बलिया में सरयू नदी की कटान तेज, VIDEO:गोपालनगर टाड़ी में 22 परिवार बेघर, दो-तिहाई गांव नदी में समाया
बलिया में सरयू नदी का कटान जारी है, जिससे बैरिया तहसील के गोपालनगर टाड़ी गांव में स्थिति गंभीर हो गई है। पिछले एक सप्ताह में 22 परिवारों के आशियाने नदी में समाहित हो चुके हैं, और ग्रामीण अपने घरों को खुद तोड़ने पर मजबूर हैं। नदी की तेज लहरों ने शुक्रवार को रामायण यादव और ओमप्रकाश यादव के मकानों को अपनी चपेट में ले लिया। राजनारायण यादव, सुरेंद्र यादव, राजाराम यादव, सुनील यादव, बचु यादव, हरेंद्र यादव और राजरानी देवी सहित कुल आठ अन्य लोगों के मकान भी कटान के मुहाने पर हैं। यदि कटान इसी तरह जारी रहा तो ये मकान भी नदी में समा सकते हैं। कटान की तस्वीरें देखिए नंद बोले- नदी बहुत करीब आ गई प्रभावित नंद यादव ने बताया कि नदी बहुत करीब आ गई है, इसलिए वे घर तोड़कर सामान सड़क किनारे रख रहे हैं और किसी तरह जीवन यापन करेंगे। उन्होंने कहा कि रात में कटान तेज होती है, इसलिए लोग रात भर जागकर निगरानी कर रहे हैं। बबीता देवी ने बताया कि नदी नजदीक आने के कारण मकान तोड़ना पड़ रहा है, लेकिन अभी तक यह तय नहीं है कि वे कहां जाएंगे। ग्रामीणों के अनुसार, सरकार द्वारा अभी तक विस्थापितों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। कटान के कारण गोपालनगर टाड़ी गांव में अफरातफरी का माहौल है। लोग अपना सामान समेटकर सुरक्षित स्थानों पर पलायन कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग अपने मकानों को अपने हाथों से उजाड़ रहे हैं। गांव का लगभग दो-तिहाई हिस्सा सरयू नदी में समा चुका है। चन्द्रावती देवी का कहना है कि तिनका-तिनका जोड़कर घर बनाया था। आज स्थिति यह है कि सरयू मईया एकदम नजदीक आ गयी है और हमारी नज़रें अपने आशियाने को उजड़ते हुए देख रही है।यह बर्दास्त नहीं हो रहा लेकिन हम बेबस हैं। कहा कि कटान तेज हो रहा है।ऐसे में हम बस्ती के गरीब लोगों को अपना आशियाना खुद ही उजाड़ना पड़ रहा है। सरकार की तरफ कोई सहायता नहीं मिल रही है।अब कहां जाओगी के प्रश्न पर रोते हुए कहा कि कहीं भी शरण लेंगे। कोई छत तोड़ कोई दीवार तोड़ता मिला जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर गोपालनगर टाड़ी में नदी सरयू के कहर के आगे सब बेबस हैं।नदी तेजी से कटान कर रही है। उबड़-खाबड़ तथा कीचड़ भरे रास्ते से होते हुए दैनिक भास्कर की टीम गोपालनगर टाड़ी गांव पहुंची। जहां का मंजर भयावह था।यहां सभी लोग अपना आशियाना उजाड़ने में तेजी से लगे हुए थे।हर तरफ लोग अपना घर तोड़ते हुए नजर आ रहे थे। कहीं तीन चार की संख्या में लोग अपने छतों को हथौड़े से तोड़ने में लगे हुए थे तो कहीं बच्चे तक दीवारों को तोड़ने में भिड़े थे।कोई अपना सामान गाड़ियों पर लाद रहा था ताकि यहां से जल्द निकला जा सके। 10 आशियाने हो चुके ध्वस्त बस्ती के करीब दस परिवारों के आशियाने ध्वस्त हो चुके हैं।ऐसे परिवार के लोगों ने कटान की वजह से खुद अपना मकान गिराकर उसके,दरवाजे, खिड़कियां,ईंट,सरिया आदि निकाल लिए हैं।आगे बढ़ने पर बस्ती निवासियों का कहना है कि सभी अपना मकान तोड़कर जल्दी यहां से निकलना चाहते हैं।मेरा दो मकान टूट चुका है। विधायक आयीं थी लेकिन वो आश्वासन देकर चली गयीं।सरकारी अफसर भी आ रहे हैं लेकिन कोई सहायता नहीं मिल रही है।बस्ती के लोगों का कहना है कि हमारा कोई पूछनहार नहीं है।वर्षों पूर्व बनाया गया आशियाना तो टूट गया।अब समझ में नहीं आ रहा है कि हम करें तो क्या करें और जायें तो जायें कहां ? पिछले साल करीब 300 आशियानों को निगली थी नदी बलिया दोनों तरफ से नदियों से घिरा है।एक तरफ नदी गंगा तो दूसरी तरफ नहीं सरयू।
नदी सरयू के रौद्र रुप के आगे सब बेबस हो गये हैं।वैसे तो जनपद में नदी सरयू का जल स्तर कम हो रहा है लेकिन कटान तेज है। पिछले साल की बात करें तो गोपाल नगर टाड़ी तथा टिकुलिया गांव के करीब 300 आशियानों को मदीने अपने में समाहित कर लिया था। नदी न केवल कृषि योग्य भूमि को अपने में समाहित कर रही है बल्कि लोगों की रिहायशी आशियाने को भी निगल रही है। बांसडीह तक पहुंची बाढ़ बांसडीह तहसील क्षेत्र के भोजपूरवा गांव में सरयू नदी अपने रौद्र रूप में आ गई हैं। सरयू नदी का बेग काफी तेज हो गया है।नदी के कटान को देखते हुए लोग अपना आशियाना खुद उजाड़ रहे हैं। आशियाना उजाड़ने के लिए अपने नात रिश्तेदारों का भी सहारा लेना पड़ रहा है। लोगों ने अपनी मेहनत के दम पर जिस मकान को खड़ा किया था,उसे अपने ही हाथों जमींदोज करना पड़ रहा है। लोगों ने जिस आशा के साथ कि अपना घर रहेगा तो सकून की जिंदगी जियेंगे। लेकिन क्या पता था कि ऐसी आपदा आएगी की खुद का ही आशियाना उजाड़ना पड़ जायेगा। और कही दूर जाकर जीवन बसर करना पड़ेगा। बैरिया तहसील क्षेत्र अन्तर्गत गोपालनगर टाड़ी में नदी में नौ आशियाने समाहित हो चुके हैं।नदी के निशाने पर करीब तीन दर्जन परिवारों के मकान आ गये है।यहां भी कोमोवेश में भोजपुरवा जैसी स्थिति है।करीब साढ़े चार सौ एकड़ जमीन नदी निगल चुकी है।
Curated by DNI Team | Source: https://ift.tt/cJkp2Z9
Leave a Reply