पाठ्यक्रम की अनदेखी करने वाले मदरसे जुलाई से बंद होंगे:उत्तराखंड सीएम बोले- धर्म परिवर्तन, लव और लैंड जिहाद पर सख्त कानून बनाए गए

मुजफ्फरनगर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रामपुर तिराहा के शहीद स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। संस्थापक महावीर प्रसाद शर्मा की प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की डेमोग्राफी को बनाए रखने के लिए कई बड़े फैसले किए गए हैं। साथ ही धर्म परिवर्तन, लव और लैंड जैसे मामलों पर सख्त कानून बनाए गए हैं। सीएम धामी ने बताया कि निर्धारित पाठ्यक्रम लागू न करने वाले मदरसों को जुलाई 2026 से बंद कराने का काम किया जाएगा। उन्होंने रामपुर तिराहा कांड के दौरान आंदोलनकारियों और मुजफ्फरनगर के लोगों को हुए बलिदान को भी कभी नहीं भुलाया जा सकता बताया। इसके साथ ही सरकार शहीद स्मारक का वृहद विकास और स्वच्छ कैंटीन की स्थापना के लिए जल्द ही कार्यवाही करेगी, ताकि नई पीढ़ी यहां आकर शहीदों के बलिदान से प्रेरित हो सके। पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी की व्यक्तिगत रुचि के कारण रामपुर तिराहा कांड से जुड़े कई मामलों में फैसले आए हैं। शहीद स्मारक पर कार्यक्रम महावीर प्रसाद शर्मा की मूर्ति के अनावरण के बाद आयोजित भंडारे में सीएम धामी और मंत्री सतपाल महाराज ने प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर खानपुर विधायक पंडित उमेश शर्मा, बहुजन समाज पार्टी के जिला कोषाध्यक्ष सुशील शर्मा, विक्रम कासमपुर, नीतू शर्मा, पप्पू शर्मा, रामनाथ शर्मा, प्रवीण शर्मा, मनोज शर्मा और स्वर्गीय महावीर प्रसाद के पुत्र निर्दोष शर्मा ने मुख्यमंत्री का आभार जताया। आंदोलनकारियों का प्रदर्शन शहीद स्मारक पर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान कई आंदोलनकारी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए पहुंचे। सुरक्षा व्यवस्था के चलते आंदोलनकारियों को सीएम से मिलने नहीं दिया गया। उत्तराखंड क्रांति दल और अन्य आंदोलनकारियों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ सरकार की नीतियों की आलोचना की। रूडकी से आए आंदोलनकारियों ने अलग से प्रदर्शन किया। महिला आंदोलनकारी मालदेई सरासी ने आरोप लगाया कि सरकार पारदर्शी तरीके से आंदोलनकारियों को नहीं पहचान रही है। उन्होंने कहा कि कई महिलाओं को पेंशन नहीं मिल पाई है और सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही। पार्वती देवी ने बताया कि उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने तक नहीं दिया गया, और सीएम केवल दूर से हाथ हिलाकर निकल गए। आंदोलनकारी विनोद भट्ट ने कहा कि रूडकी के लगभग 200 आंदोलनकारियों को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया। आज वह ज्ञापन देने आए थे, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। उन्होंने चेतावनी दी कि 2027 के चुनावों में इसका जवाब दिया जाएगा। अल्मोड़ा से आए रामदत्त ने भी सरकार की आलोचना की।

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