TET अनिवार्यता को लेकर शिक्षकों का विरोध प्रदर्शन:2010 से पहले नियुक्त 20 लाख शिक्षकों की नौकरी पर खतरा, शैक्षिक महासंघ ने जताई आपत्ति

कुशीनगर में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के सैकड़ों शिक्षकों ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा है। शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले में हस्तक्षेप की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने 21 सितंबर 2025 को सिविल अपील संख्या 1385/2025 में एक फैसला सुनाया है। इस फैसले में सभी सेवारत शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य कर दिया गया है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और एनसीटीई की अधिसूचना 2010 के मुताबिक, 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट मिली हुई थी। केवल 2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों को ही टीईटी पास करना अनिवार्य था। नए फैसले से देश भर के लगभग 20 लाख शिक्षक प्रभावित होंगे। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने इस फैसले पर गंभीर चिंता जताई है। संगठन का कहना है कि पुराने शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है। महासंघ ने तीन प्रमुख मांगें रखी हैं। उनकी मांग है कि 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को इस नियम से छूट दी जाए। पुराने नियमों के तहत नियुक्त शिक्षकों की सेवा सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। साथ ही शिक्षकों की नौकरी बचाने के लिए आवश्यक नीतिगत कदम उठाए जाएं।

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर