चोरी-छिपे बनाते हैं सड़े सीरे की मिठाई:कई घरों में चल रहा धंधा; मैदा भी खराब क्वालिटी का करते हैं इस्तेमाल
गांवों में एक रुपये में बिकने वाली छोटी-छोटी मिठाइयों को खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। सस्ता होने के कारण गांव के बच्चों के बीच इसकी अच्छी-खासी खपत है। खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने शनिवार को कार्रवाई की तो इसका खुलासा हुआ। सड़े हुए सीरे से बनाई जाने वाली यह मिठाई कई घरों में चोरी-छिपे तैयार की जाती है। देखने में कहीं से कोई इसे फैक्ट्री नहीं कहेगा। भूतल पर परिवार रहता है और ऊपर फैक्ट्री चलती है।
लाइसेंस होने के बाद भी छुपाकर धंधा इसलिए करना पड़ रहा है कि वे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मिठाई बना रहे हैं। जो सीरा यहां इस्तेमाल किया जाता है, वह इस कदर सड़ा रहता है कि सामान्य व्यक्ति उसकी दुर्गंध बर्दाश्त नहीं कर पाएगा। उसमें कीड़े भी पनप चुके होते हैं। फिलहाल विभाग ऐसे और फैक्ट्रियों को पकड़ने के लिए जोर-आजमाइश में जुटा है। बाहरी पर नहीं भरोसा, घर के लोग करते हैं काम
लाइसेंस होने के बाद भी यह धंधा चोरी-छिपे किया जा रहा था। बाहर इस बात की जानकारी किसी को न हो, इसलिए बाहर से कोई कारीगर भी नहीं रखते हैं। यह बात बाहर जाना आसान नहीं है। जो फैक्ट्री पकड़ी गई है, उसमें भी दो भाई मिलकर सारा काम करते थे। यहां भी सहयोग के लिए किसी कर्मचारी को नहीं रखा गया है। लाइसेंस सामान्य फूड उत्पाद का होता है और कुछ व्यापारी अधिक मुनाफे के चक्कर में इस तरह की जानलेवा मिठाई तैयार कर रहे हैं। हर रोज 8 से 10 हजार रुपये कमाते हैं
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मिठाई बनाने वाले प्रतिदिन 8 से 10 हजार रुपये कमाते हैं। यह अनुमान विभाग के अधिकारियेां की ओर भी लगाया गया है। एक डिब्बा मिठाई लगभग 15 रुपये में बेचते हैं। डिब्बा लगभग 250 ग्राम का होता हे। फुटकर बाजार में जब यह मिठाई होती है तो 1 रुपये में एक पीस उतरने नहीं दिया जाएगा। बड़ी दुकानों पर खराब हो चुका सीरा 200 रुपये में खरीदकर लाते थे मिठाई की बड़ी दुकानों पर सीरे के उपयोग के बाद ऊपरी हिस्से को अलग कर स्टोर कर लिया जाता है। 3 से 4 दिनों में एक टिन खराब सीरा तैयार हो जाता है। इसमें मिठाइयों के कुछ अंश भी होते हैं। उसके बाद उसे 200 रुपये प्रति टिन के हिसाब से ऐसे लोगों को बेच देते थे। इस सीरे से दुर्गंध उठती है लेकिन सस्ती मिठाई बनाने के चक्कर में कुछ लोग इसे खरीदकर लाते हैं। फैक्ट्री में ही भट्ठी बनाई गई है। कोयले की तेज आंच पर सीरे को गर्म करके उसमें थोड़ी चीनी, मैदा व पाउडर मिलाकर मिठाई तैयार की जाती थी। फैक्ट्री में खड़ा होना मुश्किल था
फैक्ट्री में 6 टिन सड़ा हुआ सीरा पकड़ा गया है। उसकी वजह से वहां काफी दुर्गंध थी। दुर्गंध इस कदर थी कि वहां खड़ा होना मुश्किल था। सीरे में कीड़े मरे पड़े थे। इसे छान करके गर्म कर लिया जाता था। उसमें मैदा, चीनी व अन्य पाडर मिलाकर मिठाई बनाई जाती थी। इसे बनाने वाले झारखंड के रहने वाले हैं। मिठाई की पैकिंग सुंदर करते हैं जो मिठाई तैयार करते हैं, उसकी पैकिंग काफी सुंदर होती है। आगरा मिठाई और तुलसी पेड़ा के नाम से इसे तैयार किया जाता है। इसे गोरखपुर के बाहर ग्रामीण क्षेत्रों में भेजते हैं। वहां अच्छी पैकिंग होने के कारण यह आसानी से खप जाती है। गोरखपुर में यह मिठाई बनाई जाती है और आगरा के नाम से बेची जाती है। छोटे-छोटे आकार की 30 मिठाइयां एक डिब्बे में पैक की जाती हैं।
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