प्रयागराज में पुलिस कस्टडी में मौत का मामला हाईकोर्ट पहुंचा:नवाबगंज थाने में दलित की हुई थी मौत, राज्य सरकार जवाब देने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के नवाबगंज थाने में दलित मजदूर हीरालाल की हिरासत में मौत को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने जवाब के लिए सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ एवं न्यायमूर्ति संतोष राय की खंडपीठ ने अधिवक्ता मंच के मोहम्मद सईद व प्रमोद कुमार गुप्ता की ओर से हिरासत में उत्पीड़न व मौत पर दाखिल जनहित याचिका पर पक्ष एवं विपक्ष के अधिवक्ताओं को सुनकर दिया है। याचिका के अनुसार नवाबगंज थाने में गत 26 मई को नारेपार बढ़ौना, गांव निवासी 40 वर्षीय दलित हीरालाल की थर्ड डिग्री टॉर्चर के बाद मौत हो गई थी। आरोप है कि परिजनों को मृतक मजदूर के शव को न देखने दिया गया और उन्हें सौंपने की बजाय दारागंज घाट पर जला दिया गया। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि इस मामले में मजिस्ट्रेट जांच हुई है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हार्ट अटैक से मृत्यु होने की पुष्टि हुई है। याचियों के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि दलित मजदूर को उसके परिवार के सामने लाठियों से पीटा गया और उसके बाद थाने ले जाकर थर्ड डिग्री टॉर्चर भी दिया गया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। जनहित याचिका में हीरालाल की मौत की न्यायिक जांच और दोषी पुलिसकर्मियों को दंडित करने तथा तीन बच्चों सहित मृतक के परिजनों को 25 लाख का मुआवज़ा प्रदान किए जाने की मांग की गई है। जानिये क्या था पूरा मामला 26 मई की रात को हीरा के साथ क्या हुआ था? परिजनों को वह किस हाल में मिला? किसके कहने पर पुलिस हीरा को ले गई थी? इन सवालों के जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम प्रयागराज मुख्यालय से 25 Km दूर कौड़ीहार ब्लाक में बुढ़ौना गांव पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… सबसे पहले गांव का माहौल समझिए लोग बोले- आखिरी वक्त गांव की मिट्‌टी तक नसीब नहीं हुई बुढ़ौना गांव के बाहर ही हमारी मुलाकात मुकेश से हुई। उन्होंने ही हीरा के घर का रास्ता दिखाया। मुकेश कहते हैं- उसके साथ बहुत बुरा हुआ। वह बहुत मेहनती था। उस पर जो भी आरोप लगे, मुझे नहीं लगता उसमें कोई सच्चाई है। वह हर किसी की मदद करता था। कभी किसी को मना करते नहीं देखा। शायद उसकी इसी आदत ने ही उसकी जान ले ली। हम जैसे ही आगे बढ़े, रास्ते में खेतों पर काम कर रहीं महिलाएं मिलीं। बिना कैमरे के सामने आए उन्होंने कहा- हीरा की मौत की चर्चा यहीं नहीं पड़ोस के गांवों में भी है। सभी हैरान हैं। गांव में लोग बात कर रहे थे कि हीरा की मां, पत्नी और बच्चों का सहारा छीन गया। वो बेचारे आखिरी वक्त में उसे देख तक नहीं सके। पुलिस वालों ने गांव की मिट्टी भी नसीब नहीं होने दी और उसका अंतिम संस्कार करा दिया। यह सब समझते हुए हम हीरा के घर तक पहुंच गए। यहां चारपाई पर हीरा की मां और उसकी पत्नी बैठी थीं। बच्चे गुमसुम एक दूसरी चारपाई पर थे। इसी बीच क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य विजय यादव भी आ पहुंचे। उन्होंने परिवार के लोगों से कहा- हम आपकी मदद करेंगे। पुलिस वालों को सजा दिलवाएंगे। विजय यादव से हमने बात की। उन्होंने कहा- हीरा लाल बेहद ईमानदार और मेहनती था। परिवार के लिए उसे जो काम पकड़ा देता, वह उसे पूरी शिद्दत से पूरा करता। हीरा की मौत पुलिस पर सवाल खड़े करती है। अब सबसे बड़ी जरूरत उसके परिवार को आर्थिक मदद व सहारे की है, जिसके लिए हम सरकार तक आवाज पहुंचाएंगे। हीरा की मौत के तीन दिन बाद भी लोग घर पर सांत्वना देने पहुंच रहे हैं। हीरा की मौत के तीन दिन बाद भी लोग घर पर सांत्वना देने पहुंच रहे हैं। अब मां की बात पुलिसवाले उसे घसीटकर ले गए, 3 दिन से चूल्हा नहीं जला हीरा की मां नइका देवी ने बताया- बेटे की मौत को तीन दिन बीत गए, घर में चूल्हा नहीं जला। बहू खाना ही नहीं खा रही। मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा। जिस उम्र में मुझे भगवान के पास जाना था, मेरा बेटा चला गया। बुढ़ापे में यही देखना था। हीरा के बच्चों की देखभाल उनके चाचा-चाची कर रहे हैं। हमने पूछा- उस दिन क्या हुआ था? नइका देवी कहती हैं- 25 मई की शाम मेरा बेटा हीरा लाल घर पर था। तभी फोन करके उदित नारायण के लड़के ने मेरे बेटे को अपने घर बुलाया। कुछ देर बाद बाइक से उसे तीन सिपाही लेकर मेरे घर आए। उसे लाठियों से पीटा। फिर घसीटते हुए बाइक पर बैठाकर ले गए। वो तो बाइक पर ही लुढ़क गया था। हीरा की मां नइका देवी कहती हैं- पुलिस वाले उस रात कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे। हीरा की मां नइका देवी कहती हैं- पुलिस वाले उस रात कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे। पुलिस ने जबरन अंतिम संस्कार करा दिया भतीजे हरिकेश कुमार ने बताया- मेरे चाचा हीरालाल को पुलिस वाले मारते हुए ले गए थे। उनकी हालत थाने में ही खराब थी। अस्पताल लाए, उनकी मौत हो गई। परिवार वाले पोस्टमॉर्टम के बाद शव को घर लाना चाह रहे थे। मगर पुलिस जबरन दारागंज घाट पर बॉडी लेकर गई और अंतिम संस्कार करवा दिया। घर की महिलाओं को चाचा के अंतिम दर्शन भी नहीं करने दिए। पुलिस उस दिन अपनी ही चला रही थी, वो लोग हमारे परिवार की कोई बात नहीं सुन रहे थे। उन लोगों को किसी के आंसुओं से कोई मतलब नहीं था। भतीजे हरिकेश ने कहा- पुलिस उस दिन अपनी ही चला रही थी, हम लोगों को भी गालियां दे रहे थे। भतीजे हरिकेश ने कहा- पुलिस उस दिन अपनी ही चला रही थी, हम लोगों को भी गालियां दे रहे थे। बेटी बोली- आखिरी बार पिता को सिर्फ रोते हुए देखा बेटी महिमा ने बताया- मैंने आखिरी बार पापा को पिटते हुए ही देखा था, उनके आखिरी शब्द मेरे लिए कुछ नहीं थे। क्योंकि, पुलिस वाले उन्हें लगातार पीट रहे थे। वो चिल्ला रहे थे। कह रहे थे, साहब…हमने कुछ नहीं किया, हमें कुछ नहीं मालूम। ईश्वर मेरे साथ न्याय कब करेगा? मेरे पिता की मौत के जिम्मेदारों को भगवान एक दिन सजा जरूर देगा। आखिरी बार हीरा को बुलाने वाले लड़के को जानिए गांव में ही उदित नारायण तिवारी रहते हैं। उनका मकान हीरालाल के घर से महज 300 मीटर की दूरी पर है। हीरा की मां के मुताबिक, 20 मई को उदित नारायण तिवारी ने हीरा लाल को अपने घर बुलवाया था। उसने हीरा से कहा था कि मैं अपने परिवार के साथ बागेश्वर धाम दर्शन के लिए जा रहा हूं। तुम्हें 3 दिन मेरे घर की रखवाली के लिए चौकीदारी करनी होगी, जिसके बदले में मैं तुम्हें 1500 रुपए दूंगा। हीरा घर की रखवाली के लिए तैयार हो गया। 23 मई को उदित का परिवार घर में ताला लगाकर चला गया। हीरा लाल घर की चौकीदारी में लगे रहे। 3 दिन बाद वह वापस आए। फिर हीरा अपने घर आ गया। शाम को उदित के बेटे ने फोन करके हीरा को अपने घर बुलाया, जहां पुलिस पहले से ही मौजूद थी। उसके घर में चोरी हो चुकी थी। उदित नारायण ने पुलिस को दी तहरीर में बताया- 25 मई को रात करीब 11.45 बजे हम वापस आए। देखा कि घर का ताला टूटा पड़ा था। अलमारी, सूटकेस का ताला तोड़कर कागजात और लगभग 4 लाख रुपए निकाले गए थे। जेवर भी चोरी हो गए थे। घर की सुरक्षा के लिए हीरालाल और उसकी पत्नी लालती उर्फ जमलही को लगाकर गए थे। पुलिस ने जब हीरा लाल को हिरासत में लिया था। तब तक पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया था। दैनिक भास्कर की टीम उदित नारायण तिवारी के घर पहुंची। जहां दरवाजा नॉक किए जाने के बाद निकले एक व्यक्ति ने हमसे किसी तरह की बात करने से इनकार कर दिया। उन्होंने चोरी के मामले में सवाल पूछने पर सिर्फ इतना कहा- जो कुछ भी पूछना हो, थाने जाएं।

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर