अयोध्या में फिल्मी रामलीला पर विवाद गहराया:संत बोले– मर्यादा का हो रहा अपमान, लोग न देंखे फिल्मी रामलीला,आज से होगा मंचन

अयोध्या, भगवान राम की नगरी, जहां हर वर्ष भक्ति और परंपरा का संगम देखने को मिलता है, इस बार रामलीला के मंचन को लेकर विवादों का केंद्र बन गई है। दिल्ली की मेरी मां फाउंडेशन द्वारा आयोजित होने वाली अयोध्या की फिल्मी रामलीला का आज से (22 सितंबर) शुभारंभ हो रहा है। यह सातवां संस्करण है, लेकिन इसके मंचन से पहले ही साधु-संतों और स्थानीय संगठनों ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है। साधु-संतों ने जताई कड़ी नाराजगी अयोध्या के कई प्रमुख संतों और धार्मिक संगठनों ने फिल्मी अंदाज में हो रही रामलीला पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की लीला का फिल्मी प्रस्तुतीकरण उनकी मूल भावना और मर्यादा को ठेस पहुंचाता है। साधु-संतों ने आरोप लगाया है कि रामलीला का मंचन अमर्यादित ढंग से किया जा रहा है और यह करोड़ों रामभक्तों की आस्था को चोट पहुंचा रहा है। सिद्ध हनुमानगढ़ी के पुजारी व संकटमोचन सेना के प्रमुख महंत संजय दास ने इसे “मनोरंजन की आड़ में मर्यादा का अपमान” बताया। उन्होंने कहा कि फिल्मी रामलीला न सिर्फ भगवान राम की छवि को विकृत करती है बल्कि अयोध्या की गरिमा को भी धूमिल करती है। महंत अवधेश दास का आरोप: सरकार भी दे रही है सह बड़े भक्तमाल के महंत अवधेश दास ने फिल्मी रामलीला का तीखा विरोध किया। उनका कहना है कि इस मंचन में मर्यादाओं का पालन नहीं होता। कलाकार जूते-चप्पल पहनकर मंच पर आते हैं और कई ऐसे लोग अभिनय करते हैं जिनका आचरण पवित्र नहीं माना जा सकता। महंत ने आरोप लगाया कि आयोजकों को सरकार और संस्कृति विभाग का संरक्षण मिलता है और उन्हें करोड़ों रुपए की आर्थिक मदद दी जाती है। यह अयोध्या और भगवान राम की परंपराओं का अपमान है। उन्होंने यह भी कहा कि 2021 में भी उन्होंने फिल्मी रामलीला बंद करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन दिया था। उनका आरोप है कि यह रामलीला अयोध्या की छवि धूमिल करने और उसकी सांस्कृतिक मर्यादाओं को कमजोर करने की “साजिश” है। जगदगुरु दिनेशाचार्य की नसीहत जगतगुरु महंत दिनेशाचार्य ने भी फिल्मी रामलीला पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अयोध्या की पहचान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से है। यहां होने वाली हर रामलीला का मंचन मर्यादा और परंपरा के अनुरूप होना चाहिए। पात्रों का चयन उनके आचरण और संवाद दोनों के हिसाब से होना जरूरी है। उन्होंने आयोजकों को चेताया कि यह राम नगरी है और यहां के आयोजन में मर्यादा का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं होगा। रामलीला कमेटी और समिति का विरोध केंद्रीय दुर्गा पूजा एवं रामलीला समन्वय समिति अयोध्या ने भी इस फिल्मी रामलीला पर नाराजगी जताई है। समिति के अध्यक्ष मनोज जायसवाल ने कहा कि अयोध्या की रामलीला सदियों से भक्ति और आस्था की परंपरा रही है, लेकिन फिल्मी सितारों से सजी रामलीला उस परंपरा के खिलाफ है। उन्होंने आयोजकों से अपील की कि वे भगवान राम की नगरी में ऐसे प्रयोग न करें, जिससे अयोध्या की छवि धूमिल हो। आयोजन समिति पर उठ रहे सवाल फिल्मी रामलीला के आयोजकों पर केवल साधु-संत ही नहीं, बल्कि स्थानीय लोग भी सवाल उठा रहे हैं। आरोप है कि कई बार बड़े-बड़े कलाकारों के नाम प्रचार में उपयोग किए जाते हैं, लेकिन वे मंचन में शामिल नहीं होते। पिछले वर्ष भी सांसद मनोज तिवारी और रवि किशन जैसी हस्तियां रामलीला में नहीं आई थीं। इसके अलावा पेमेंट, व्यवस्थाओं और अनुशासन को लेकर भी कलाकारों और जनता की नाराजगी सामने आती रही है। आयोजकों की सफाई फिल्मी रामलीला के आयोजन समिति के अध्यक्ष सुभाष मलिक ने साधु-संतों के आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि मंचन के दौरान पूरी तरह मर्यादा का ध्यान रखा जाता है। यदि कहीं कोई त्रुटि हुई है तो उसमें सुधार किया जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि साधु-संतों से बातचीत कर उनकी भावनाओं का सम्मान किया जाएगा और कार्यक्रम को सफल बनाया जाएगा। 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक होगा मंचन विवादों के बीच भी आज से रामलीला का शुभारंभ हो रहा है। यह मंचन 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक हर रोज शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक होगा। इस बार रामलीला में बॉलीवुड और टीवी जगत की कई नामी हस्तियां मंच पर उतरेंगी। परशुराम की भूमिका में पुनीत इस्सर, अहिरावण के रूप में रजा मुराद, हनुमान जी के रूप में राजेश पुरी, जनक के किरदार में अवतार गिल, विभीषण के रूप में राकेश बेदी और रावण के किरदार में मनीष शर्मा नजर आएंगे। खास बात यह है कि इस रामलीला का सीधा प्रसारण यूट्यूब समेत कई चैनलों पर किया जाएगा, ताकि लाखों दर्शक ऑनलाइन भी इसका आनंद ले सकें।

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर