प्रयागराज के अलोपीशंकरी मंदिर में नवरात्रि का तीसरा दिन:मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए उमड़े श्रद्धालु, लाल चुनरी से सजे पालने की हुई आरती

प्रयागराज में शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन संगम नगरी पूरी तरह मां दुर्गा की भक्ति में रंगी हुई दिखाई दी। आज मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा-अर्चना के लिए सुबह से ही श्रद्धालु मंदिरों में जुटने लगे। प्रयागराज का प्रसिद्ध आलोप शंकरी मंदिर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ से सराबोर रहा। मां चंद्रघंटा का स्वरूप शांति, साहस और करुणा का प्रतीक माना जाता है। भक्त मानते हैं कि मां के इस स्वरूप की आराधना से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इसी आस्था के साथ हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे और मां चंद्रघंटा से आशीर्वाद की कामना की। आलोप शंकरी मंदिर की अनोखी परंपरा इसे और खास बनाती है। यहां मां सती का कोई मूर्ति स्वरूप नहीं है, बल्कि लाल चुनरी से ढके पालने की पूजा की जाती है। भक्त कुंड से जल लाकर पालने पर चढ़ाते हैं और चबूतरे की परिक्रमा कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थना अवश्य फलदायी होती है। नवरात्रि के मौके पर मंदिर में विशेष आरती और भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ, जिसमें भक्तगण डूबे रहे। परिसर और आसपास के क्षेत्रों में विशाल मेला भी लगा है। भक्तजन नारियल और पुष्प अर्पित कर, हलवा-पूड़ी का भोग लगाकर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण कर रहे हैं। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशासन ने मंदिर परिसर और आसपास कड़े सुरक्षा प्रबंध किए हैं। पुलिस बल और सुरक्षाकर्मी लगातार निगरानी में लगे हुए हैं ताकि भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। संगम नगरी प्रयागराज का हर कोना नवरात्रि की भक्ति में डूबा है। आलोप शंकरी मंदिर में मां चंद्रघंटा की आराधना ने वातावरण को आध्यात्मिक और भक्तिमय बना दिया। भक्तों ने मां से परिवार की खुशहाली, जीवन में सुख-समृद्धि और सभी कष्टों से मुक्ति की कामना की।

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर