एक साल का कार्यकाल, एग्जाम सिर्फ एक:आयोग की अध्यक्ष का इस्तीफा, 40 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी होंगे प्रभावित

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की अध्यक्ष प्रो. कीर्ति पांडेय के इस्तीफे को लेकर तरह तरह की चर्चाएं हो रही हैं। सोशल मीडिया पर प्रतियोगी छात्र उनके इस्तीफे को लेकर अलग अलग तर्क दे रहे हैं। दरअसल, प्रो. कीर्ति पांडेय का कार्यकाल महज एक साल ही रहा लेकिन आयोग हमेशा विवादों में रहा। उनके कार्यकाल में असिस्टेंट प्रोफेसर का महज एक एग्जाम हो सका। वहीं TGT-PGT एग्जाम की तारीख तीन बार टाली गई लेकिन अभी तक पूरी नहीं हो सकी। अब आयोग के नए अध्यक्ष के लिए आवेदन मांगा गया है लेकिन अध्यक्ष कब तय होगा यह कुछ पता नहीं है। हालांकि वरिष्ठ सदस्य रामसूचित को आयोग का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया है। बिना अध्यक्ष के कोई अहम निर्णय नहीं लिया जा सकता है। इस इस्तीफे के बाद 30 लाख से भी ज्यादा अभ्यर्थी प्रभावित हो रहे हैं। इसमें TGT-PGT और TET की परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थी हैं। 13.62 लाख सिर्फ TGT-PGT के अभ्यर्थी बाकी जनवरी में प्रस्तावित टीईटी के लिए कम से 30 आवेदन आने की संभावना है, क्योंकि 2021 में टीईटी की परीक्षा में करीब 25 लाख आवेदन आए थे। परीक्षा नियंत्रक पर कार्रवाई की हो रही मांग आयोग की अध्यक्ष प्रो. कीर्ति पांडेय के इस्तीफे के बाद अब प्रतियोगी छात्र परीक्षा नियंत्रक को हटाने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए सोशल मीडिया पर प्रतियोगी छात्र तरह तरह की चीजें पोस्ट कर रहे हैं। युवा मंच के प्रदेश अध्यक्ष अनिल सिंह ने कहा, आयोग के परीक्षा नियंत्रक पर भी कार्रवाई हो सकती है। ऐसे में आयोग द्वारा निर्धारित परीक्षा तिथियों पर कोई भी परीक्षा नहीं हो सकती। प्रतियोगी छात्रों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ेगा जो बहुत ही निराशाजनक है। आयोग ने इसके पहले भी टीजीटी-पीजीटी की परीक्षा तिथि तीन बार घोषित कर परीक्षा नहीं करा सका। टीजीटी-पीजीटी का विज्ञापन 2022 में जारी किया गया था जिसमें 13 लाख से अधिक आवेदन हुआ है। लेकिन परीक्षा नहीं हुई। इस इस्तीफे की वजह बताएं अध्यक्ष
प्रो. कीर्ति पांडेय ने इस्तीफे के कारण को व्यक्तिगत कारण बताया है। लेकिन आयोग से लेकर प्रतियोगी छात्र तक इस्तीफे की वजह दबाव बता रहे हैं। संयुक्त प्रतियोगी छात्र हुंकार मंच के अध्यक्ष पंकज कुमार पांडेय ने कहा, “आखिरकार बड़े संघर्षों के बाद एक अध्यक्ष की नियुक्ति हुई और अंततः बिना कोई भर्ती पूरा किए व्यक्तिगत कारणों से अध्यक्ष का पद छोड़ना पूर्णतः कुछ गड़बड़ी का संकेत देता है जो कि अब तक होता आया है। हो सकता है किसी ऐसे मसौदे पर अध्यक्ष न तैयार हों जो छात्र हित में ना हो अतः इस गोलमाल मामले का स्पष्टीकरण अध्यक्ष को करना चाहिए।” जानिए कौन हैं कीर्ति पांडेय
प्रो. कीर्ति पांडेय ने 1982 में बुद्धा पीजी कॉलेज कुशीनगर से ग्रेजुएशन किया था। 1984 में गोरखपुर यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया था। उन्होंने 1992 में प्रो. एसपी नागेंद्र के निर्देशन में अपनी पीएचडी पूरी की थी। प्रो. पांडेय के पास उच्च शिक्षा में शिक्षक के रूप में 40 साल का अनुभव है। प्रो. कीर्ति पांडेय ने 1985 में समाजशास्त्र विभाग में लेक्चरर के रूप में शुरुआत की थी। 1987 में एसवी डिग्री कॉलेज में एजुकेशन सर्विस कमीशन से नियुक्ति हुई। इसके बाद 1988 में गोरखपुर यूनिवर्सिटी में स्थायी लेक्चरर के रूप में नियुक्ति हुई। फिर 2006 में प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हो गई। वह जून, 2023 से गोरखपुर यूनिवर्सिटी में डीन (आर्ट्स) के पद पर तैनात थीं। उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव गिरिजेश त्यागी ने बताया- 1 सितंबर, 2024 को प्रो. कीर्ति पांडेय को अध्यक्ष पद पर नियुक्ति दी गई थी। प्रो. पांडेय. ने 22 सितंबर को इस्तीफा दे दिया था। आयोग के प्रावधानों के तहत ऑप्शनल व्यवस्था के लिए आयोग के सबसे वरिष्ठ सदस्य को अध्यक्ष के रूप में अधिकृत कर दिया गया है। आयोग में एक अध्यक्ष और 12 सदस्य बनाए गए थे
शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी भर्ती प्रक्रिया में ट्रांसपेरेंसी लाने के मकसद से यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग बनाया गया था। आयोग का हेड ऑफिस प्रयागराज में है। आयोग के गठन के समय दावा किया गया था कि इससे विभिन्न स्तर पर शिक्षक भर्ती का इंतजार जल्द खत्म होगा। सभी वर्ग के शिक्षकों की भर्ती पूरी कराई जा सकेगी। आयोग में 1 अध्यक्ष और 12 सदस्य बनाए गए थे। अध्यक्ष और सदस्य पद संभालने के दिन से 3 साल या 65 साल की उम्र होने तक के लिए तैनात होंगे। कोई भी व्यक्ति 2 बार से ज्यादा अध्यक्ष या सदस्य नहीं बन सकेगा। नए आयोग के गठन पर सबसे ज्यादा निगाहें युवाओं, प्रतियोगी परीक्षार्थियों की लगी थीं। प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक आयोग के गठन और नई भर्तियां जारी करने के लिए आंदोलन भी हुए थे।

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