हैं। यहां की जैव विविधता और प्राकृतिक संरचना ने विशेषज्ञों को विशेष रूप से प्रभावित किया। वहीं शाम को, दल ने बृहस्पति कुंड शैल आश्रय का भी निरीक्षण किया। जहां आखेटक समुदायों की प्राचीन चित्रकला मौजूद है। निरीक्षण के बाद, डॉ. अलीरेजा अमरीकजामी ने कहा, चित्रकूट की भू-सांस्कृतिक धरोहर यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क के सभी मानदंडों को पूरा करती है। मैं इस पर एक सकारात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करूंगा। डॉ. सतीश त्रिपाठी ने इस पहल को विदेशी पर्यटन और क्षेत्रीय विकास के लिए एक मील का पत्थर बताया। वहीं, पर्यावरणविद् डॉ. अश्वनी अवस्थी ने विश्वास व्यक्त किया कि जियोपार्क से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और पलायन रुकेगा। वर्तमान में, दुनिया भर में 177 जियोपार्क हैं। लेकिन भारत में एक भी नहीं है। विशेषज्ञों के इस दौरे के बाद उम्मीद है कि चित्रकूट इस सूची में शामिल होकर एक वैश्विक धरोहर के रूप में स्थापित होगा।
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