बलिया में नवरात्र चौथे दिन श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़:मां ब्रह्माणी देवी मंदिरों में सजावट और भक्ति का माहौल
बलिया में शारदीय नवरात्र के चौथे दिन जिले के देवी मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। श्रद्धालु ब्रह्म बेला से पहले ही मंदिरों की ओर निकल पड़े। मंदिरों को प्राकृतिक फूलों और आकर्षक झालरों से सजाया गया है। जिले के प्रमुख मंदिरों में मां मंगला भवानी मंदिर, उचेड़ा स्थित मां भवानी मंदिर, शंकरपुर स्थित मां शांकरी भवानी मंदिर और ब्रह्माइन स्थित मां ब्रह्माणी देवी मंदिर शामिल हैं। इसके अलावा खरीद, सिकंदरपुर, गायघाट, कपूरी, शोभनाथपुर और बांसडीह के देवी मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ रही। मंदिरों के प्रांगण में चुनरी, प्रसाद और फूलों की दुकानें सजी हुई हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए वॉलंटियर्स की व्यवस्था की गई है। भक्त विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर रहे हैं और मां के आशीर्वाद की कामना कर रहे हैं। जिला मुख्यालय से पांच किमी उत्तर बलिया-सिकंदरपुर मार्ग पर ब्रह्माइन गांव स्थित मां ब्राह्माणी देवी का प्राचीन मंदिर दुर्गा सप्तशती और मारकंडेय पुराण में वर्णित है। कहानी के अनुसार, भवन के राजाओं से हारकर राजा सूरथ कुछ सैनिकों के साथ शिकार खेलने के बहाने निकले। जहां आज ब्रह्माइन गांव है, वह क्षेत्र पहले जंगल था। राजा घायल थे और उनके शरीर पर कई घाव थे। एक सरोवर से पानी लाकर उन्होंने उसे छुआ, जिससे उनके घाव ठीक हो गए। महर्षि मेधा और समाधि का आश्रम राजा ने वहीं पर महर्षि मेधा का आश्रम देखा और कुछ दिनों तक उनके आश्रम में विचरण किया। वहां समाधि नामक वैश्य आया, जिसे उसके परिजनों ने घर से निकाल दिया था। पुजारी अभिषेक तिवारी बताते हैं कि राजा सूरथ और समाधि ने महर्षि से शांति पाने का उपाय पूछा। महर्षि ने उन्हें आदि शक्ति की उपासना का निर्देश दिया। तपस्या से प्रसन्न होकर मां ब्रह्माणी देवी अवतरित हुईं और दोनों को मनोवांछित फल प्रदान किया।
Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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