निचले इलाकें में सरयू और घाघरा नदियों से कटान:गोंडा में धान और गन्ने की फसल हो रही बर्बाद, आवागमन को नावों का सहारा
गोंडा में सरयू और घाघरा नदियों का जलस्तर तेजी से घट रहा है। इससे जहां एक ओर बाढ़ पीड़ितों की मुश्किलें कम हुई हैं, वहीं निचले इलाकों के किसानों के लिए नई समस्या खड़ी हो गई है। नदी का पानी गांवों और घरों से हटने के कारण बाढ़ प्रभावितों को अब आवागमन के लिए नावों का सहारा नहीं लेना पड़ रहा है। घाघरा नदी वर्तमान में खतरे के निशान से एल्गिन ब्रिज पर एक मीटर नीचे बह रही है। हालांकि तेजी से जलस्तर घटने के साथ ही सरयू और घाघरा नदियां निचले इलाकों में तेजी से कटान कर रही हैं। इससे किसानों की धान और गन्ने की फसलें बर्बाद हो रही हैं। धान की फसल पकने की कगार पर है, जबकि गन्ने की कटाई भी कुछ महीनों में होनी है। नदियों के कटान से किसानों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। कर्नलगंज और तरबगंज दोनों तहसीलों के अधिकारियों द्वारा लगातार नुकसान का आकलन भी किया जा रहा है। 3 तस्वीरें देखें… इस बार तरबगंज तहसील क्षेत्र के निचले इलाकों में कटान सबसे अधिक देखा जा रहा है। सकीपुर, चहलवा, दत्तानगर और बाणीमाझा जैसे क्षेत्रों में सरयू और घाघरा नदियां लगातार तेजी से कटान कर रही हैं। कुछ स्थानों पर कटान कम हुआ है, लेकिन कई जगह यह तीव्र बना हुआ है जिससे किसानों को काफी दिक्कतें हो रही है। काटन होने का मुख्य कारण शरीर और घाघरा नदी के तेजी से घटते जल स्तर का है। आज घाघरा नदी में शारदा, गिरिजा और सरयू बैराजों से कुल 70,595 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इसके बावजूद नदी का जलस्तर तेजी से घट रहा है। अधिकारियों के अनुसार, बैराजों से कम पानी छोड़े जाने के कारण ही नदी का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। जिला आपदा विशेषज्ञ राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि सभी को आर्थिक मुआवजा उपलब्ध करवाया जा रहा है।
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