जेलमंत्री ने जिसको सराहा, उसने निकाले 53,85000 लाख:दीपावली के बाद गुजरात भागने की थी प्लानिंग, DIG ने 8 घंटे तक की आजमगढ़ जेल के डॉक्यूमेंट की जांच
आजमगढ़ में जेल से जमानत पर बाहर आए एक कैदी द्वारा सरकारी खाते से पैसे की धोखाधड़ी के मामले की जांच करने डीआईजी जेल शैलेंद्र कुमार मैत्रेय आजमगढ़ पहुंचे। डीआईजी जेल देर रात्रि तक मामले की जांच करते रहे और लगभग 8 घंटे तक एक-एक पहलू की जांच करते रहे। आरोपी ने जेल अधीक्षक का बैंक अकाउंट ही खाली कर दिया। लगभग 8 घंटे की डीआईजी की जांच के बाद यह बात सामने आई कीआरोपी ने सरकारी खजाने से 52 लाख 85 हजार की ठगी की घटना को अंजाम दिया है। इस बात की पुष्टि डीआईजी जेल शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में की। डीआईजी जेल ने कहा कि आरोपी ने जेल से केनरा बैंक के चेक को गायब कर दिया था। ऐसे में इस मामले में चार आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। आरोपी बैंक टू बैंक पैसे का ट्रांजैक्शन करता रहा। इस पूरे मामले की रिपोर्ट शासन को दी जाएगी जिसके आधार पर शासन इस पूरे मामले में जो भी लोग दोषी होंगे उनके विरुद्ध कार्रवाई करेगा। जिस आरोपी रामजीत यादव ने इस पूरी ठगी की घटना को अंजाम दिया। उसकी तारीफ 26 नवंबर 2023 को तत्कालीन जेल राज्य मंत्री धर्मवीर प्रजापति भी कर चुके हैं। 26 नवंबर 2023 को आजमगढ़ जिले के दौरे पर पहुंचे तत्कालीन जेल राज्यमंत्री धर्मवीर प्रजापति ने जेल में अपने भाषण के दौरान कैदियों से संवाद किया था। इसके साथ ही जेल में ही भाषण दिया था कि बहुत से कैदी ऐसे हैं जो बिना गलती के जेल में आ गए हैं। तत्कालीन जेल राज्य मंत्री धर्मवीर प्रजापति के इस बयान के बाद आरोपी रामजीत यादव फफक फफक कर रोने लगा था। इसके बाद जेल मंत्री ने आरोपी को गले लगाया था। इसके साथ ही आरोपी को नजीर के रूप में पेश किया था और उदाहरण देते हुए कहा था कि बहुत से निर्दोष लोग जेल में हैं। जो किसी न किसी साजिश के शिकार हुए हैं। इस बात की पुष्टि जेल के कर्मचारियों ने की। यही नहीं आरोपी रामजीत यादव दीपावली के त्यौहार के बाद गुजरात जाने की तैयारी भी कर रहा था। इस बात की चर्चा चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय से लगातार करता रहता था। हालांकि समय रहते ही जेल प्रशासन ने बैंक के अधिकारियों के साथ मिलकर आरोपी को पुलिस से गिरफ्तार करवा दिया है। यह पक्ष जेल प्रशासन के पक्ष में है। 52 लाख 85 हजार की धोखाधड़ी डीआईजी जेल की जांच में यह बात सामने आई की आरोपी ने पहले उनकी चेकबुक चुराई। फिर फर्जी साइन कर कई बार में उससे 52 लाख 85 हजार रूपये निकाल इए। मामला जब सामने आया तो सभी का सिर चकरा गया। आरोपी अपनी पत्नी की हत्या के मामले में जेल में था। 24 मई 2024 को उसे जमानत मिली। रिहा होने से पहले उसने चेकबुक चुराई। इसके बाद आरोपी 18 महीनों तक पैसे निकालता रहा। घटना का खुलासा 22 सितंबर को उस वक्त उजागर हुआ, जब कैदी ने खाते से 2.60 लाख रुपए निकाले। जैसे ही जेल अधीक्षक के फोन पर पैसे निकालने का मैसेज आया तो उन्होंने अकाउंटेंट से पूछा। लेकिन, उनके पास कोई रिकॉर्ड नहीं था। बैंक स्टेटमेंट निकलवाने पर पूरा धोखाधड़ी का मामला सामने आया। खुलासे के बाद जेल अधीक्षक ने कोतवाली में चार लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया है। घटना की जानकारी मिलते ही लखनऊ के उच्च अधिकारियों ने आजमगढ़ के जेल अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। सिलसिलेवार तरीके से जानिए पूरा मामला… साल 2011 में हत्या के मामले में गया था जेल कैदी की पहचान रामजीत यादव (40) के रूप में हुई है। वह जमुआ शाहगढ़ थाना बिलरियागंज का रहने वाला है। साल 2011 में वह अपनी पत्नी अनीता की हत्या के मामले में जेल गया था। साल 2017 में उसे पहली बार जमानत मिली। जेल से रिहा होने के बाद रामजीत ने नीतू नाम की महिला से दूसरी शादी कर ली। 24 फरवरी 2023 को कोर्ट ने उसे पत्नी की हत्या का दोषी करार देते हुए सजा सुनाई, जिसके बाद उसे दोबारा जेल भेजा गया। रामजीत यादव को जेल के अंदर कामकाज की जिम्मेदारी मिली। इसी दौरान उसने जेल प्रशासन के कामकाज और बैंक चेक पर दस्तखत करने का तरीका समझ लिया। 20 मई 2024 को जब वह जमानत पर जेल से रिहा हुआ, तो उसने अकाउंटेंट के कमरे से केनरा बैंक की चेकबुक चुरा ली। इसके साथ ही आरोपी का खाता यूनियन बैंक में चल रहा था। आरोपी ने यूनियन बैंक का खाता बंद करके केनरा बैंक में अपना खाता भी खुलवा लिया। जेल खाते से लगातार निकालता रहा पैसा रामजीत यादव ने जेल से रिहा होने के अगले दिन यानी 21 मई 2024 को खाते से 10 हजार रुपए निकाले। 22 मई को 50 हजार रुपए और कुछ दिन बाद 1.40 लाख रुपए खाते से निकाले। इस दौरान जेल प्रशासन को न ही इस चोरी की और न ही चेकबुक चोरी की शिकायत दर्ज कराई गई। आरोपी ने लगभग 18 महीनों तक पैसे निकालते रहा। 22 सितंबर 2025 को जब खाते से 2.60 लाख रुपए निकाले गए, तब जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह का ध्यान इस पर गया। दरअसल, उनके फोन पर पैसे निकाले जाने का मैसेज आया। जब उन्होंने जेल अकाउंटेंट मुशीर अहमद से जानकारी ली, तो उनके पास कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं था। फर्जी हस्ताक्षर से बैंक के खाते से निकाल रहा था पैसे इसके बाद के जेल खाते का स्टेटमेंट निकाला गया, तब पूरे मामला सामने आया। जांच में पता चला कि आरोपी खुद को जेल का ठेकेदार बताकर अधीक्षक के फर्जी दस्तखत से बैंक खाते से पैसे निकाल रहा है। मामले के खुलासे के बाद जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह ने कोतवाली आजमगढ़ में 4 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया। इस धोखाधड़ी में रामजीत यादव उर्फ संजय (मुख्य आरोपी), शिवशंकर उर्फ गोरख (पूर्व कैदी), वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद (लेखाधिकारी) और चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय का नाम शामिल है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शिवशंकर आरोपी का सबसे करीबी है। पुलिस को शक है कि फर्जीवाड़े में भी उसकी भूमिका हो सकती है। बैंक से पता चला कि चौकीदार आरोपी के साथ कई बार बैंक जा चुका था, इसलिए उसकी भूमिका भी भी जांच हो रही है। वहीं, रिकॉर्ड पुख्ता न रखने के लिए लेखाधिकारी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। मां-पत्नी और अपने खाते में ट्रांसफर किए पैसे जांच में सामने आया कि रामजीत यादव ने नीतू यादव के खाते में 2.40 लाख रुपए, मां सेटॉमी देवी के खाते में लगभग 3 लाख रुपए और अपने खाते में 30 लाख रुपए जमा कराए। सूत्रों के अनुसार इस खेल में बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत हो सकती है। जेल अधीक्षक के नाम से चलता है सरकारी खाता आजमगढ़ जेल का सरकारी खाता जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह के नाम से संचालित होता है। इस खाते में सरकार का भेजा पैसा जमा होता है और जेल में काम करने वाले कैदियों का भुगतान इसी खाते से किया जाता है। कभी-कभी कैदी अपने परिजनों को भी चेक के माध्यम से भुगतान कर देते हैं। जेल के अकाउंटेंट इस पूरे काम में कभी-कभी कैदियों की मदद भी ले लेते हैं। इसी तरीके को रामजीत यादव ने भुनाया। जेल अकाउंटेंट के भरोसे रहते हुए उसने सिस्टम में सेंधमारी कर 52 लाख 85 हजार रुपए से अधिक की धोखाधड़ी की गई।
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