बांके बिहारी के दर्शन का समय बढ़ेगा या नहीं?:मथुरा में कमेटी ने 2.30 घंटे समय बढ़ाया; विरोध में सेवायत ने कराया सर्वे

बांके बिहारी मंदिर में ठाकुरजी के दर्शन समय को हाई पावर कमेटी ने 2.30 घंटे बढ़ा दिया। मंदिर के सेवायत इस आदेश के विरोध में आ गए हैं। इस वक्त पुरानी समय सारिणी के अनुसार ही भक्तों को दर्शन कराए जा रहे हैं। सेवायतों के आगे कमेटी के पदाधिकारियों की नहीं चली। कहा गया- जब 28 नवंबर, 2022 को हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया है, तो कमेटी मंदिर के दर्शन समय को कैसे बदल सकती है? पूरे मामले में 1 अक्टूबर को खींचतान बढ़ गई। जब मंदिर के सेवाधिकारी बिट्‌टू गोस्वामी को एंट्री देने के बाद अन्य सेवायत/शिष्यों को बाहर ही रोक दिया गया। सेवायतों ने कहा- ठाकुरजी की नई पोशाक और श्रृंगार भी मंदिर के सेवाधिकारी तक नहीं पहुंच पाए। ठाकुरजी को सेवाधिकारी ने पुरानी पोशाक ही धारण कराई। सेवायतों ने इस मामले में भक्तों के बीच एक सर्वे भी करवा लिया है। इसमें भक्तों ने कहा, वो ठाकुरजी के दर्शन समय को बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं। ये विवाद क्या है? क्या ठाकुरजी के दर्शन समय बढ़ाना ठीक है? इसको करीब से समझने के लिए दैनिक भास्कर ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। मंदिर के सेवायत और भक्तों से नई व्यवस्था को समझने की कोशिश की। पढ़िए रिपोर्ट… सेवायतों की बात हमने भक्तों के बीच सर्वे किया, कोई समय बढ़ाने के सपोर्ट में नहीं
कुंज गलियों से होते हुए टीम मंदिर तक पहुंची। यहां आम दिनों की तरह दर्शन-पूजन चल रहा था। माहौल कुछ ऐसा दिखा कि भक्तों को दर्शन की टाइमिंग बदलने के बारे में पता भी नहीं था। यहां हमारी मुलाकात सेवायत हिमांशु गोस्वामी से हुई? हमने पूछा- पूजा समय का विवाद क्या है? वह कहते हैं- कमेटी ने दर्शन का समय बढ़ा दिया है। इसका कोई औचित्य नहीं है। बांके बिहारी के लिए लाडले शब्द का इस्तेमाल करते हैं। राजा के मिलने का समय तय मत करिए। जब स्वामी हरिदास ने ठाकुरजी की मंगला आरती नहीं की, जो सुबह 6 बजे होती है, क्योंकि वो बालक हैं, उन्हें सुबह जल्दी क्यों जगाना। आप शुरू से देखिए, ठाकुरजी के दर्शन लेट ही होते हैं। ताकि उनकी नींद पूरी हो। अब एक कमेटी आती है और आदेश जारी कर देती है। उनको तो वैसे भी पूजा पद्धति में छेड़छाड़ करने की अनुमति नहीं थी। हमने भी एक सर्वे भक्तों के बीच किया कि समय बढ़ाया जाना चाहिए कि नहीं? सभी भक्तों का यही मत था कि कुआं कभी प्यासे के पास नहीं जाता, इसलिए भक्त ही दर्शन को सुलभ बनाएंगे। मंदिर कमेटी इस मामले में कुछ न करे। कमेटी को ये देखना चाहिए कि इस तय समय में कैसे सही से दर्शन कराए जा सकते हैं। हाई पावर कमेटी श्रद्धालुओं के हित में कुछ भी करे। सभी लोग समर्थन करेंगे, लेकिन पूजा पद्धति को लेकर कुछ करेगी तो गोस्वामी समाज विरोध करेगा। जिनके लिए ठाकुरजी सिर्फ मूर्ति, वो अपने घर रहे सेवायत नितिन सांवरिया ने कहा- हमारा कोई विवाद नहीं, हमें सिर्फ ठाकुरजी की सेवा पुरानी परंपरा के अनुसार ही करनी है। हमें भक्तों का आराम नहीं देखना है। हमें सिर्फ ठाकुर जी का कंफर्ट देखना है। भक्तों को ठाकुरजी के पास आना है, तो वो ठाकुरजी के हिसाब से आएंगे। भक्तों की सुविधा के लिए ठाकुरजी को कष्ट क्यों दे रहे हैं? हजारों लोगों से तो हम पूछ चुके कि क्या ऐसा होना चाहिए। क्या आपकी वजह से ठाकुरजी को कष्ट देना चाहिए? भक्तों ने कहा- यह अनुचित है। आप समझिए कि हर दिन ठाकुर जी 13-14 घंटे दर्शन व्यवस्था में रहते हैं। आप पूछेंगे कैसे…? सुबह 6 बजे गोस्वामी सेवायत मंदिर में प्रवेश कर जाते हैं। 7.45 बजे दर्शन खोलते हैं। 12 बजे ठाकुरजी शयन में जाते हैं। 1 बजे सेवायत मंदिर से बाहर चले जाते हैं। ऐसा ही क्रम शाम के वक्त चलता है। अब कमेटी क्या चाहती है कि दिन के 17-18 घंटे ठाकुरजी दर्शन देते रहें। जिनकी भावनाएं नहीं है, जिनके लिए ठाकुरजी एक मूर्ति हैं, हम कहते हैं, वो अपने घर रहे। क्या किसी संत ने बिना तपस्या के ठाकुर जी को प्राप्त किया है। भक्त क्या सोचते हैं, ये जानिए ठाकुरजी थक जाएंगे, वो परेशान तो हम भी होंगे गुजरात की सौम्या कहती हैं- यहां बांके बिहारी का बाल स्वरूप है, उन्हें स्नेह दिया जाता है। बदले में आशीर्वाद लिया जाता है। उन्हें आराम देने की भी जरूरत होती है, इसलिए टाइमिंग को बढ़ाना ठीक नहीं होगा। मथुरा के रविकांत कहते हैं- ठाकुरजी के दर्शन के लिए समय बढ़ाने का फैसला सही नहीं है। यहां ठाकुरजी बाल स्वरूप में हैं। जैसे एक बच्चा होता है, अगर उसको सही से नींद न मिले, आराम न मिले, तो वो परेशान होता है, वैसे ही हमारे ठाकुरजी है। वो थक जाएंगे। अगर ठाकुरजी को परेशानी होगी, तो उनके भक्तों को भी परेशानी होगी। हम इस बदलाव के सपोर्ट में नहीं है। ठाकुरजी को कोई दर्शन देने का आदेश न दे…
इसके बाद हमारी मुलाकात ठाकुर मोहित से हुई। वह कहते हैं- बांके बिहारी की सेवा बाल स्वरूप में होती है। मतलब छोटे बच्चे की तरह। जैसी व्यवस्था कई सालों से चली आ रही है, ये वैसी ही चलनी चाहिए। क्योंकि वो बालक है। अब एक बच्चे को कितनी देर खड़ा रख सकते हैं। ज्यादा से ज्यादा 1 से 2 घंटे। बिहारीजी को कृपा से दर्शन लायक रहने दिया जाए। उन्हें दर्शन देने का आदेश न दिया जाए। वो तो पूरी सृष्टि को आदेश देते हैं। अब वो समय सारिणी जानिए, जिस पर सेवायत अड़े… सुबह, शाम 4-4 घंटे दर्शन दे रहे
सेवायत जिस समय सारिणी पर अड़े हैं, उसके मुताबिक- सुबह 7:45 से दोपहर 12 बजे तक और शाम को 5:30 से रात 9:30 तक ही दर्शन के लिए कपाट खोले जाते हैं। इसमें सुबह के वक्त 4.15 घंटे और शाम को 4 घंटे ही दर्शन होते हैं। वहीं, सेवायत कहते हैं कि भगवान बांके बिहारी बाल स्वरूप में हैं, उनकी सेवा उसी भाव से की जाती है। इसीलिए हाथ पैर दबाकर सेवा करके विश्राम कराया जाता है। इसी तरह शाम के दर्शनों के बाद विश्राम कराया जाता है। कमेटी उनको और ज्यादा खड़ा करना चाहती है। बाकी वक्त ठाकुरजी विश्राम करते हैं। नई समय सारिणी लागू होने के बाद भी सेवायत पुरानी व्यवस्था पर ही दर्शन करवा रहे हैं। अब जानते हैं कि हाई पावर टैंपल कमेटी ने क्या कहा सबको दर्शन मिले, इसलिए समय बढ़ाना होगा
29 सितंबर को शहीद लक्ष्मण सिंह भवन में एक मीटिंग हुई। इसमें कमेटी के अध्यक्ष हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज अशोक कुमार, कमेटी के सचिव DM चंद्र प्रकाश सिंह समेत सभी सदस्य मौजूद रहे। इसमें भक्तों को ज्यादा दर्शन मिले, इसके लिए नई समय सारिणी जारी की गई। कमेटी का कहना था कि सामान्य दिनों में 2 लाख भक्त यहां पहुंच रहे हैं, जबकि त्योहारों पर 8 से 10 लाख भक्त आते हैं। ऐसे में सबको दर्शन मिले, इसके लिए ये फैसला किया गया है। बता दें कि सेवायत पहले से बांके बिहारी मंदिर में हो रहे बदलाव को लेकर विरोध में हैं। पहले बांके बिहारी कॉरिडोर, फिर मंदिर के गर्भगृह के नीचे खजाने को खोलने पर विरोध किया। स्टेट बैंक में ठाकुरजी के लॉकर को खोलने के फैसले से भी सेवायत नाराज रहे हैं। इस वक्त समय सारणी में बदलाव को भी सेवायत ने माना नहीं है। ………. ये ग्राउंड रिपोर्ट पढ़ें – बांके बिहारी का 160 साल पुराना खजाना खुलेगा, हीरे-पन्नों से जड़े हार, सोने के कलश में सिक्के; VIDEO में तहखाने का रास्ता देखिए बांके बिहारी मंदिर में ‘ठाकुरजी’ का 160 साल पुराना खजाना खोला जाएगा। हर कोई जानना चाहता है कि इस खजाने में क्या है? मंदिर में खजाना जिस कमरे में रखा है, उसके कपाट यूं तो 54 साल पहले खुले थे। यहां सोने-चांदी के जेवर, सोने के कलश और चांदी के सिक्के रखे हैं। इनकी वेल्युएशन कितनी है? इसका कभी सर्वे नहीं हुआ। अनुमान है कि ये कई सौ करोड़ के हो सकते हैं। पढ़िए पूरी खबर…

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