जानिए बृहस्पति कुंड को, जहां वित्त मंत्री आएंगी:यहां श्रीराम ने स्नान, पूजन किया, अब भव्य रूप मिला, मान्यता- स्नान करने से बुद्धि तेज होती है

अयोध्या के बृहस्पति कुंड नए सिरे से बनकर तैयार है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यहां दक्षिण भारत के 3 कवियों की प्रतिमाओं का लोकार्पण करेंगी। यह कुंड पौराणिक महत्व रखता है। कहा जाता है कि यहीं पर भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न स्नान करते थे। यहां श्रीराम पूजन करते थे। स्कंद पुराण में अयोध्या के 108 कुंड जिक्र मिलता है। ये कुंड कितना खास है? इसको लेकर दैनिक भास्कर ने जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य से बात की। वह कहते हैं- बृहस्पति देवताओं के गुरू हैं, भगवान श्रीराम सभी देवताओं के भी देव हैं। श्रीराम के आगमन पर अगुवानी के लिए सभी देवताओं के साथ बृहस्पति भी धरा धाम पर आए। बृहस्पति को यहां एक स्थान दिया गया है। यहीं एक कुंड है, जिसे बृहस्पति कुंड के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम खुद इस कुंड का पूजन कर स्नान करते थे। बृहस्पति कुंड में स्नान करने के बृहस्पति के समान तेज आता है। सिद्ध पीठ नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास कहते हैं- भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के समय सभी देवताओं को अयोध्या आमंत्रित किया गया। जो देवता अयोध्या आए, उन सभी को स्थान दिया गया। अयोध्या के 108 कुंडों में सूर्य, अग्नि, विभीषण, शनि, ब्रह्मा, मनु, निर्मला आदि कुंड हैं। जो देवता अयोध्या आए, उनको जहां स्थान मिला, वे भगवान श्रीराम के सम्मान में यहीं पर रुक गए और उनकी पूजा होने लगी। अयोध्या महात्म्य नामक पुस्तक में लिखा है- शंकर जी कहते हैं कि उर्वशी कुंड से पूर्व दिशा में कमलों से सुशोभित अति मनोहर बृहस्पति कुंड नाम से प्रसिद्ध तीर्थ है। जो सब पापों को दूर करनेवाला है, जिसमें पुण्यामृत मय तरंगें उठा करती हैं और जहां पर साक्षात देवगुरु बृहस्पति ने अपना निवास बनाया था। जहां उत्कृष्ट बुद्धि वाले बृहस्पति जी ने विधिपूर्वक यज्ञ किया, जहां पर बहुत-से मुनिगण निवास करते हैं और जो तीर्थ अति रम्य तथा प्रचुर फल देनेवाला है। इन्द्र आदि देवताओं ने भी जहां विधिपूर्वक बड़े यत्न से स्नान किया था। इस तीर्थ में स्नान करने से व्यक्ति इच्छित फल की प्राप्ति करते हैं और वे सौन्दर्य से युक्त हो जाते हैं। देव गुरु के इस तीर्थ में मनुष्य स्नान-दान करके पापों से छूट जाता है। भाद्रपद शुक्ल पंचमी को यहां की यात्रा विशेष फल देने वाली है। इसके अतिरिक्त कभी भी बृहस्पति के दिन यहां का स्नान बहुत फल देने वाला है। यहां पर स्नान करके बृहस्पति जी की तथा विष्णु भगवान की पूजा अवश्य करे। ऐसा करने से मनुष्य सभी पापों से छूटकर सदा विष्णु लोक में निवास करता है। जिसके गोचर में बृहस्पति अनिष्ट स्थान पर हों, वह मनुष्य प्रयत्न गुरुवार के दिन अपने नाम से संकल्प करके विधिपूर्वक स्नान करे तो उसे बृहस्पति जन्य पीड़ा नहीं होगी। बताते चले कि अयोध्या के निषादराज चौराहा स्थित बृहस्पति कुंड दशकों से उपेक्षित था। आसपास के लोग इसकी जमीन पर कब्जा करने के साथ इसमें चोरी चुपके कचरा भी फेंक रहे थे।प्रदेश सरकार ने राम मंदिर से ठीक पहले पड़ने वाले निषादराज चौराहे के इस कुंड का न केवल विकास किया है। बल्कि बेहद भव्य रूप से दे दिया है।यह राम मंदिर दर्शन के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के आकर्षण का बड़ा केंद्र बन चुका है।

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