नोएडा में निवेश का झांसा देकर 12 लाख ठगे:आठ बार में रकम की ट्रांसफर, पैसे निकालने के कहने पर ग्रुप से किया बाहर
शेयर बाजार में निवेश कर भारी मुनाफा कमाने का झांसा देकर साइबर अपराधियों ने सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल के बेटे के साथ 12 लाख रुपए की ठगी कर ली। जब पीड़ित पर और रकम ट्रांसफर करने का दबाव बनाया जाने लगा तब उसे ठगी की जानकारी हुई। पीड़ित की शिकायत पर इस मामले में साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने एक तथाकथित महिला समेत तीन के खिलाफ नामजद केस आईटी ऐक्ट और धोखाधड़ी की धारा में दर्ज किया है। सेक्टर-107 में रहने वाले रजनीश शर्मा एक निजी कंपनी में काम करते हैं। उनको शेयर बाजार और निवेश की भी अच्छी समझ है। इसी साल छह जुलाई को उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर बाजार और उसमें निवेश कर मुनाफा कमाने संबंधी विज्ञापन देखा। लिंक पर क्लिक कर रजनीश ने नाम, पता और मोबाइल नंबर समेत अन्य जानकारी भर दी। अगले ही दिन एक महिला ने खुद को तनुश्री जायसवाल बताकर रजनीश से संपर्क किया। उसने खुद को कथित स्पाइस सिक्योरिटीज के मुख्य विश्लेषक रमन की सहायक होने का दावा किया। पहले हुआ मुनाफा
उसने अपनी एस पैसा कैपिटल लिमिटेड को सेबी से विनियमित बताया। इस संबंध में उसने ट्रेडिंग गाइड बुक साझा की। उसने कंपनी के लेखा विभाग के संदीप से संपर्क कराकर एस पैसा प्रीमियम सिक्योरिटीज नाम की ऐप पर रजनीश का पंजीकरण कराया। प्रारंभिक चरण में रजनीश ने कुछ रकम निवेश की, इसपर उसे मुनाफा हुआ। ठगों ने मुनाफे समेत पूरी रकम निकालने की अनुमति भी दी। ऐसे में रजनीश को यकीन हो गया कि उनके रुपए सही जगह पर निवेश कराए जा रहे हैं। 12 लाख कर दिए ट्रांसफर
ऐसा करके वह कम समय में ही ज्यादा मुनाफा कमाकर और अमीर बन सकते हैं। फिर क्या था जैसे-जैसे ठग सलाह देते जाते। वैसे-वैसे रजनीश रकम ट्रांसफर करते जाते। इस तरह रजनीश ने आठ अगस्त तक शेयर खरीद और आइपीओ में निवेश के नाम पर रकम अदा की। उसने आठ बार में 12 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। ऐसे हुई ठगी की जानकारी
अचानक से रजनीश को कुछ रुपए की आवश्यकता पड़ गई। ऐसे में उन्होंने मुनाफे समेत रकम को निकालना चाहा। फिर क्या था, ठगों ने कर के नाम पर और रकम जमा कराने की चाल चली। रजनीश के रकम जमा नहीं करने पर ठगों ने खाता फ्रीज होने और 0.06 प्रतिशत ब्याज समेत भुगतान करने का डर दिखाया। कुछ दिनों बाद ठगों ने संपर्क तोड़ लिया। जिन नंबरों से रजनीश से संपर्क किया गया था अब वह भी बंद आने लगा था। आखिर में पीड़ित ने मामले की शिकायत पहले एनसीआरपी पोर्टल और फिर साइबर क्राइम थाना पुलिस से की।
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