काशी विश्वनाथ मंदिर से आचार्य को हटाने का आदेश रद्द:देवी प्रसाद बोले- प्रमुख सचिव को सरसों के तेल से अभिषेक करने पर रोका, तो कार्रवाई हुई
काशी विश्वनाथ मंदिर से आचार्य डॉ. देवी प्रसाद द्विवेदी को हटाने के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आचार्य का पूरा सम्मान किया जाए। वह चाहें तो सहायक भी रख सकते हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने दिया। दैनिक भास्कर ने इस पूरे मामले को समझने के लिए पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित आचार्य डॉ. देवी प्रसाद द्विवेदी के घर पहुंचे उन्होंने क्या बताया पेश है रिपोर्ट… सवाल – आप को मंदिर से हटाया गया उसकी वजह क्या है?
जवाब – एक IAS अधिकारी सरसों के तेल से भगवान विश्वनाथ का अभिषेक करना चाह रहे थे लेकिन उस दिन शिवरात्रि थी। वह प्रमुख सचिव धर्मार्थ थे। डीएम,कमिश्नर ने हमें उन्हें समझाने के लिए कहा। उस समय अधिकारियों ने हमसे कहा कि आप आचार्य हैं। आप इनको रोक सकते हैं आप ही उनसे बात करिए। इसके बाद हमने प्रमुख सचिव से कहा कि आप आज सरसों के तेल से अभिषेक न करें क्योंकि मंदिर में भीड़ काफी ज्यादा है। उस समय वह नाराज हो गये। डॉ द्विवेदी ने कहा उस समय उन्होंने हमें हटवाने को कहा और उस समय उन्होंने मुख्य कार्यपालक अधिकारी से हटाने के लिए कहा। सवाल – क्या तत्काल आप को हटा दिया गया था?
जवाब – मुख्य कार्यपालक अधिकारी पर दबाव बनाया गया तो उन्होंने कहा कि हमारा यहां से तबादला कर दीजिए जिस दिन उन्हें हटाया गया उसी दिन हमें भी मंदिर के सेवा से हटा दिया गया जिसके बाद हम हाई कोर्ट चले गए हाईकोर्ट ने उस पूरे आदेश पर स्टे लगा दिया। उन्होंने कहा कि जब मंदिर का कॉरिडोर बना तो हमने कुछ चीजों का विरोध किया तो ट्रस्ट की बैठक बुलाकर हमें उम्र का हवाला दिया गया और हटा दिया गया जिसके बाद हम फिर कोर्ट गए। सवाल – अब आप कब जा रहे मंदिर में सेवा देने के लिए?
जवाब – आदेश आने के बाद काफी लोगों का हमें फोन आया कि आप कब मंदिर पुनः सेवा देने आ रहे हैं। मैं अपने दायित्व का निर्वहन करने के लिए बाबा के पास जाऊंगा अभी मंदिर की तरफ से मुझे कोई बुलावा नहीं आया है। उन्होंने अभी कहा की व्यवस्थाओं से मैं खुश नहीं हूं लेकिन मेरी आस्था बाबा विश्वनाथ से है। जब कोविड के समय सब लोग अपने घर में थे तो मैं बाबा के गर्भगृह में बैठकर पूजन करता था। सवाल – कोर्ट ने क्या करने के लिए आदेश दिया है स्पष्ट बताइए?
जवाब – आचार्य का काम होता है आरती या पूजन में कोई ग़लती न हो उसको देखना। मंदिर के अर्चक बाबा की आरती करते हैं। आरती के समय कोई गड़बड़ी न हो उसका पूरा देखना मेरा काम है। मंदिर में धर्मार्थ कार्य शास्त्र के विरूद्ध न हो उसका ध्यान रखना ही मेरा काम और दायित्व है। और मै न तो मंदिर से पैसा लेता हूं न ही कोई सेवा लाभ बस बाबा की सेवा करनी है। अब समझिए कोर्ट में क्या कहा गया काशी विद्वत परिषद ने पुजारी वंशीधर के निधन के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को 13 जनवरी 1994 को पत्र लिखकर कर्मकांड के विद्वान याची की आचार्य पद का दायित्व की संस्तुति की, जिस पर उनकी नियुक्ति की गई। लेकिन जब मुख्य सचिव नाराज हुए तो शिकायत कराई कि नियुक्ति अवैध है एवं अनियमितता की जा रही है। जांच कराई गई लेकिन रिपोर्ट नहीं दी गई। फिर जवाब मांगा और आदेश हुआ कि 24 जून 2018 के बाद सेवा विस्तार नहीं किया गया था। न्यास ने यह भी कहा कि याची 60 वर्ष से अधिक आयु का है, इसलिए पूजन नहीं कर सकता और मानदेय नहीं प्राप्त कर सकता। कोर्ट ने दोनों तर्कों को अस्वीकार करते हुए कहा कि 60 वर्ष आयु के बाद पूजा पर रोक का कोई नियम नहीं है। हाईकोर्ट के स्थगनादेश के आधार पर याची पूजा कराते रहे। कोर्ट ने कहा कि याची की तुलना मंदिर के कर्मचारियों से नहीं की जा सकती। आचार्य कोई पद नहीं परंपरागत दायित्व है याची के विरुद्ध आदेश पूर्वाग्रह से ग्रसित है। अब समझिए कोर्ट ने क्या कहा…. न्यायालय का आदेश: पूजा-अर्चना में बाधा न हो, सम्मान बना रहे काशी के प्रतिष्ठित विद्वान प्रो. देवी प्रसाद द्विवेदी से संबंधित मामले में न्यायालय ने मंदिर प्रशासन को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। न्यायालय ने मुख्य कार्यपालक अधिकारी सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि प्रो. द्विवेदी की पूजा-अर्चना सुगमता से और बिना किसी बाधा के संपन्न होती रहे। साथ ही, यह भी निर्देशित किया गया कि उन्हें पूर्ववत सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती रहे और कोई भी कार्यवाही, जिससे उनकी सेवा या सम्मान में बाधा उत्पन्न हो, प्रतिबंधित की जाए। कौन है डॉ देवीप्रसाद द्विवेदी राष्ट्रपति द्वारा “संस्कृत आचार्य रत्न” से सम्मानित “महा महोपाध्याय” देवीप्रसाद द्विवेदी सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आधुनिक भाषा एवं भाषा विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर रहे, भारत सरकार ने 2011 में उन्हें सर्वोच्च भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्म श्री एवं 2017 में पद्म भूषण से सम्मानित किया। वे 2016 से 2018 तक उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य भी रहे। तथा देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वक्षता अभियान के 9 रत्नों में से 1 हैं । अब जानिए मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने क्या कहा.. मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने कहा – अभी सर्टिफाइड कॉपी नहीं मिली है जैसे ही मिलेगी जो भी कोर्ट का आदेश रहेगा उसका पालन सम्मान पूर्वक किया जाएगा।
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