गोमती पुस्तक महोत्सव का आठवां दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सजा:दास्तानगोई, कव्वाली और पुस्तक विमोचन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया

लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में चल रहे चौथे गोमती पुस्तक महोत्सव के आठवें दिन सांस्कृतिक विविधता का अद्भुत अनुभव मिला। इस दिन दास्तानगोई, सूफियाना कव्वाली, पुस्तक विमोचन और विभिन्न सत्रों का आयोजन किया गया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शाम की शुरुआत हिमांशु बाजपेयी और प्रज्ञा शर्मा की दास्तानगोई से हुई। उन्होंने देवी अहिल्याबाई होलकर की जीवनगाथा सुनाई, जिसमें इंदौर को होलकर वंश की राजधानी बनाने में उनके योगदान के बारे में बताया। इसके बाद, मशहूर निज़ामी बंधुओं ने अपनी सूफियाना कव्वाली से समां बांध दिया। उन्होंने फिल्म ‘रॉकस्टार’ के प्रसिद्ध गीत ‘कुन फाया कुन’ सहित कई प्रस्तुतियाँ दीं, जिसने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। साहित्य से जुड़े अपने अनुभव साझा किए इसी अवसर पर अमिताभ कुमार की पुस्तक ‘राजनाथ सिंह: आधुनिक भारत के लौह पुरुष’ का विमोचन भी किया गया। ‘फाइल के कागज़ से साहित्य की कलम तक’ शीर्षक सत्र में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों डॉ. हरिओम, डॉ. अजय शंकर पांडेय और डॉ. सुधाकर अदीब ने साहित्य से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। डॉ. हरिओम ने बताया कि व्यस्त प्रशासनिक जीवन के बावजूद उन्होंने लेखन जारी रखा और अपनी यात्रा-वृत्तांत रचनाएँ प्रस्तुत कीं। लखनऊ की नदियों पर चर्चा की चिल्ड्रन कॉर्नर में 800 से अधिक बच्चों ने भाग लिया। डॉ. अनीता भटनागर जैन ने कहानी सत्र आयोजित किया, जबकि विवेक कुमार ने ‘फन विद वैदिक मैथ्स’ में गणित के आसान और रोचक तरीके सिखाए। फरमान और मुस्कान ने ‘कोरियोग्राफी एंड बॉडी मूवमेंट’ सत्र में बच्चों को रिबन और गुब्बारों के साथ रचनात्मक नृत्य कराया। अंतिम सत्र में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित क्विज़ के विजेताओं को ‘एग्ज़ाम वॉरियर’ पुस्तक पुरस्कार स्वरूप भेंट की गई। नमामि गंगे मिशन के तहत डॉ. व्यंकटेश दत्ता ने लखनऊ की नदियों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि लखनऊ में नौ नदियां हैं, जिनमें से कुकरैल नदी को पुनर्जीवित किया जा रहा है। डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने नदी स्वास्थ्य जांचने के विभिन्न तरीके समझाए। दीपिका चतुर्वेदी ने अपनी पुस्तक ‘एलांग़ द बैंक्स ऑफ रिवर गोमती’ का परिचय दिया।

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