बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर चलता था कुख्यात बलराम ठाकुर:28 साल तक आतंक का पर्याय रहा, एक साथ दोनों हाथों से गोली चलाने में था एक्सपर्ट

गाजियाबाद पुलिस ने शनिवार रात 8 बजे कुख्यात गैंगस्टर बलराम ठाकुर को एनकाउंटर में मार गिराया। बलराम पर 50 हजार रुपए का इनाम था। उसके खिलाफ गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, अलीगढ़ और रामपुर में 34 से ज्यादा केस दर्ज थे। इनमें हत्या, लूट, रंगदारी, अपहरण और फिरौती जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं। तीन दिन पहले उसने गाजियाबाद के तीन व्यापारियों से 75 लाख रुपए की रंगदारी मांगी थी। रकम न देने पर जान से मारने की धमकी दी थी। बलराम बुलंदशहर के माया जाट गांव का रहने वाला था। वह दुजाना गैंग का सरगना था। पिछले 28 साल से वह वेस्ट यूपी में खौफ का दूसरा नाम बना हुआ था। उसका इतना खौफ था कि जो भी हत्याएं हुई उनमें लोग गवाही देने से भी कतराते थे। रंगदारी वसूलने आया था, मारा गया
एनकाउंटर की कार्रवाई शनिवार रात 8 बजे वेव सिटी थाना क्षेत्र के ईस्टर्न पेरिफेरल अंडरपास के पास हुई। बलराम एक फर्जी नंबर प्लेट लगी बलेनो कार में अपने तीन शूटरों के साथ रंगदारी वसूलने गाजियाबाद आया था। पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली और घेराबंदी की गई। मुठभेड़ में करीब 20 मिनट में 35-40 राउंड फायरिंग हुई। बलराम को सीने और पैर में गोली लगी। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। कार से एक ब्लैक बुलेटप्रूफ जैकेट, एक बीयर की बोतल, मोबाइल फोन, 10350 रुपए नगद और तीन पिस्टल .30 बोर की चाइनीज PX3, .45 बोर की इंग्लिश रिवॉल्वर,और .30 बोर की पिस्टल बरामद की गई। पुलिस के अनुसार बलराम अक्सर बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर ही चलता था और दोनों हाथों से पिस्टल चलाने की पहचान रखता था। स्वाट टीम और क्राइम ब्रांच की बुलेटप्रूफ जैकेट में लगीं गोलियां
मुठभेड़ में पुलिस की स्वाट टीम और क्राइम ब्रांच की टीमें शामिल थीं। पुलिस कमिश्नर जे. रविंदर गौड़ ने बताया कि बलराम की गोलीबारी में क्राइम ब्रांच प्रभारी अनिल राजपूत और एडिशनल डीसीपी क्राइम पीयूष सिंह की बुलेटप्रूफ जैकेट में भी गोलियां लगीं। स्वाट टीम की सरकारी गाड़ी पर भी पांच गोलियां लगीं। मुठभेड़ में हेड कॉन्स्टेबल मनोज चौधरी, विशाल राठी और वरुण वीर सिंह घायल हुए हैं। दुजाना गैंग की कमान संभाली थी
एडिशनल पुलिस कमिश्नर आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि बलराम ठाकुर ने 1997 में अलीगढ़ के क्वारसी में अपने रिश्तेदार की हत्या से अपराध की दुनिया में कदम रखा था। जेल से छूटने के बाद उसने लूट, रंगदारी और हत्याएं कर गैंग का दायरा बढ़ाया।
मई 2023 में गैंग के मुखिया अनिल दुजाना के एनकाउंटर के बाद बलराम ने गैंग की कमान संभाल ली थी। उसने नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ और बुलंदशहर में व्यापारियों से रंगदारी वसूली, अपहरण और हत्या जैसे संगीन अपराधों को अंजाम दिया। जुलाई में मसूरी के एक ट्रांसपोर्टर को अगवा कर दुजाना गांव में बंधक बनाकर लाखों रुपए और सोना वसूला गया था। जेल के सिपाही की कराई थी सुपारी किलिंग
2015 में बलराम ने बुलंदशहर जेल में रहते हुए सिपाही गोपाल की हत्या की सुपारी दी थी, जिसमें 70 हजार रुपए की रकम तय की गई थी। इसी गैंग ने 2010 में कविनगर में पेट्रोल पंप लूटा, मोहननगर में व्यापारी का अपहरण किया और मेरठ के लालकुर्ती में एक व्यापारी की हत्या कर दी थी। नोएडा में जून 2015 में सिपाही नितिन वर्मा और राजकुमार शर्मा की हत्या भी बलराम के इशारे पर कराई गई थी। रंगदारी वसूलने आए तीन व्यापारियों को दी थी धमकी
17 सितंबर को बलराम ने कविनगर स्थित मदन स्वीट्स एंड रेस्टोरेंट के मालिक ब्रहमपाल यादव को खुद को अनिल दुजाना का गुरु बताकर फोन किया। दुकान पर मौजूद कर्मचारी कुमकुम से कहा कि 24 घंटे में 50 लाख रुपए नहीं दिए तो हत्या कर दी जाएगी। दो मिनट बाद ही सिहानीगेट के व्यापारी अभिषेक गोयल से 20 लाख रुपए मांगे। जुलाई में मसूरी के ट्रांसपोर्टर को अगवा कर दर्जनों तोले सोना और नकद वसूले। गांव में वृद्ध मां और ट्रक ड्राइवर भाई
बलराम का परिवार अभी भी बुलंदशहर के माया जाट गांव में रहता है। उसकी वृद्ध मां और एक ट्रक चालक भाई हैं, जो अब भी गांव में ही हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि गांव में बलराम के नाम से अब भी खौफ बना हुआ है।

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर